गुलशन कुमार को किसने मारा था

गुलशन कुमार हत्याकांड फिल्म इंडस्ट्री का सबसे घिनौना पक्ष उजागर करता है। कैसे साथ में काम करने वाले नदीम ने निजी खुन्नस निकालने के लिए गुलशन कुमार हत्याकांड को अंजाम दिया था।
 
गुलशन कुमार की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। कैसेट किंग के नाम से मशहूर गुलशन कुमार अपने पिताजी के साथ में दिल्ली के दरियागंज में जूस की दुकान चलाते थे। 
 
गुलशन कुमार शुरु से ही माता की भक्ति में लीन रहते थे। बाद में उन्होंने जूस का काम छोड़कर कैसेट्स की दुकान खोल ली उसके बाद उन्होंने खुद की सुपर कैसेट इंडस्ट्री के नाम से अपनी कंपनी डाली। 
 
इसमें सफलता मिलने पर गुलशन कुमार ने नोएडा में खुद की म्यूजिक प्रोडक्शन कम्पनी खोली और फिर मुंबई आ गए। मुंबई आने पर उन्होने सुपर कैसेट इंडस्ट्री का नाम बदलकर टी सीरीज कर दिया।
 
गुलशन कुमार ने नए नए गायकों को मौका देना शुरू किया और पुराने गानों को नए गायकों से गवाया जो की बहुत ही पसंद किया गया। सिर्फ 10 सालों में टी सीरीज का बिजनेस 350 मिलियन तक पहुंच गया। 
 
गुलशन कुमार उस वक्त भारत में सबसे ज्यादा टैक्स देने वाले व्यक्ती थे। यह वही दौर था जब बॉलीवुड अंडरवर्ड के अनुसार ही चलता था। 
 
किस मूवी में किसको लेना है, कौन हीरो होगा कौन हीरोइन होगी। प्रोटेक्शन मनी के नाम पर डायरेक्टर, प्रोड्यूसर्स और एक्टर्स से लाखों करोड़ों रुपए वसूले जाते थे। दाऊद इब्राहिम के एक फोन पर पूरी फिल्म इंडस्ट्री नाचा करती थी। 
 
गुलशन कुमार ने अपनी कैसेट्स की कीमत को बाकी कंपनीज से बहुत कम रखा। 
 
यही कारण था की उस वक्त की बड़ी सी बड़ी कम्पनी भी टी सीरीज को टक्कर ना दे पाईं और वो धीरे धीरे कंपटीशन से बाहर होने लगीं। 
 
गुलशन कुमार ने धार्मिक कैसेट्स से शुरु किया अपना बिजनेस को अब मेन स्ट्रीम संगीत से जोड़ना शुरु कर दिया। पूरे भारत में टी सीरीज छा गई। 
 
इनका बिजनेस इसलिए भी प्रॉफिटेबल था क्योंकि गुलशन कुमार नए नए कलाकारों को मौका देते थे जो बहुत ही कम पैसे पर काम करने को तैयार रहते थे। 
 
नए नए गायक के अलावा गुलशन कुमार ने नए नए म्यूजिक डॉयरेक्टर और कंपोजर्स को भी मौका देना शुरू किया। जिसमें सबसे प्रमुख थे नदीम श्रवण की जोड़ी। 
 
नदीम सैफी और श्रवण राठौर ने टी सीरीज के साथ काम करते हुए बहुत सफलता पाई। टी सीरीज द्वारा लॉन्च आशिकी के गानों ने पूरे भारत को दीवाना बना दिया। 
 
इसने नदीम श्रवण के करियर को एक नया मुकाम दिया। आशिकी की 20 मिलियन से ज्यादा कॉपी बिकीं और इसने टी सीरीज को एक नई ऊंचाईयों पर लाकर खड़ा कर दिया। 
 
कोई अन्य कम्पनी अब टी सीरीज के आस पास आना सोच भी नहीं सकती थी। एक समय ऐसा आया की पूरी म्यूजिक इंडस्ट्री का 70% से ज्यादा का शेयर सिर्फ टी सीरीज के पास था। 
 
टी सीरीज की सफलता का कारण गुलशन कुमार का व्यक्तित्व ही था। उन्होने म्यूजिक इंडस्ट्री में हजारों लोगों को रोजगार दिया। 
 
जिन कलाकारों को कोई पूछता तक नहीं था उनको गुलशन कुमार ने स्टार बना दिया और कईयों के घर की जीविका गुलशन कुमार के कारण चल रही थी। 
 
गुलशन कुमार नए कलाकारों, गायकों को स्टार बना कर स्थापित कर देते फिर उसके बाद नए कलाकारों की खोज में लग जाते। 
 
यही कारण है की आज म्यूजिक इंडस्ट्री इतनी बड़ी हो पाई और इस इंडस्ट्री में इतने सारे दक्ष कलाकार हैं।
 

कैसे नदीम का शिकार बने गुलशन कुमार


टी सीरीज जहां नित नए कीर्तिमान ध्वस्त कर रही थीं वहीं उनसे जलने वाले लोग भी बढ़ते जा रहे थे। 
 
उस वक्त नदीम सैफी ने अपने गानों को प्रमोट करने के लिए गुलशन कुमार पर दवाब डाला। 
 
नदीम सैफी वैसे तो म्यूजिक डायरेक्टर थे लेकीन वो खुद गाना भी गाना चाहते थे। 
 
इसलिए उन्होने अपना एक एल्बम “हाय अजनबी” लॉन्च किया जिसमें उन्होने खुद गाना गाया था। 
 
नदीम ने जब गुलशन कुमार पर दवाब डाला तो उन्होंने नदीम की बात रखते हुए मार्च 1997 में “हाय अजनबी” को लॉन्च किया। 
 
नदीम का यह एल्बम फ्लॉप रहा और गुलशन कुमार को काफी लंबा नुकसान झेलना पड़ा। 
 
हालांकि गुलशन कुमार ने अपने रिश्ते को बचाने के लिए कुछ नहीं कहा लेकिन नदीम ने उल्टा गुलशन कुमार पर आरोप लगा दिया की उन्होंने “हाय अजनबी” को ठीक से प्रमोट नहीं किया।
 
गुलशन कुमार ने कहा की नदीम एक अच्छे म्यूजिक डायरेक्टर हैं लेकिन वो अच्छे सिंगर नहीं हैं। 
 
इसीलिए लोगों ने वो एल्बम पसंद नहीं किया। आप “हाय अजनबी” का गाना सुन कर खुद अंदाजा लगा सकते हैं की वो एल्बम क्यों नहीं चला। 
 
गुलशन कुमार ने आगे से नदीम सैफी के साथ काम करने से मना कर दिया। गुलशन कुमार ने नदीम श्रवण के गानों की राइट्स लेनी बंद कर दी। 
 
जिससे नदीम सैफी को ये लगा की अब उनका करियर डूब जायेगा। उसी वक्त नदीम सैफी ने अपने अंडरवर्ल्ड कनेक्शन का इस्तेमाल करते हुऐ दाऊद इब्राहिम के दाहिने हाथ कहे जानें वाले अबू सलेम से इसकी शिकायत की। 
 
उसी वक्त गुलशन कुमार के पास प्रोटेक्शन मनी के रूप में एक अघोषित मनी को देने के लिए अबू सलेम का फोन आया। 
 
गुलशन कुमार ने अबू सलेम को मांगी गई रकम देकर अपना पीछा छुड़ाना उचित समझा। 
 
उन्होंने मांगी गई रकम भिजवा दी। लेकिन नदीम को इससे संतुष्टि नहीं मिली तो उसने दाऊद इब्राहिम से बोला की गुलशन कुमार को सबक सिखाना चाहिए। 
 
इसके लिए सन् 1997 में दाऊद इब्राहिम के गुर्गे अबू सलेम ने फिर गुलशन कुमार को फोन किया और प्रोटेक्शन मनी के रूप में 10 करोड़ रुपए मांगें और नदीम सैफी के गानों को प्रमोट करने को भी कहा। 
 
उस वक्त 10 करोड़ रुपए बहुत ही बड़ी रकम होती थी। गुलशन कुमार परेशान हो गए और उन्होंने कहा की अभी तो उन्होंने प्रोटेक्शन मनी दी है फिर इतनी जल्दी इतना सारा पैसा वो नहीं दे पायेंगे।
 
साथ ही गुलशन कुमार ने कहा की उन्होंने नदीम सैफी के गानों को प्रमोट किया था लेकीन जनता ने कोई अच्छा रिस्पॉन्स नहीं दिया जिसके कारण टी सीरीज को तगड़ा नुकसान झेलना पड़ा। 
 
लेकिन अबू सलेम कुछ सुनने को तैयार ना हुआ। गुलशन कुमार परेशान हो गए और उन्होंने अपने भाई किशन कुमार से ये बातें बताई। 
 
किशन कुमार ने पुलिस कंप्लेन करने को कहा लेकिन गुलशन कुमार ने मना कर दिया कर बोला की वो अभी अंडरवर्ड से कोई दुश्मनी नहीं चाहते। 
 
इसी तरह कुछ दिन गुजर गए और 8 अगस्त 1997 को अबू सलेम का फोन फिर गुलशन कुमार के पास आया। 
 
अबू सलेम ने कहा की गुलशन कुमार उनकी बातों को हल्के में ले रहें हैं और इसकी कीमत उनको जान गवांकर देनी पड़ सकती है। 
 
गुलशन कुमार ने कहा की इतना पैसा वो अंडरवर्ड को देने की बजाय वैष्णो देवी में भंडारा कराना पसंद करेंगे। यह सुनकर मुस्लिम अबू सलेम का खून खौल गया। 
 
गुलशन कुमार रोजाना सुबह जीतेश्वर मंदिर में पूजा करने जाते थे। 12 अगस्त को सुबह मंदिर से लौटते वक्त दाऊद मर्चेंट, अब्दुल रशीद और एक और व्यक्ति उनको बीच में रोक कर बोलता है की बहुत हो गई तेरी पूजा, अब बाकी की पूजा ऊपर जाकर करना। 
 
इतना बोलकर उनपर ताबड़तोड़ 16 गोलियां दाग दी जाती हैं। गुलशन कुमार को बचाने आए उनके ड्राइवर रूप लाल को भी गोली मार दी जाती है। गुलशन कुमार भागकर बचने की कोशिश करते हैं लेकिन बच नही पाते।
 
उनको बाद में कूपर हॉस्पिटल ले जाया जाता है जहां उनको मरा हुआ घोषित कर दिया जाता है। इसके बाद 30 अगस्त 1997 को पुलिस नदीम सैफी को मुख्य आरोपी घोषित करती है। 
 
पुलिस अपनी चार्जशीट में लिखती है की अनीस इब्राहिम, अबू सालेम और नदीम सैफी ने मिलकर गुलशन कुमार की हत्या की साजिश की। 
 
नदीम सैफी पुलिस की आंखो में धूल झोंककर भारत से बाहर यूके भाग जाता है। 
 
टिप्स के मालिक रमेश तुर्रानी भी इसमें पकड़े जाते हैं की उन्होंने अब्दुल राउफ और अब्दुल रशीद को 25 लाख रुपए दिए थे ताकि वो गुलशन कुमार को मार सकें। 
 
मुंबई पुलिस 26 लोगों को आरोपी बनाती है। इसमें सबूत के आभाव में 18 लोगों को पुलिस छोड़ देती है तथा अब्दुल रऊफ उर्फ दाऊद मर्चेंट को उम्र कैद की सजा सुनाई जाती है। 
 
टिप्स के मालिक रमेश तुर्रानी को भी सबूतों के अभाव में बरी कर दिया जाता है। 
 
अब्दुल रऊफ 2009 में अपनी मां की बिमारी का बहाना बनाते हुए रिहा होता है और पुलिस को चकमा देकर बांग्लादेश भाग जाता है। 
 
जहां उसे अवैध पासपोर्ट रखने में गिरफ्तार करके भारत वापस भेज दिया जाता है। इसके साथ ही अब्दुल रशीद को भी इसी साल 2021 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है।
 
गुलशन कुमार हत्याकांड ने मुंबई पुलिस का नाकाम चेहरा उजागर किया।
 
मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर रहे राकेश मारिया ने भी अपनी किताब (let me say it now) में लिखा है की 22 अप्रैल 1997 को ही उनके खबरी के माध्यम से उनको पता चल गया था की गुलशन कुमार की हत्या का प्लान मंदिर जाते वक्त का बना है लेकिन मुंबई पुलिस ने इसको गंभीरता से नहीं लिया।
 
इस पूरे हत्याकांड की सबसे खराब बात ये रही की मुख्य आरोपी नदीम सैफी के खिलाफ आजतक मुंबई पुलिस कोई भी सबूत नहीं पेश कर पाई और यह दरिंदा अभी भी दुबई में मजे की जिंदगी जी रहा है और अपना परफ्यूम लॉन्च करके पैसे कमा रहा है।
 
 
 
👇👇👇
 
👆👆👆

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *