रामायण को लेकर कौन कौन सी भ्रांतियां फैली हुई हैं और उनकी सच्चाई क्या है

 


हमारे हिंदू धर्म ग्रन्थों के बारे में बहुत सी भ्रांतियां व्याप्त है। जिसको लेकर हिन्दू धर्म विरोधी समय समय पर कटाक्ष किया करते हैं।

जैसे श्री राम अगर मर्यादा पुरुषोत्तम थे तो उन्होंने माता सीता का त्याग एक धोबी के कहने पर क्यों किया? 

सीता माता को अग्नि परीक्षा क्यों देनी पड़ी? 

श्री राम मांस खाते थे इसलिए हिरण के शिकार करने गए और श्री राम ने बाली को धोखे से क्यो मारा? 

आज हम उन्हीं सब भ्रांतियों के बारे में बात करेंगे और उनका उचित कारण भी बताएंगे।

 

श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे तो उन्होंने अपनी गर्भवती पत्नी का त्याग क्यों किया

 

सबसे ज्यादा भ्रांति ये फैली है की यदि श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे तो उन्होंने अपनी गर्भवती पत्नी का त्याग क्यों किया? 

इसके लिए मैं आपको बताना चाहूंगा की जो ये बोलते हैं की राम जी ने दूसरों के कहने पर सीता जी का त्याग कर दिया उन्होंने कभी रामायण पड़ी ही नही है, सिर्फ टीवी सीरियल्स ही देखे हैं। 

अगर आप वाल्मिकी रामायण पड़ेंगे तो आपको पता चलेगा की वाल्मिकी रामायण में सीता परित्याग का कोई भी जिक्र नहीं है। 

सीता परित्याग पूरी तरह काल्पनिक है। विदेशी आक्रांताओं और शासकों ने हिंदू धर्म को बदनाम करने के लिए इसमें ये सब जोड़ दिया था।

 

राम जी रावण वध के बाद सीता जी से अग्नि परीक्षा देने को क्यों कहा


एक और भ्रांति ये है की राम जी रावण वध के बाद सीता जी से अग्नि परीक्षा देने को कहा। 
 
ये एक सबसे विवादित प्रश्न है। हिन्दू विरोधी कहते है कि ये स्त्री का अपमान था, श्री राम जी ने गलत किया इत्यादि।
 
लेकिन यदि आप वाल्मिकी रामायण पड़ेंगे तो वहां आपको इसका कोई उल्लेख ही नही मिलेगा। तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस में इसका जिक्र है। 
 

तुलसीदास जी ने लिखा है की जब राम जी आभास हुआ कि अब सीता जी का हरण होने वाला है तो उन्होंने अग्नि देव को बुला कर सीता जी को अग्नि देव को सौंप दिया और सीता जी की छाया को अपने साथ रखा।  

रावण वध के बाद अग्नि परीक्षा इसलिए ली गई ताकि छाया को अग्नि देव को सौंप कर सीता जी को वापस ला सकें। इसलिए प्रभु ने ये लीला रचाई। 

 
वैसे इसका उल्लेख सिर्फ रामचरित मानस में ही है, वाल्मिकी रामायण में नहीं। अतः स्त्री का अपमान, अग्नि परीक्षा आदि बातें सिर्फ मिथ्या ही है। 
 
रामायण में लिखा है की स्त्रियों का सम्मान उन्हे राष्ट्र से मिलने वाले आदर और उनके अपने सदाचार से होता है। 
 
सम्मान की रक्षा में उन पर किसी भी तरह का कोई भी बंधन या घर, कपड़ों या चारदीवारी का प्रतिबंध लगाना मूर्खता है। 
 
अब क्या समझ सकते हैं की जब हमारे हिन्दू धर्म में स्त्रियों का इतना सम्मान है तो उनसे अग्नि परीक्षा के लिए कैसे कहा जा सकता है।
 
 

श्री राम मांस खाते थे इसीलिए हिरण का शिकार करने गए थे

 

एक और भ्रांति बहुत ज्यादा फैली है की श्री राम मांस खाते थे और इसीलिए सीता जी के कहने पर हिरण का शिकार करने गए थे। 
 
पहले तो ये समझे की उस वक्त लोग या तो नगरीय व्यस्था में रहते थे या वनवासी में। 
 
जो नगरीय व्यवस्था में रहते थे उनमें मांसाहार का वर्णन ना के बराबर है और उनमें मांसाहार खाना वर्जित माना जाता था। 
 
जबकि वनवासी लोग जैसे भील, निषाद इत्यादि जो वन में रहते थे वो पूर्ण रूप से मांस पर निर्भर थे। 
 
हालांकि कई वनवासी कंद मूल खा कर भी अपना जीवन व्यतीत करते थे।
 
अब आते हैं मुद्दे की बात पर की राम जी हिरण का शिकार करने क्यों गए।
 
जिन लोगों ने वाल्मिकी रामायण पढ़ी है उनको पता है की मृग को देखकर सीता जी ने उसे पकड़ कर लाने को कहा ना की शिकार करने को। 
 
क्युकी वो इतने सुन्दर मृग को अपने साथ अयोध्या ले जाना चाहती थीं। 
 
उसे मारने अथवा खाने का कोई भी वर्णन वाल्मिकी जी की रामायण में नहीं है। रही बात उसको बाद में मारने की तो श्री राम जी को पता चल गया था की वो एक दैत्य है इसीलिए उन्होंने उस पर वाण चलाया।
 
अज्ञानी और हिंदू धर्म विरोधी लोग इसे मांसाहार और पशु वध से जोड़कर देखने लगे जो की सरासर गलत है।
 
 

राम जी ने बाली को धोखे से मारा:-

 
एक और बहुत बड़ा प्रश्न हमेशा उठाया जाता है की बाली को राम जी ने धोखे से मारा। 
 
इस प्रसंग को अगर हम ध्यान से पड़ेंगे तो हमे अपने सारे प्रश्नों का उत्तर मिल जायेगा। 
 
जब बाली को बाण लगा तो उसने यही प्रश्न किया की प्रभू आप मर्यादा पुरोषत्तम हैं, आपकी नीतियों की दुनिया दुहाई देती है फिर भी आपने मेरे साथ ये छल क्यों किया?
 
श्री राम जी ने कहा ” हे वानर राज तुमने अपने जीवन काल में अपने बल के मद में चूर होकर कभी न्याय और धर्म का विचार नहीं किया, अपने छोटे भाई को बिना किसी अपराध के राज्य से निकाल दिया और उसकी पत्नी को अपने अधीन कर लिया। 
 
जो नीच व्यक्ति अपनी बहन, छोटे भाई की पत्नी, अपनी पुत्र वधू एवम अपनी बेटी के प्रति मन में पाप रखता है ऐसे व्यक्ति का वध करना न्यायोचित है और उसे कोई पाप नहीं लगता, तुम्हारे कर्म के हिसाब से ही तुम्हारी गति हुई है और मृत्यु के सम्मुख आकर तुम्हें नीति और धर्म का ज्ञान सूझ रहा है। 
 
यदि राम जी गलत होते तो बाली का पुत्र कदापि श्री राम का साथ न देता।
 
जो व्यक्ति स्त्री का सम्मान नही करता उसे सामने मारने या छिप के मारने में कोई अंतर नही। 
 
और वैसे भी राम जी ने वाण छाती पर मारा था न की पीठ पर। अगर छिप कर मारा होता तो वाण पीठ पर लगता छाती पर नहीं।
 
मेरे मत के अनुसार एक और कारण भी हो सकता है की ब्रह्मा जी ने बाली को वरदान दिया था की जो भी शत्रु उनके सामने जायेगा उसकी शक्तियां आधी रह जाएंगी। 
 
अगर श्री राम सामने से युद्ध करते तो ब्रह्मा जी का वरदान निरस्त हो जाता जो की ब्रह्मा जी के वरदान का अपमान होता। 
 
इसलिए श्री राम जी ने बाली से सामने से युद्ध नही किया।
 


1 Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *