जब इंसान चंद्रमा पर
गया था तब आधी दुनिया ने कहा था की ये एक पब्लिसिटी स्टंट है, कोई भी
चंद्रमा पर नहीं जा सकता और इस बात को सिद्ध करने के लिए बहुत से ऊल जलूल
तथ्य भी प्रस्तुत किए गए थे।
जब
लोगों को सारे सबूत दिखाए गए तो लोगों ने कहा की सरकार चंद्रमा के मिशन पर
इतना पैसा क्यों खर्च कर रही है? इतने पैसे से तो लाखों लोगों को खाना,
शिक्षा और घर जैसी बुनियादी जरूरतें पूरी की जा सकती हैं।
भारत में भी ऐसे
लोगों की कमी नहीं है जो भारत के अंतरिक्ष मिशन पर आए दिन सवाल उठाया करते
हैं। लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि मनुष्य के चंद्रमा पर जाने से मानव जाति का अतुलनीय लाभ हुआ है जिसके बिना हम आज अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते।
आइए समझते है कैसे
वाइब्रेशन का सामना करना पड़ता और इस समस्या को सुलझाने के लिए वैज्ञानिकों
ने शॉक ऑब्जर्वर का आविष्कार किया।
ऑब्जर्वर का आविष्कार ना हुआ होता तो इतनी ऊंची ऊंची बिल्डिंग खड़ी ही ना
हो पाती, रेलवे के पुल और रेलवे लाइन, ब्रिज कभी भी इतने मजबूत ना बन पाते।
ये सब शॉक ऑब्जर्वर का ही कमाल है।
जब एस्ट्रोनॉट चंद्रमा पर जा रहे थे तो उनकी स्वास्थ की जांच के लिए हेल्थ मॉनिटर
बनाए गए जो आजकल हर एक अस्पताल में मिलेंगे बिना इन मॉनिटर्स के आप
हॉस्पिटल की कल्पना भी नहीं कर सकते।
खून की पल पल की जानकारी दिया करते हैं और आजकल के Covid के दौर में इनके बिना तो मरीज का जान बचाना संभव ही नहीं है।
बनाए गए थे ताकि एस्ट्रोनॉट एक दुसरे को आसानी से सुन सकें।
हियरिंग ऐड्स सुनने की क्षमता को बड़ाने के लिए हमारे बुजुर्ग या वो लोग
इस्तेमाल करते हैं जो सुन नहीं सकते।
अब आप समझ सकते हैं की अगर चंद्रमा
मिशन ना होता तो ना जाने कितने लोगों का जीवन खत्म हो गया होता और कितना
मुश्किल होता।
इसलिए हमे हमेशा साइंस को धर्म से ऊपर रखना चहिए और हमारे
हिंदु धर्म में हमारे ऋषि मुनि हमेशा नए नए अविष्कार में लगे रहते थे।
यही रीजन था की उस वक्त भी हमारे पास पुष्पक विमान, ब्रह्मास्त्र, टेस्ट
ट्यूब बेबी और ऐसे ही ना जाने अनगिनत साइंस के अविष्कार थे।
ट्रैवल और भी ना जाने कितने साइंस के गूढ़ रहस्यों का ज्ञान था जिसे हम उस
वक्त ब्रह्म ज्ञान कहते थे।