Kya Bhagwan Hote Hain – जब हम बहुत परेशान या दुखी होते हैं तो हम सिर्फ ईश्वर को याद करते है।
लेकिन अगर काम हमारे अनुसार नहीं होता या किसी के साथ कुछ गलत होता है तो हम ईश्वर के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिह्न लगा देते हैं।
उस वक्त हमारे दिमाग में अक्सर यही प्रश्न आता है की क्या भगवान है इस दुनिया में, क्या भगवान हैं या नहीं,
क्या भगवान का अस्तित्व है और ऐसे ही ना जानें कितने सवाल ईश्वर के अस्तित्व को लेकर हमारे मन में आया करता है।
आईए आज हम दो छोटी सी कहानी के माध्यम से आपकी ये जिज्ञासा शांत करने की कोशिश करेंगे।
शायद इससे आपको अपनें प्रश्न का उत्तर मिल जायेगा।
पहली कहानी – Kya Bhagwan Hote Hain
एक महान साइंटिस्ट थे जिनका नाम था मैक्सवेल जिन्होंने गणित और भौतिक विज्ञान में बहुत से नियम बनाए।
इन्होंने ही 1875 में विद्युत चुम्बकय सिद्धांत दिया जिससे रेडियो और टेलीविजन का आविष्कार संभव हो सका।
मैक्सवेल के नियम भौतिक विज्ञान की बड़ी खोजों में एक माना जाता है।
मैक्सवेल का ईश्वर पर बहुत विश्वास था, जबकि मैक्सवेल का एक सहायक था जिसे ईश्वर के अस्तित्व पर कोई विश्वास नहीं था।
मैक्सवेल के सहायक का मानना था कि ब्रह्मांड का अस्तित्व एक बहुत बड़े विस्फोट से हुआ था जिसे बिग बैंग कहते है।
मैक्सवेल ने अपने सहयोगी को ईश्वर के अस्तित्व पर विश्वास दिलाने के लिए सौर मंडल का एक मॉडल बनाया और एक कमरे में रख दिया।
जब उनके सहयोगी ने वो मॉडल देखा तो वह बहुत आश्चर्य चकित हुआ।
सहयोगी ने पूछा कि ये मॉडल किसने बनाया?
मैक्सवेल ने कहा कि ये मॉडल किसी ने नहीं बनाया।
सहयोगी ने फिर कहा ऐसा कैसे हो सकता है ये मॉडल जरूर किसी ने बनाया होगा।
मैक्सवेल ने कहा कि मै दूसरे कमरे में बैठा हुआ था तभी एक विस्फोट हुआ और जब मै इस कमरे में आया तो ये मॉडल दिखा।
उनके सहयोगी ने हंसते हुए कहा कि मुझसे मजाक मत करो भला विस्फोट से इतना खूबसूरत मॉडल कैसे बन सकता है?
मैक्सवेल ने हंसते हुए कहा कि जब ये मॉडल विस्फोट से नहीं बन सकता तो इतनी खूसूरत दुनियां, इतना खूबसूरत सोलर सिस्टम, इतना खूबसूरत ब्रह्मांड एक विस्फोट (बिग बैंग) से कैसे बन सकता है।
मैक्सवेल ने कहा कि जिस तरह भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, गणित इत्यादि का नियम है और उन नियमों को वैज्ञानिकों ने बनाया है उसी तरह जो ब्रह्मांड और संसार के नियम है उनको भी किसी अलौकिक शक्ति ने बनाया है जिसे हम ईश्वर कहते है।
दूसरी कहानी – Kya Bhagwan Hote Hain
आपको एक और कहानी सुनाते हैं। 15 नवंबर सन् 1884 को इंग्लैंड में जॉन ली नामक व्यक्ती को एक महिला की हत्या के आरोप में फांसी की सजा देनी थी।
जॉन ली लगातार कोर्ट में चिल्लाता रहा की वो निर्दोष है और उसने कोई हत्या नहीं की है।
लेकिन कोर्ट ने उसकी एक बात ना सुनी और जॉन ली की फांसी की तिथि 23 फरवरी 1885 निर्धारित कर दी गई।
जॉन ली ने चिल्ला चिल्ला कर कहा की अगर भगवान हैं तो वो ही उसका न्याय करेंगे।
जॉन ली को फांसी देने से पहले रस्सी, लीवर, तख्त ईत्यादि की जांच कर ली गई और सब कुछ सही पाया गया।
जॉन के मुंह पर कपड़ा डाला गया और गले में फांसी का फंदा डालकर जैसे ही लीवर खींचा गया वह लीवर फंस गया। बार बार जल्लाद ने कोशिश की लेकिन वह लीवर नहीं खुला।
अब जॉन की फांसी एक दिन के लिए टाल दी गई और एक पुतले को लटकाकर लीवर को जांचा गया तो सब कुछ सही था। सारी चीजें सही से काम कर रही थीं और तख्ता भी अच्छे से खुल रहा था।
अब दूसरे दिन फिर जॉन को लाया गया और उसके गले में फांसी का फंदा डालकर जैसे ही लीवर खींचा गया तो इस बार पैर के नीचे का तख्ता ही नहीं खुला और जल्लाद ने कई बार कोशिश की पर तख्ता नहीं खुला।
जॉन की फांसी फिर अगले दिन के लिए टाल दी गई। जॉन खुशी से बार बार चिल्ला रहा था की ईश्वर ने उसकी सुन ली और वो निर्दोष है उसको कोई भी फांसी का फंदा नहीं मार सकता।
एक बार फिर से सारे उपकरणों की जांच की गई और पुतला बनाकर उसको लटकाया गया, सब कुछ सही निकला।
अगले दिन फिर जॉन को फांसी के लिए लाया गया और जॉन चिल्लाता रहा की वो निर्दोष है और ईश्वर उसको फिर से बचाएगा।
इस बार फिर जॉन के गले में फांसी का फंदा डाला गया और जैसे जल्लाद ने लीवर खींचा फिर एक बार वही घटना हुई और नीचे का तख्त नहीं खुला।
यह देखकर जॉन खुशी से चिल्लाने लगा और बोलने लगा की तुम लोग ईश्वर की मर्जी के विरूद्ध नहीं जा सकते, मैं निर्दोष हूं। यह सब देखकर जल्लाद रोने लगा और उसने फांसी देने से मना कर दिया।
वहां मौजूद सारे कर्मचारी हैरान रह गए की ये फिर कैसे बच गया। फांसी फिर से टाल दी गई और जब यह बात जज तक पहुंची तो जज ने जॉन को छोड़ दिया।
जज ने कहा की जॉन तीन बार मृत्यु के समान दर्द झेल चुका है इसलिए अब उसे बरी कर दिया जाए।
जॉन ने कोर्ट में कहा की वो निर्दोष था और भगवान ये जानता है इसलिए वह हर बार बच गया।
जॉन ने यह भी कहा की की जब भी उसका मुंह काले कपड़े से ढका जाता था उसे एक दिव्य ज्योति दिखाई देती थी।
इस घटना के बाद जॉन ने अपना सारा जीवन परोपकार में लगा दिया और 80 साल की उम्र में जॉन का निधन हुआ।
जॉन को जिस फंदे पर फांसी दी जाने वाली थी वह फंदा आज भी ब्रिटिश म्यूजियम में सुरक्षित है। यह घटना बताती है की ईश्वर है और उसे पता है की क्या सही है और क्या गलत।
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