आज हम बात करेगे एक ऐसे बिजनेस टायकून की जिसने पहले नई ऊंचाइयों को छुआ फिर एक गलत बिजनेस में जाने के कारण अपना सब कुछ गवां दिया। जी हां सही समझा आपने, हम यहां बात करने जा रहे हैं किंग ऑफ गुड टाइम्स यानी की विजय माल्या की।
27 साल की उम्र में विजय माल्या के पिता का देहांत हुआ और उसी वक्त उन्होने अपने पिताजी की कंपनी United Breweries जो की 20 करोड़ के टर्नओवर वाली कंपनी थी को अपनें हाथों में लिया।
उस वक्त इस कंपनी की हालत बहुत ही खराब थी इनकी आधी से अधिक फैक्ट्रीज बंद हो गई थी। विजय माल्या ने कंपनी को अच्छी तरह संभाला और अपनी सारी फैक्ट्रीज को मुनाफे की स्थिति में ले आए।
विजय माल्या ने कुछ नए ब्रांड्स मार्केट में लॉन्च किए और कुछ ब्रांड्स को मार्केट से खरीद लिया। इनके नए ब्रांड्स थे रॉयल चैलेंज, ऑफिसर्स च्वाइस, इंटीकेट्टी, डीएसपी आदि।
किंगफिशर को विजय माल्या ने एक नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। इसकी मार्केटिंग के लिए उन्होनें जो मार्केटिंग स्ट्रेटजी अपनाई वो बहुत सफल रहीं जैसे किंगफिशर कैलेंडर, आईपीएल में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू और फार्मूला वन जैसे मेगा इवेंट्स में खुद को इन्वॉल्व करके।
लगे हाथों विजय माल्या ने अपनी कंपनीज बर्जर पेंट्स और मंगलौर रिफाइनरीज को भी सफलता की नई ऊंचाईयों पर पहुंचा दिया। बाद में विजय माल्या ने बर्जर पेंट्स को 66 मिलियन डॉलर में कुलदीप सिंह ढींगरा को बेच दिया था।
United Breweries की कुल वैल्यू अब 25 हजार करोड़ की हो चुकी थी। विजय माल्या ने एक डूबती हुई कंपनी को सफलता की नई बुलंदियों पर पहुंचा दिया।
क्या थी वो गल्ती जिसने डुबो दिया विजय माल्या को
इसके बाद विजय माल्या ने वो गलती कर दी जिसने विजय माल्या के इस जादुई सफर पर रोक लगा दी और वो धीरे धीरे कर्ज में डूब गए। ये गलती थी किंगफिशर एयरलाइंस में निवेश करना।
एयरलाइंस एक ऐसा व्यापार है जो बहुत ही रूल्स और रेगुलेशन के साथ चलता है और इसमें मार्जिन भी ज्यादा नहीं होता। यहां एक घण्टे फ्लाइट का लेट होना मतलब लाखों का नुकसान।
विजय माल्या ने किंगफिशर एयरलाइंस के लिए एक अच्छे मैनेजमेंट की टीम हायर की और उसको एक टास्क दिया की एयर इंडिया को पीछे करना है।
वह उन रूट्स पर भी फ्लाइट्स चलाने लगे जहां बिजनेस पोटेंशियल बिलकुल नहीं था। इसके अलावा किंगफिशर एयरलाइंस ने यात्रियों को आकर्षित करने वाली सुविधाएं देनी शुरू कर दी जैसे फ्लाइट के अंदर मनोरंजन, फ्री में भोजन, प्रत्येक यात्री को अपने साथ ले जाने वाला हेडफोन ईत्यादि।
इसके अलावा किंगफीशर एयरलाइंस का किराया बाकी एयरलाइंस की तुलना में अधिक भी था। जायदा यात्री ना होने की वजह से किंगफिशर शुरू से ही नुकसान में रही और धीरे धीरे इस पर कर्ज बढ़ने लगा। हालात यह हो गई की किंगफिशर एयरलाइंस अपने स्टाफ को सैलरी तक नहीं दे पा रहा था।
धीरे धीरे करके इनका ज्यादातर स्टाफ नौकरी छोड़ कर चला गया। इन पर कर्ज इतना ज्यादा था की उसको चुकाने के लिए बैंको को कोर्ट जाना पड़ रहा था।
इस तरह धीरे धीरे किंगफिशर एयरलाइंस की वजह से इनका सबसे प्रॉफिटेबल बिजनेस इनके हाथ से निकल गया।
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थोड़े और कारण जानना चाहता हूं ये तो सब जानते है , किंगफिशर की कहानी लेकिन जब UBL जैसी 15 से 20 हजार करोड़ की कंपनी बर्जर पेंट्स जैसी कई कंपनियों के मालिक थे जिसका मूल्य 40 से 50 हजार करोड़ था तो मात्र 10 से 12 हजार करोड़ के लॉस में कैसे पूरे बर्बाद हो गए अगर किंगफिशर पूरा डूब जाए तो भी बहुत कुछ बचता है उनके पास , निवेदन है संभव हो तो पुरी जानकारी दीजिए