विश्व का सबसे सम्मानीय पुरस्कार नोबेल पुरुस्कार शांति, साहित्य, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र में दिया जाता है। लेकिन यह पुरुस्कार कभी गणित में नही दिया जाता।
आज हम बताएंगे की नोबेल पुरुस्कार गणित में क्यों नहीं दिया जाता। इसके पीछे एक मानवीय संबंधों की एक दुखद कहानी है।
छोटी सी प्रेम कहानी
अल्फ्रेड नोबेल एक दिन एक फूल की दुकान पर कुछ फूल खरीदने गए। उसी दुकान पर एक महिला हिसाब किताब देखती थी जिसका नाम था सोफी हिस्स। वह एक बीस साल की बहुत ही खुबसूरत महिला थी।
उसको देखते ही अल्फ्रेड नोबेल उसको पसन्द करने लगे। उस वक्त अल्फ्रेड नोबेल की उम्र ४३ साल की थी। वह धीरे धीरे उसके साथ समय व्यतीत करने लगे और दोनों एक दुसरे को प्रेम करने लगे।
कुछ समय पश्चात वो महिला अल्फ्रेड नोबेल के साथ ही रहने लगी। अल्फ्रेड नोबेल ने भी उसकी सुख सुविधाओं में कोई कमी नहीं रखी।
लेकिन सोफी हिस्स एक चंचल स्वभाव वाली महिला थी और वो अल्फ्रेड नोबेल के प्रती वफादार नही थी। उस वक्त स्वीडन के एक प्रसिद्ध गणितज्ञ थे जिनका नाम था गोस्ता मिटेग लॉफलर।
इन्होंने सोफी हिस्स से नजदीकियां बड़ानी शुरु कर दी और जल्द ही सोफी हिस्स ने अल्फ्रेड नोबेल को धोखा देकर गोस्टा के साथ रहना शुरु कर दिया। जबकि सोफी हिस्स का पूरा खर्चा अल्फ्रेड नोबेल ही उठा रहे थे।
धीरे धीरे यह बात अल्फ्रेड नोबल को पता चली और वो अपने साथ हुए इस धोखे से बहुत ही गुस्से में थे। उसी वक्त अल्फ्रेड नोबेल गणित में नोबल पुरस्कार देने की सोच रहे थे।
कमेटी ने उनको बताया कि उस वक्त के सबसे अच्छे गणितज्ञ गोस्टा ही हैं और उनको ही गणित का नोबेल पुरुस्कार मिलना चाहिए। यह बात सुन कर उन्होंने गणित के नोबेल पुरुस्कार को नोबेल पुरुस्कार में शामिल करने से मना कर दिया।
बाद में पता चला कि सोफी हिस्स ने गणितज्ञ गोस्टा को भी धोखा देकर एक हंगरीयन ऑफिसर के साथ में रहने लगी। हालंकि इतना कुछ होने के बाद भी अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी वसीयत में सोफी हिस्स को थोड़ी सी संपत्ति दी।
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