Period Me Dard Kyu Hota Hai – आज हम एक ऐसे टॉपिक पर बात करेंगे जिससे सभी महिलाएं हर महीने परेशान रहती हैं।
पीरियड्स में होने वाले दर्द के बारे में, आज हम जानेंगे की पीरियड्स में जो दर्द होता है वह क्यों होता है? इसका कारण क्या होता है और इसका उपचार क्या है?
पीरियड्स के समय हर महिला को एक सामान्य दर्द होता है और यह दर्द दो या तीन दिन में ठीक हो जाता है
लेकिन कुछ महिलाओं को बहुत ज्यादा दर्द होता है। इसे डिसमनेरिया (Dysmenorrhoea) कहते हैं।
महिलाओं की यूटरस (Uterus) यानि की गर्भाशय में पाए जानें वाले टिशू एक केमिकल बनाते हैं जिसे Prostaglandins कहते हैं।
Prostaglandins के कारण गर्भाशय की मांसपेशियां सिकुड़ती हैं और जिसके कारण दर्द होता है।
जिन महिलाओं में Prostaglandins का स्तर ज्यादा होता है उनको अधिक दर्द और असहजता महसूस होती है।
Prostaglandins के कारण उल्टी आना, डायरिया होना, सरदर्द होना और हाथ पैरों खासकर पेट के नीचे की तरफ दर्द होना शामिल है।
दर्द के अन्य कारण भी हैं
पीरियड्स के दौरान दर्द के कुछ अन्य कारण भी होते हैं। जैसे
एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis)
गर्भाशय में गांठ
UTI (यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन)
गर्भाशय के मुख का संकीर्ण होना
बर्थ कंट्रोल डिवाइस का इस्तेमाल
गर्भाशय में सूजन
डिसमनेरिया कितने प्रकार का होता है
डिसमनेरिया (Dysmenorrhoea) यानि की पीरियड्स के दौरान दर्द दो प्रकार का होता है एक प्राइमरी डिसमनेरिया और दूसरा सेकेंडरी डिसमनेरिया।
प्राइमरी डिसमनेरिया में दर्द तब शुरू होता है जब आपके पीरियड्स शुरू होने वाले होते हैं यह एक या दो दिन पहले शुरू हो जाता है और फिर दो या तीन दिन में ठीक हो जाता है।
सेकेंडरी डिसमनेरिया में आपके पीरियड्स नॉर्मल शुरू होते हैं और फिर बाद में बहुत दर्द भरे हो जाते हैं तो इसे सेकंडरी डिसमनेरिया कहते हैं।
इसमें बहुत अधिक दर्द, सफेद पानी, अधिक स्त्राव होना, जांघो और कमर में दर्द, जी मचलना, चक्कर आना, पेट खराब होना, जी घबराना ईत्यादि होता है।
इसका कारण होता है एंडोमेट्रोसिस, गर्भाशय में गांठ होना, बच्चेदानी में सूजन होना, इंफेक्शन होना ईत्यादि।
पीरियड्स में दर्द का उपचार
1) पीरियड्स में अधिक दर्द होने पर आप पेन किलर ले सकती हैं जैसे ब्रूफेन या मेफ्टल स्पास और ये दवाईयां आसानी से बिना किसी प्रिस्क्रिब्शन के मिल जाती हैं।
2) गर्म पानी के थैले या बोतल से पेट और पेट के निचले भाग की सिकाई करें
3) मिर्च मसालेदार भोजन ना करें और अधिक मात्रा में पानी पिएं
4) पौष्टिक भोजन लें और फल जरूर खाएं
5) रोज मॉर्निंग वॉक की आदत डालें
6) तेल से हल्के हाथों से पेट और पेट के नीचे मालिश करें
7) हॉट टब बाथ या गर्म पानी से स्नान करें
8) योगा करें
9) विटामिन D3 ज़रूर लें
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