आज हम जानेंगे की बाबरी मस्जिद कब और किसने बनवाई और मस्जिद का नाम बाबरी क्यों पड़ा ?
भारत में बाबर ने मुगल वंश की स्थापना की थी। बाबर तैमूर वंश का था।
बाबर ने पानीपत के प्रथम युद्ध 1526 में इब्राहीम लोदी को हराकर दिल्ली का सुल्तान बना।
उसने दिल्ली का सुल्तान बनते ही देश भर में मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनानी शुरू कर दी थी क्योंकि उसे पता था जब तक मंदिर हैं तब तक वह भारत के लोगों में फूट नहीं डाल सकता और मंदिरों के नाम पर लोग एकत्रित होकर उसको राज्य नहीं करने देंगे।
भारत के मंदिर शक्ति और भव्यता का बड़ा केंद्र होते थे।
बाबर ने सबसे पहले पानीपत में कुटानी रोड पर एक मस्जिद काबुली बाग में बनवाई जिसे बाबरी मस्जिद कहते हैं।
इसे दो साल बाद 1528 में बाबर ने अयोध्या के मंदिर का विध्वंश करके उसपर एक मस्जिद का निर्माण करवाया जिसे भी बाबरी मस्जिद कहते हैं।
मस्जिद का नाम बाबरी मस्जिद क्यों पड़ा
बाबरनामा में लिखा है की बाबर समलैंगिक भी था और 17 साल की उम्र में उसको बाबरी नामक लड़के से मोहब्बत हो गई थी।
बाबरनामा बाबर की आत्मकथा है। बाबर ने इसे तुर्की भाषा में लिखा था। ऐतिहासिक रूप से इस किताब को बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है।
बाबर का नाम और उसका नाम लगभग एक ही तरह था इसलिए बाबर का उसकी तरफ दिमागी रूप से अधिक झुकाव था।
बाबरनामा में लिखा है की बाबर शर्म की वजह से उस लड़के की तरफ आंख मिला कर भी नहीं देख पाता था। बाबर ने उसके लिए फारसी में बहुत सारी शायरी लिखी थीं जो की बाबरनामा में हैं।
बाबर अपनी बीवियों को कर्कश, जिद्दी और लड़ाकू प्रवत्ति का बताता था और तंग आ चुका था।
उसने जब पहली मस्जिद पानीपत में बनवाई तो उसका नाम बाबरी रखा और अयोध्या में राम मंदिर को तोड़कर जो दूसरी मस्जिद बनाई उसका नाम भी बाबरी रखा।
मीर बाकी को बाबर ने आदेश दिया था की मस्जिदों का नाम बाबरी होना चाहिए। इस तरह से इन दोनों मस्जिदों का नाम बाबरी मस्जिद पड़ा।
यह दोनों मस्जिद बाबर के समलैंगिक प्यार की निशानी थीं। सन् 1992 में रामभक्तों ने बाबरी मस्जिद तोड़कर बाबर के समलैंगिक प्यार की निशानी को मिटा दिया।
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