भारत का राष्ट्रपति बनना एक बहुत ही सम्मानीय और गरिमामय पद होता है। यह भारत का सर्वोच्च पद भी होता है।
इसलिए जो इस पद पर बैठता है उसका यह कर्तव्य होता है की उसकी गरिमा बनाए रखे।
लेकिन कई बार कुछ अकुशल व्यक्ति किसी भी पद की गरिमा अपने कार्यों से गिरा ही देते हैं।
आज हम एक ऐसे ही व्यक्ति के बारे में बात करेंगे जो भारत के सर्वोच्च पद पर रहते हुए भी इस पद की गरिमा नहीं रख पाए।
प्रतिभा देवी सिंह पाटिल सन् 2007 में भारत की बारवीं (12) राष्ट्रपति बनीं। प्रतिभा देवी सिंह पाटिल भारत की पहली महिला राष्ट्रपति भी थीं।
इसके पहले वह राजस्थान की पहली महिला राज्यपाल (2004 से 2007) भी रह चुकीं थीं।
उन्होंने अपने राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए ऐसे काम किए थे जिसकी बहुत आलोचना हुई थी।
बलात्कारियों की सजा माफ की
प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने अपने कार्यकाल में 35 लोगों की मौत की सजा माफ की।
ये कोई सामान्य कैदी नहीं थे, ये वो कैदी थे जिनके ऊपर दर्जनों बलात्कार और मर्डर के आरोप थे और सारी न्यायालय हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें मौत की सजा सुनाई थी।
सरकारी सुविधा का उपयोग खुद के लिए किया
राष्ट्रपति का शासन काल खत्म होने पर राष्ट्रपति को रहने के लिए दिल्ली में ही बंगला दिया जाता हैं लेकिन प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने सारे राष्ट्रपति नियमों के विरूद्ध जा कर अपने शहर पुणे में बंगले लेने का निर्णय लिया।
जिसमें राज्य सरकार को उनको लिए 2,60,000 स्क्वायर फीट की सरकारी जगह देने को बाध्य किया गया।
इस जगह पर पुणे में प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के लिए शानदार बंगला बनवाया गया।
आपको बता दें कि ये जमीन सेना की विधवाओं को देने के लिए थीं।
खुद की तनख्वाह खुद ही बढ़ा ली
आज तक किसी भी राष्ट्रपति ने पद पर रहते हुए खुद की तनख्वाह नहीं बढ़ाई।
लेकिन प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए अपने तनख्वाह में 300% की वृद्धि खुद ही कर ली।
राष्ट्रपति भवन का सामान अपने घर ले गईं
जब कोई राष्ट्रपति के पद पर होता है तो उसे देश विदेश से अनेकों बहुमूल्य उपहार मिलते हैं।
जिन्हें बाद में राष्ट्रपति भवन में ही रखा जाता है एक स्मृति के तौर पर, लेकिन प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने ये सारे उपहार अपने कार्यकाल समाप्त होने पर अपने साथ अपने घर पुणे ले गईं।
जिसमे बहुत ही ऐतिहासिक महत्व की चीजें भी थीं।
उनकी इस हरकत के बाद ही सरकार ने राष्ट्रपति भवन में एक म्यूजियम बनाने का निर्णय लिया ताकी कोई भी राष्ट्रपति ऐतिहासिक महत्व की चीजों को अपने घर ना ले जा सके।
बहुत बदनामी होने पर प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने उनमें से कुछ चीजें वापस लौटा दीं, लेकिन यह तब हुआ जब समाचार पत्रों में यह बात खबर बन गई।
विदेश घूमने में देश को लगाई करोड़ों की चपत
प्रतिभा देवी सिंह पाटिल जी को विदेश घूमने का बहुत शौक था।
इन्होंने अपने कार्यकाल में 22 देशों की यात्राएं की और कई यात्राएं उन्होने जानबूझ कर लंबी रखी ताकि विदेश यात्रा का पूरा आनंद ले सकें।
वह कभी अकेली नहीं गईं हमेशा वो पूरे परिवार और रिश्तेदारों सहित विदेश यात्रा पर जाती थीं। उनके इस शौक में देश का 205 करोड़ का खर्चा आया।
सबसे खराब बात यह थी डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम जी दुबारा देश के राष्ट्रपति बनना चाहते थे लेकिन प्रतिभा देवी सिंह पाटिल जी की सोनिया गांधी की नजदीकियों की वजह से कलाम जी को दुबारा राष्ट्रपति बनने का मौका नहीं मिला।
प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के ऊपर और भी कई सारे आरोप लगे थे लेकिन वो इस पद पर थीं की वो सब सामने ना आ पाए।
अगर हम भारत के अब तक के सबसे खराब उप राष्ट्रपति की बात करें तो वह हामिद अंसारी थे जिन्होंने उपराष्ट्रपति जैसे पद पर रहते हुए देश की खुफिया जानकारी पाकिस्तान को लीक की, इसकी जांच अभी चल रही है।
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