भारत के पहले सुपर कंप्यूटर बनाने की अनोखी कहानी क्या थी – India First Super Computer In Hindi

सुपर कंप्यूटर किसी भी देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। सुपर
कंप्यूटर की सहायता से हम मौसम संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते है, किसी
भी तरह के शोध एवम सैन्य हथियारों के बनने के लिए सुपर कंप्यूटर बहुत ही
महत्वपूर्ण होता है।
 
सन् 1988 में भारत को भी सुपर कंप्यूटर की जरूरत थी और उस समय अमेरिका की “क्रे” नाम की कंपनी ही सुपर कंप्यूटर बनाती थी। भारत उस कंपनी से वो सुपर कंप्यूटर खरीदना चाहता था और उस वक्त उसकी कीमत थी करीब 70 करोड़ रूपए। 
 
उस समय अमेरिका का ये नियम था की किसी भी अमेरिकी कंपनी को अपना सामान अमेरिका से बाहर बेचने के लिए अमेरिकी सरकार से अनुमति लेनी पड़ती थी। “क्रे” कंपनी ने भी अमेरिकी सरकार से सुपर कंप्यूटर भारत को बेचने की अनुमति मांगी लेकिन अमेरिका ने नहीं दिया। 
 
अमेरिकी सरकार का तर्क ये था की भारत सुपर कंप्यूटर का उपयोग रिसर्च या शोध में ना करके बल्कि सैन्य उद्देश्य के लिए करेगा। भारत को उस वक्त सुपर कंप्यूटर की बहुत जरूरत थी इसलिए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी ने हमारे देश के वैज्ञानिकों की एक बैठक बुलाई और वहां उपस्थित वैज्ञानिकों से पूछा “की क्या हम सुपर कंप्यूटर बना सकते हैं।”
 

उस वक्त वहां मौजूद प्रसिद्ध वैज्ञानिक विजकय भटर ने कहा की हमारे वैज्ञानिकों में इतनी काबिलियत है की वो सुपर कंप्यूटर बना सकते हैं।इस पर राजीव गांधी ने पूछा “की सुपर कंप्यूटर बनाने में कितना समय लग सकता है?”
विजय भटकर जी ने कहा की जितने समय में सुपर कंप्यूटर अमेरिका से आयात होगा उससे कम समय में ही हम सुपर कंप्यूटर बना लेंगे।
 
राजीव गांधी ने फिर पूछा “की इसमें कितना खर्चा आएगा?”
विजय भटकर जी ने जवाब दिया की जितने में हम अमेरिका से खरीदते उतने से कम बजट में ही काम हो जायेगा।
इन बातों से राजीव गांधी काफी प्रभावित हुए और उन्होंने सुपर कंप्यूटर निर्माण के लिए अपनी स्वीकृति दे दी।
 

भारतीय वैज्ञानिकों का कमाल

इसके लिए एक प्रोजेक्ट शुरू किया गया जिसे “C – DAC” नाम दिया गया। और सिर्फ तीन वर्षो में ही 1991 में भारत ने अपना पहला सुपर कंप्यूटर ” परम् “ बना दिया। उस वक्त अमेरिका ने अफवाह फैलाई की ये उतना शक्तिशाली नहीं है तो भारत अपने सुपर कंप्यूटर को अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी मे ले गया जहां पता चला की “परम्” दुनिया का दूसरा सबसे तेज सुपर कंप्यूटर है। 
 
साथ ही “परम्” की कीमत सिर्फ 3 करोड़ ही थी। अगले दिन अमेरिका के एक न्यूज पेपर ने कुछ इस तरह हेडिंग लिखी ” Denied super computer, Angry India Does it !”
“सुपर कंप्यूटर देने से मना करने पर गुस्सैल भारत ने खुद का सुपर कंप्यूटर बना डाला”

हमारी कम कीमत की वजह से ब्रिटेन, कनाडा और जर्मनी ने हमसे कई सुपर कंप्यूटर खरीदे और “क्रे” कंपनी को काफी नुकसान सहना पड़ा। धन्य है हमारे देश के वैज्ञानिक जिन्होंने हमारे देश का सर हमेशा ऊंचा रखा।



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