महाभारत के युद्ध में अनेकों कहानियां जुड़ी हुई हैं। महाभारत के युद्ध से जुड़ी हर कहानी आपको एक नई सीख देती है। आज हम एक ऐसी ही कहानी का वर्णन करेंगे जो रोचक होने के साथ साथ आपको एक सीख भी देकर जाती है।
महाभारत के युद्ध में अक्सर लोग यह पूछते हैं की जिस रथ पर श्री कृष्ण विराजमान थे, हनुमान जी विराजमान थे और उसी रथ से अर्जुन युद्ध कर रहे थे उस रथ का महाभारत के बाद क्या हुआ। तो आईए जानते हैं उस रथ के पीछे की कहानी!
कृष्ण के उतरते ही भस्म हो गया था रथ
महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन के रथ ने बड़े से बड़े महारथियों के वाण झेले थे। कर्ण, भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य, दुर्योधन और ना जाने कितने कितने महारथियों के वाणों को झेल गया था अर्जुन का रथ।
युद्ध समाप्ति के उपरांत अर्जुन ने श्री कृष्ण से कहा की आप पहले रथ से उतरे तो कृष्ण ने मना कर दिया और अर्जुन को पहले उतरने का इशारा किया।
अर्जुन ने श्री कृष्ण का कहना मानते हुए रथ से पहले उतर गए। श्री कृष्ण ने अर्जुन को रथ से दूर जाने को बोला। जैसे ही अर्जुन रथ से दूर गए श्री कृष्ण भी रथ से उतर गए।
श्री कृष्ण के रथ से उतरते ही रथ के शिखर पर विराजमान हनुमान जी भी रथ से उतर कर अंतर्ध्यान हो गए। जैसे ही हनुमान जी रथ से उतर कर अंतर्ध्यान हुए पूरा का पूरा रथ कुछ ही क्षणों में जल कर भस्म हो गया।
यह देखकर अर्जुन चकित रह गए और उन्होनें श्री कृष्ण से इसका कारण पूछा, श्री कृष्ण ने कहा ” हे अर्जुन, यह रथ तो कर्ण, भीष्म पितामह और द्रोणाचार्य के दिव्यास्त्रों के वार से पहले ही जल गया था।
कर्ण के वाणों ने इस रथ को सबसे अधिक क्षति पहुंचाई, लेकिन इस रथ पर स्वयं हनुमान जी विराजमान थे, और मैं था इसलिए यह रथ चल रहा था, अन्यथा कर्ण ने इसे कब का जला दिया था।
यह सुनकर अर्जुन को एहसास हो गया की विजय उनको इसलिए मिली है क्युकी वह सत्य के साथ थे। अर्जुन ने तुरंत श्री कृष्ण को नमन किया।
रथ से जुड़ा एक और किस्सा बहुत ही रोचक है। जब महाभारत के युद्ध में अर्जुन और कर्ण का युद्ध चल रहा था तब अर्जुन के वाण से कर्ण का रथ चालीस कदम पीछे हो जाता और वहीं जब कर्ण वाण मारते तो रथ सिर्फ पांच कदम पीछे होता।
यह देखकर अर्जुन को घमंड हो गया और वो हंस कर श्री कृष्ण से बोले की देखिए आप कर्ण की इतनी प्रशंशा करते हैं जबकि उसके वाण से मेरा रथ सिर्फ पांच कदम पीछे जाता है जबकि मेरे वाण से कर्ण का रथ चालीस कदम पीछे चला जाता है।
श्री कृष्ण समझ गए की अर्जुन को अभिमान हो गया है। श्री कृष्ण बोले की अर्जुन ये मत भूलो की तुम्हारे रथ पर स्वयं हनुमान जी बैठे हैं और साथ मैं पूरी श्रृष्टि का भार लिए तुम्हारे रथ का संचालन कर रहा हूं।
यदि कर्ण के वाण से तुम्हारा रथ पांच कदम भी पीछे जा रहा है तो तुम स्वयं कर्ण के वाणों की ताकत का अनुमान लगा सकते हो।
यह सुनकर अर्जुन को अपनी गलती का एहसास हो गया और उन्होंने अपने व्यवहार के लिए तुरंत श्री कृष्ण से क्षमा मांगी।
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