UCC यानी की समान नागरिक संहिता कानून (Common Civil Code in Hindi) का मुसलमान जम कर विरोध कर रहें हैं।
लेकिन मुस्लिम औरतें समान नागरिक संहिता कानून चाहती हैं क्योंकि इससे मुस्लिम महिलाओं का शोषण खत्म हो जायेगा और उनको मुस्लिम पुरुषों के बराबर अधिकार मिल जायेगा।
आईए जानते हैं की कैसे समान नागरिक संहिता कानून मुस्लिम महिलाओं के लिए वरदान है
जी हां, बिल्कुल सही पढ़ा आपने! जिस तरह हिंदुओं में लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल और लड़कों की 21 साल है उसी तरह मुस्लिम समाज में लड़कियों की शादी की उम्र सिर्फ 9 साल है।
अगर समान नागरिक संहिता कानून लागू होता है तो मुस्लिम लड़कियों की शादी की उम्र भी 18 साल हो जायेगी।
जिससे की वो कम उम्र में मां बनने और ढेर सारी बीमारियों से बच सकेंगी।
आप क्या कल्पना कर सकते हैं की आप अपनी 9 साल की बेटी की शादी कर रहें हैं, लेकिन मुस्लिम औरतें ये दंश झेलती हैं।
इसलिए समान नागरिक संहिता कानून मुस्लिम औरतों की भलाई के लिए बहुत जरूरी है।
संपत्ति में समान अधिकार मिलेंगे
अभी मुस्लिम समाज में महिलाओं को पुरूषों के बराबर अधिकार नहीं मिले हैं।
प्रॉपर्टी में पत्नी को पति के बराबर अधिकार नहीं देता है मुस्लिम समाज।
यदि समान नागरिक संहिता कानून लागू होता है तो महिलाओं को भी शौहर के बराबर संपत्ति में अधिकार मिल जायेगा।
अगर कोई मुसलमान के कोई बच्चा नहीं होता है या फिर सिर्फ लड़कियां ही होती हैं तो वो लड़का गोद ना लेकर दूसरी शादी कर लेता है।
इसका कारण यह है की मुस्लिम समाज में गोद लिए गए बच्चे को संपत्ति में कोई हक नहीं मिलता।
समान नागरिक संहिता कानून लागू होने पर संपत्ति पर लड़कियों का भी अधिकार हो सकेगा और गोद लिए बच्चे का भी संपत्ति पर अधिकार होगा।
इससे मुस्लिम मर्दों का एक से अधिक शादी करने का अधिकार खत्म हो जाएगा।
मुस्लिम मर्द कई शादियां नहीं कर सकेंगे
अभी तक मुस्लिम औरतें को ना चाहते हुए भी सौतन के साथ रहना पड़ता है क्यूंकि मुस्लिम समाज पुरूषों को एक साथ कई शादियां करने की अनुमति देता है।
जिससे की मुस्लिम औरतों की जिंदगी नरक हो जाती है। सामान नागरिक संहिता कानून लागू होने के बाद मुस्लिम मर्द तलाक लेने के बाद ही दूसरी शादी कर सकते हैं।
तलाक का तरीका भी तीन तलाक ना होकर कोर्ट के माध्यम से होगा जिसमें मुस्लिम महिलाओं को पूरा हक होगा अपनी बात रखने का।
सामान नागरिक संहिता कानून का विरोध क्यों
सामान नागरिक संहिता कानून का विरोध सबसे ज्यादा अनपढ़ मुस्लिम ही कर रहा है।
क्योंकि इसमें मुस्लिम औरतों को भी बराबर का हक मिल जायेगा जो की मुस्लिम मर्द नहीं चाहता।
इसके अलावा मुस्लिम मर्द कई शादियां भी नहीं कर पाएगा। इसलिए मुस्लिम पुरुष ही इसका विरोध कर रहें हैं।
इस वक्त दुनियां के 125 देशों में समान नागरिक संहिता कानून लागू है।
भारत में इसका विरोध का मुख्य कारण यही की इससे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड खत्म हो जायेगा और अन्य मुस्लिम धार्मिक संगठन कानून के अंदर आ जाएंगे।
इस कानून का धर्म या मजहब से कोई लेना देना नहीं है। इस कानून से सबसे अधिक फायदा मुस्लिम महिलाओं का ही होगा।
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