आज हम जानेंगे की राहु काल का मतलब क्या होता है (rahu kaal ka matlab) और राहु काल में क्या क्या नहीं करना चाहिए।
राहु को हमारे धर्म में दैत्य और छाया ग्रह मानते हैं। राहु के अच्छे और बुरे दोनों परिणाम होते हैं।
पुराणों के अनुसार समुंद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला तो देव और दानव के बीच अमृतपान को लेकर झगड़ा हो गया।
इस बीच दानवों का अमृत कलश पर कब्जा हो गया।
उसी
वक्त भगवान विष्णु ने मोहिनी अप्सरा का रूप धारण किया और दानवों का ध्यान
अमृतकलश से भटका दिया और देवताओं को अमृत का पान कराने लगे।
वक्त भगवान विष्णु ने मोहिनी अप्सरा का रूप धारण किया और दानवों का ध्यान
अमृतकलश से भटका दिया और देवताओं को अमृत का पान कराने लगे।
इसी बीच में राहु ने चतुराई दिखाते हुए देवताओं के बीच जाकर अमृत का पान कर लिया।
लेकिन राहु को भगवान विष्णु ने पहचान कर उसी वक्त उसका गला चक्र से काट दिया।
लेकिन अमृत की कुछ बूंदे राहु के गले के नीचे उतर चुंकि थीं। राहु दो भागों में कटने के बाद भी जिंदा था।
ऊपर का भाग राहु और नीचे के भाग को केतु कहा गया।
जिस समय भगवान विष्णु ने राहु की गर्दन काटी थी उस वक्त को ही राहु काल कहते हैं।
प्रत्येक दिन का कुछ समय राहु काल का होता है।
कोई भी नया या शुभ काम करने से पहले हम उसका शुभ मुहूर्त देखते हैं और तब काम शुरू करते हैं।
राहु
काल के दौरान कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते क्योंकि इस समय
किए गए कार्यों के सफल होने की संभावना बहुत कम होती है।
काल के दौरान कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते क्योंकि इस समय
किए गए कार्यों के सफल होने की संभावना बहुत कम होती है।
राहु काल कभी सूरज ढलने के बाद में नहीं होता और दिन के पहले चरण में भी नहीं होता।
कैसे की जाती है राहु काल की गणना Aaj ka rahukal kaise pata kare
सूर्य निकलने से लेकर सूर्यास्त तक के समय के आठवें भाग का स्वामी राहु होता है।
मान लीजिए की सूर्य 6:00 पर निकलता है और 6:00 बजे अस्त होता है तो इन 12 घंटो को 8 बराबर भागों में बांट दीजिए।
प्रत्येक
काल 1:30 घण्टे का होगा। जैसे पहला काल होगा 6:00 से 7:30 का और दूसरा काल
होगा 7:30 से 9:00 बजे का और फिर इसी तरह समय आगे बढ़ता जाएगा।
काल 1:30 घण्टे का होगा। जैसे पहला काल होगा 6:00 से 7:30 का और दूसरा काल
होगा 7:30 से 9:00 बजे का और फिर इसी तरह समय आगे बढ़ता जाएगा।
प्रत्येक दिन का राहु काल अलग अलग समय होता है जैसे
सोमवार को दूसरे काल में राहुकाल होता है 07.30 से 9 बजे तक
मंगलवार को सातवें काल में राहु काल होता है 03.00 से 04.30 बजे तक
बुधवार को पांचवे काल में राहु काल होता है 12.00 से 01.30 बजे तक
गुरुवार को छ्ठे काल में राहु काल होता है 01.30 से 3.00 बजे तक
शुक्रवार को चौथे काल में राहु काल होता है 10.30 से 12.00 बजे तक
शनिवार को तीसरे काल में राहुकाल होता है 9.00 से 10.30 बजे तक
रविवार को आठवें काल में राहुकाल होता है 04.30 से 6.00 बजे तक
ऊपर दिया गया समय उदाहरण के लिए है,
राहुकाल का सटीक अनुमान लगाने के लिए आपको सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच के समय को आठ से भाग देना होता है
और फिर प्रत्येक भाग को एक काल मानते हुए दिन की गणना की जाती है
यह राहुकाल गणना करने की विधि को ठीक तरह से समझने के लिए एक उदाहरण मात्र है।
इसे उपयोग में नहीं लिया जा सकता है, क्योंकि विभिन्न स्थानों में प्रतिदिन सूर्यास्त व सूर्योदय का समय भिन्न-भिन्न होता है। राहुकाल गणना आप स्वयं कर सकते हैं।
राहु काल में क्या नहीं करना चाहिए
राहु काल में यज्ञ या हवन नहीं करना चाहिए।
राहु काल में कोई भी नया काम नहीं शुरू करना चाहिए।
राहु काल में कोई भी महत्वपूर्ण यात्रा नहीं करनी चाहिए।
राहु काल में कुछ भी खरीदना नहीं चाहिए।
राहु काल में कोई भी मांगलिक कार्य जैसे शादी, ग्रह प्रवेश, सगाई आदि नहीं करने चाहिए।
राहु काल के दौरान अकाउंट से संबंधित चीजें नहीं करनी चाहिए।
राहु काल में कोई भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण नहीं खरीदना चाहिए।
राहु काल के उपाय
राहु काल में अगर कोई काम बहुत ही जरूरी हो तो पान, दही या मीठा खा कर शुरू करें या निकलें।
अगर यात्रा पर जा रहें हो तो पहले 10 कदम पीछे चलें फिर अपनी यात्रा शुरू करें।
यदि राहुकाल में कोई मांगलिक कार्य करवाना पड़े तो पहले हनुमान चालीसा पाठ करें और फिर पंचामृत या मीठा खा कर कार्य शुरू करें।
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