ट्रेन से यात्रा करते वक्त हम देखते हैं की हर स्टेशन के आगे कुछ लिखा होता है। जैसे मुंबई सेंट्रल, बड़ोदरा जंक्शन, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस ईत्यादि।
क्या आपने कभी सोचा है जब सब रेलवे स्टेशन ही हैं तो इन सबके आगे टर्मिनस, जंक्शन या सेंट्रल क्यों लिखा होता है?
आईए जानते हैं इसके पीछे का कारण
कुछ लोग स्टेशन को भी इसका एक प्रकार समझ लेते हैं जबकि
स्टेशन के तीन प्रकार होते हैं।
स्टेशन के तीन प्रकार होते हैं।
सेंट्रल, टर्मिनल और जंक्शन आईए जानते हैं इन
तीनों के बारे में विस्तार से
तीनों के बारे में विस्तार से
टर्मिनस
टर्मिनस ऐसे स्टेशन होते हैं जहां से आगे जाने के लिए कोई रास्ता नहीं होता।
यानी की ट्रेन वहां आती हैं लेकिन उसके आगे नहीं जाती और वापस आने वाली दिशा में ही लौट जाती हैं।
टर्मिनस में ट्रेन एक ही दिशा में जा सकती हैं क्योंकि अगर कोई रास्ता नहीं होता
जैसे छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, लोकमान्य तिलक टर्मिनस, भावनगर टर्मिनल ईत्यादि। भारत में कुल 27 टर्मिनल हैं।
जंक्शन
जंक्शन का मतलब होता है की ट्रेन के उस स्टेशन पर आने-जाने के 3 या 3 से अधिक रास्ते हैं।
जैसे ट्रेन एक रूट से आई और आगे जानें के दो या दो से अधिक रूट हों या फिर ट्रेन एक से अधिक रूट से उस स्टेशन पर आ सकती हो।
सबसे अधिक रूट वाला जंक्शन मथुरा जंक्शन है।
मथुरा जंक्शन से 7 रूट निकलते हैं इसका मतलब हुआ की मथुरा जंक्शन में ट्रेन 7 रूट से आ-जा सकती है।
जंक्शन का मतलब है की ट्रेन 3 या 3 से अधिक दिशाओं से आ कर उस स्थान पर मिलती हो।
सेंट्रल
सेंट्रल का मतलब होता है की उस शहर में एक से अधिक स्टेशन हैं और जो स्टेशन सबसे अधिक व्यस्त या पुराना होता है उसे सेंट्रल स्टेशन कहते हैं जैसे कानपुर सेंट्रल, मुंबई सेंट्रल, मैंगलोर सेंट्रल ईत्यादि।
भारत में टोटल 5 सेन्ट्रल स्टेशन हैं। सेंट्रल स्टेशन बहुत बड़ा होता है और रोजाना बहुत से ट्रेनें यहां से गुजरती हैं।
कई बार ऐसा भी होता है की किसी शहर में एक से अधिक स्टेशन होते हैं फिर भी वहां सेंट्रल स्टेशन नहीं होता जैसे दिल्ली, यहां कोई भी सेंट्रल स्टेशन नहीं है।
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