गर्मा-गर्म समोसा जिसका नाम सुनकर आपको समोसा खाने का मन करने लगता है लेकिन क्या आपको समोसे का इतिहास पता है।
समोसे के साथ चटनी या रायता हो और साथ में गर्म गर्म चाय किसी का भी मूड बना सकती है।
समोसा तो कॉलेज स्टूडेंट के लिए तो दोपहर का खाना ही होता है।
दोस्तों या साथ काम करने वालों के साथ कैंटीन में या रोड के किनारे खड़े होकर समोसा चाय खाना और गप्पे मारना जीवन का एक अलग ही आनंद देता है।
लेकिन जिस समोसे को आप इतनी चाव से खाते हैं क्या आपको समोसे का इतिहास पता है की समोसा पहली बार कब और कैसे बना? क्या इतिहास है समोसे का?
तो आईए जानते हैं समोसे के इतिहास के बारे में।
समोसे का इतिहास
समोसे की उत्पत्ति मिस्र में पाई (Pie) नाम की एक डिश बहुत प्रसिद्ध थी।
इस डिश को मैदे की गोल कटोरीनुमा बनाकर उसमें मांस या मीठा भरकर बनाई जाती थी।
इसको ऊपर से मैदे के ही ढक्कन से बंद कर दिया जाता था।
उसके बाद इसे गर्म किया जाता था।
मिस्र से होते हुए ये धीरे धीरे यूरोप फिर मिडिल ईस्ट एशिया पहुंची।
मिडल ईस्ट एशिया तक आते आते इसका आकार तिकोना हो गया।
तिकोने को शम्स बोलते थे और दसवीं शताब्दी तक आते आते इसका नाम पड़ गया सांबोसा।
समोसे का यह आकार ईरान में पारसी समुदाय ने दिया।
पार्शियंस जब भी यात्रा करते तो इस संबोसे को अपने साथ बना कर रख लेते और रास्ते में कहीं भी उनको भूख लगती वो संबोसे को निकाल कर आसानी से गर्म करके खा जाते।
उस वक्त तक समोसे यानी की संबोसे में मांस को या मीठे को भरकर ही खाया जाता था।
अब तक संबोसा काफी फेमस हो चुका था।
भारत में कैसे आया समोसा
धीरे धीरे पूरे विश्व में फेमस होता जा रहा था।
ईरानी यानी की पार्शियन जहां भी यात्रा को जाते तो अपने साथ यही सम्बोसा ले कर जाते और दूसरे देश के राजाओं और मंत्रियों को खिलाते।
13 से 14 शताब्दी के मध्य भारत में मोहम्मद बिन तुगलक का राज था और वो खाने का बहुत ही शौकीन था।
उसके लिए खाना बनाने वाले कई देशों से आया करते थे।
उसी दौरान एक रसोइया जो की मध्य पूर्व से आया था उसने मोहम्मद बिन तुगलक को मांस भरकर समोसा बना कर दिया।
यह समोसा मोहम्मद बिन तुगलक को बहुत पसंद आया और बाद में सारे मेहमानों को यही दिया जाने लगा।
14 शताब्दी में इब्न बत्तूता भारत में मोहम्मद बिन तुगलक का मेहमान बन कर आया और जब उसने यह समोसा खाया तो उसे यह बहुत पसंद आया।
उसने अपनी किताब में भी समोसा का जिक्र किया है।
उसने लिखा था की शाही भोजन में उसे शंबुष्क खाने को दिया गया।
यह एक तिकोने मांस, पिस्ता, बादाम और अन्य मसालों से भरा हुआ एक व्यंजन था।
इस तरह से ये संबोसा यानी की समोसा धीरे धीरे पूरे भारत में खाया जाने लगा।
हालंकि की यह अभी भी भारत में उतना प्रसिद्ध नहीं हो पाया था क्योंकि इसमें मांस भरा होता था और हिन्दू इसे पसंद नहीं करते थे।
समोसे में आलू कब से भरना शुरू हुआ समोसा वैसे तो काफी फेमस हो चुका था लेकिन मांस की वजह से इसे हिन्दुओं के बीच ज्यादा पसंद नहीं किया गया।
16 सदी में जब पुर्तगाली भारत आए तो अपने साथ आलू भी लेकर आए।
आलू धीरे धीरे पूरे भारत में खाया जाने लगा और यहां आलू की खेती होने लगी।
उत्तर भारत (उत्तर प्रदेश) में सबसे पहले समोसे में आलू भरकर बनाया गया और फिर इसके बाद समोसे ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
यह उत्तर भारत से होता हुआ पूरे भारत में प्रसिद्ध हो गया और आलू भरा होने के कारण हर कोई इसे बड़े चाव से खाने लगा।
आजकल समोसा तो किसी भी चीज से भरकर बना दिया जाता है।
अंग्रेजो ने समोसा सबसे पहले भारत में ही खाया।
अमीर खुसरो ने तो एक कहावत ही बना डाली की समोसा क्यों ना खाया और जूता क्यों ना पहेना।
आजकल नए नए प्रयोग समोसे के साथ किए जाते हैं और उतने ही चाव के साथ यह खाया जाता है।
अब तो समोसा भारत की पहचान बन चुका है।
Note-: समोसे को इंग्लिश में रिसोल (Rissole) भी कहा जाता है।
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