भारतीय इतिहास विषमताओं से भरा हुआ है। मुगल शासन वैसे भी बर्बर और नारी का अपमान करने के लिए जाना जाता था।
बहुत सी ऐसी घटनाएं हुईं हैं जिसमें मुगलों ने औरतों पर जुल्मों की इंतहा कर दी।
एक मुगल शासक ऐसा हुआ जिसने युद्ध में जानें से पहले अपनी 64 बेगम के सर कलम करवा दिए की अगर वो युद्ध हारा तो उसकी बेगम किसी और के हाथ ना लग जाएं।
ऐसी सनक किस मुगल शासक की थी आईए जानते हैं
अफजल खान ने किया था अपनी बेगमों का सर कलम
अफजल खान बीजापुर सल्तनत के आदिल शाही वंश का प्रधान सेनापति था।
अफजलखान बहुत ही बर्बर था और उसने बीजापुर सल्तनत का विस्तार अपनी तलवार की नोक पर किया था।
उसने अपने दम पर विजयनगर पर कब्जा कर लिया था। अफजल खान को सबसे खूंखार योद्धा माना जाता था और वह युद्ध में जीत के लिए किसी भी नीचता पर चला जाता था।
उस वक्त शिवा जी महाराज मराठों के सबसे ताकतवर राजा थे और मराठों का दमन करने के लिए बीजापुर सल्तनत ने अफजल खान को शिवाजी से युद्ध के लिए भेजा।
प्रतापगढ़ (जिला सतारा महाराष्ट्र) में शिवाजी महाराज और अफजल खान के बीच युद्ध (1659) होना था।
अफजल खान की सेना बहुत बड़ी थी और शिवाजी महाराज की सेना छोटी लेकिन अफजल खान शिवाजी और उनकी सेना की वीरता से परिचित था।
उसे युद्ध में हार का डर था इसलिए उसने युद्ध में जानें से पहले अपनी सारी 64 बेगमों को महल से खींच कर उन सबका सर कलम करवा दिया था।
उसे डर था की अगर वो युद्ध हार गया तो उसकी बेगमों का उपयोग उसके साथी या विजेता राजा कर सकता है।
उसने इस घृणित सोच के साथ अपनी सारी बेगमों को मरवा दिया।
युद्ध के दौरान वह छल से शिवाजी को मारना चाहता था इसलिए उसने शिवाजी महाराज को एक शांति वार्ता के लिए बुलवाया था और गले मिलने के बहाने वह शिवाजी महाराज की पीठ में खंजर मारने वाला था।
तभी शिवाजी महाराज ने अफजल खान के पेट को बाघनख से चीर दिया था और उसे वहीं खत्म कर दिया।
शिवाजी महाराज को अफजल खान की धूर्तता का अंदेशा था इसलिए वो पूरी तैयारी से गए थे।
अफजल खान को मारने के बाद शिवाजी महाराज उसका सर काट कर अपनी माता जीजाबाई के पास ले गए।
जीजाबाई ने अफजल खान का अंतिम संस्कार पूरे सम्मान से करने को कहा। उन्होंने कहा की भले ही वो हमारा दुश्मन था लेकिन मरने के बाद अब दुश्मनी भी खत्म हो गई।
इसके बाद शिवाजी ने पूरे सम्मान के साथ मुस्लिम रीत के साथ अफजल खान का अंतिम संस्कार करवाया।
शिवाजी महाराज ने दक्षिण पश्चिम में मुगल साम्राज्य को स्थापित नहीं होने दिया।
हिंदू राजा वैसे भी युद्ध के बाद हारे हुए शासकों की रानियों को हाथ नहीं लगाते थे बल्कि उनको ससम्मान उचित स्थान दिया जाता था।
जबकि मुग़ल ऐसे नहीं थे अफजल खान की 64 बेगमों की कब्र आज भी बीजापुर में स्थित है जो अफजल खान की हैवानियत दिखाती हैं।