जब भी हम हाईवे पर या एक्सप्रेसवे पर चार पहिया वाहन से यात्रा करते हैं तो हमें टोल टैक्स (Toll Tax) देना पड़ता है।
किसी को हाईवे या एक्सप्रैसवे बनाने में बहुत पैसा लगता है और सरकार इसको बनाने के लिए प्राइवेट कंपनियों को ठेका देती हैं।
इसमें लगी लागत और मुनाफा कमाने के लिए सरकार कंपनियों को टोल टैक्स वसूलने की जिम्मेदारी देती है।
यह एक निश्चित समय सीमा यानी की टेंडर की अवधि तक होता है।
हाईवे बनाने वाली कम्पनियां एक दी गई अवधि तक जनता से टोल टैक्स वसूल सकती हैं और इस अवधि के दौरान हाईवे के रखरखाव की जिम्मेदारी भी इन कंपनीज की होती है।
सरकार इन कंपनीज से टैक्स (Toll Tax) भी वसूलती हैं।
कई बार सरकार हाईवे खुद के नियंत्रण में भी रखती है।
सड़क की कीमत वसूलने के बाद सरकार टोल टैक्स कम कर देती है या खत्म कर देती है।
अधिकतर मामलों में दो टोल प्लाजा के बीच में 60 किलोमीटर की दूरी होती है।
टोल का किराया इस बात पर निर्भर करता है की सड़क कितने लेन की है, सड़क में कितने ब्रिज, टनल या बाईपास पड़ रहे हैं।
बाईक का टोल टैक्स (Toll Tax) क्यों नहीं लगता
बाईक या दो पहिया वाहनों से टोल टैक्स ना लेने के कई कारण है।
पहला कारण यह है की सड़क को सबसे ज्यादा नुकसान बड़े वाहन या चार पहिया वाहन करते हैं।
इसी कारण सड़क को ज्यादा मरम्मद की जरूरत होती है और इसमें ज्यादा खर्चा आता है।
इसलिए बड़े वाहनों से ज्यादा टोल (Toll Tax) लिया जाता है और छोटे चार पहिया वाहनों से कम और दो पहिया वाहन से नहीं लिया जाता क्योंकि उनसे सड़क को नुकसान नहीं पहुंचता।
इसके अलावा सरकार ये मानती है की दो पहिया वाहन चलाने वाले चार पहिया चलाने वाले वाहन की तुलना में आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं इसलिए उनसे टोल टैक्स नहीं वसूला जाता।
दो पहिया वाहन से टोल टैक्स (Toll Tax) ना वसूलने का एक कारण और होता है की सरकार यह मानती है की दो पहिया वाहन पूरा हाईवे का सफर नहीं करते।
इसलिए उनसे टोल टैक्स ना लिया जाए जबकि चार पहिया या बड़े वाहन पूरा हाईवे का सफर करते हैं।
बहुत ही कम लोग होते हैं जो लंबा सफर दो पहिया वाहन से तय करते हैं।
इसलिए सरकार उन्हें संदेह का लाभ देती है और उनसे टोल नहीं वसूलती।
दो पहिया वाहन का आकार भी कम होता है जिसके कारण वो हाईवे को ज्यादा नहीं घेरते और उनके कारण जाम लगने की संभावना कम होती है।
कई बार ऐसा होता है की टोल प्लाजा के आस पास गांव वालों को बार बार टोल क्रॉस करना पड़ता है इसलिए उन्हें टोल (Toll Tax) में छूट दी जाती है।
यह छूट ज्यादातर 15 से 20 किलोमीटर के अंदर पड़ने वाले गांव के लोगों को दिया जाता है।
हालांकि कई ऐसे टोल प्लाजा भी हैं जहां दो पहिया वाहनों को भी टैक्स देना पड़ता है जैसे यमुना एक्सप्रैसवे।
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