आपको सुनकर बहुत ही आश्चर्य हो रहा होगा की ये कैसे हो सकता है।
लेकिन ये सत्य है की गौतम बुद्ध श्री राम जी के पुत्र कुश के वंश में पैदा हुए थे।
बुद्ध इक्ष्वाकु वंश के थे और कालांतर में अयोध्या नगरी से दूर जाने के बाद बुद्ध के पुरखों ने कपिलवस्तु नगरी बसाई थी।
कपिलवस्तु कपिल मुनि के आशीर्वाद से बसाई गई थी। चलिए आपको वंशावली की विस्तृत जानकारी देते हैं।
श्री राम जी के दो पुत्र हुए लव और कुश। स्वर्ग की ओर प्रस्थान करते वक्त श्री राम ने अपना राज्य दोनों पुत्रों में बांट दिया।
लव को जो राज्य मिला उसे लव नगर कहा गया और आज के समय में उस राज्य को लाहौर के नाम से जाना जाता है।
कुश को जो राज्य मिला उसे कुश नगर कहा गया और आज उसे कसूर (पाकिस्तान) के नाम से जाना जाता है।
राजा लव से राघव राजपूतों का जन्म हुआ जबकि राजा कुश से कछवाह राजपूतों का वंश चला।
गौतम बुद्ध की वंशावली की विस्तृत जानकारी
महाभारत के युद्ध में श्रीराम के भी एक वंशज ने भाग लिया था।
उनका नाम था बृहदबल जो श्रीराम के ज्येष्ठ पुत्र कुश के वंश में श्रीराम से 32वीं पीढ़ी में जन्मे थे।
ये कोसल साम्राज्य के सबसे प्रतापी सम्राटों में से एक माने जाते हैं। इनके पिता का नाम विश्रुतावन्त था।
युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के समय पूर्व दिशा में अपनी दिग्विजय यात्रा के दौरान भीम ने इन्हे परास्त किया था।
बाद में दुर्योधन के वैष्णव यज्ञ के दौरान कर्ण ने अपने दिग्विजय में इन्हे परास्त किया।
ये थोड़ा अजीब लगता है किन्तु श्रीराम के इस वंशज ने युद्ध में पांडवों का नहीं बल्कि कौरवों का साथ दिया था।
युद्ध के 13वें दिन अभिमन्यु के हाथों ये वीरगति को प्राप्त हुए।
उनकी मृत्यु के पश्चात उनके पुत्र बृहत्क्षण ने कोसल राज्य की गद्दी संभाली।
हालाँकि कही कही ऐसा वर्णन है कि महाभारत काल तक कोसल प्रदेश उतना शक्तिशाली नहीं रहा और पांच भागों में बंट गया।
इन्ही में से एक “दक्षिण कोसल” के राजा बृहदबल थे जो बाद में बृहत्क्षण को मिला।
गौतम बुद्ध की वंशावली
गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व नेपाल के लुम्बनी नामक स्थान पर हुआ था।
गौतम बुद्ध की मां महामाया देवी जो की कपिलवस्तु की महारानी थी, वो जब देवदह जा रहीं थीं तो रास्ते में लुंबनी नामक वन में उन्होने सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध) को जन्म दिया।
सिद्धार्थ की माता का देहांत उनके जन्म के सातवे दिन ही हो गया था।
गौतम बुद्ध का गोत्र गौतम था और गौतम बुद्ध शाक्य वंश में जन्मे थे।
सिद्धार्थ के पिता का नाम सुद्धोधन था। कुश के वंश से ही कुशवाह, मौर्य, सैनी, शाक्य आदि राजवंश निकले।
कदाचित श्रीराम के वंश में जन्म लेने के कारण ही बाद में गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु के नवें अवतार के रूप में प्रचारित किया गया किन्तु ये सत्य नहीं है।
हमारे पुराणों में बुद्ध को नहीं अपितु बलराम को श्रीहरि का अवतार माना गया है।
सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध) ने यशोधरा से विवाह किया जिनसे उन्हें राहुल नामक पुत्र की प्राप्ति हुई।
चूँकि उनके पिता ने संन्यास ग्रहण कर लिया था इसी कारण अपने दादा शुद्धोधन के बाद सीधे उन्हें ही सिंहासन प्राप्त हुआ।
इनके पिता सिद्धार्थ ने हिन्दू धर्म छोड़ बौद्ध धर्म चलाया और राहुल को भी बौद्ध धर्म की दीक्षा दी।
गौतम बुद्ध का एक बेटा था जिसका नाम था राहुल।
राहुल जवानी की दहलीज पर कदम रखने से पहले ही सन्यास ग्रहण कर लिया था तथा शादी, विवाह या बच्चा पैदा नहीं किया था।
यही नहीं वह बुढ़ापा की दहलीज पर कदम रखने से पहले ही सर्प दंश के द्वारा काल के गाल में समा गया , उस समय गौतम बुद्ध अभी नश्वर जगत में अपने मत का प्रचार कर रहे थे ।
इसका मतलब गौतम बुद्ध का वंश उनके जीवन काल में ही खत्म हो गया।
आइए श्री राम जी की सम्पूर्ण वंशावली जानते हैं।
श्रीराम के दो पुत्र हुए – लव और कुश।
कुश के पुत्र अतिथि हुए।
अतिथि के पुत्र का नाम निषध था।
निषध के पुत्र नल हुए।
नल के पुत्र नभस हुए।
नभस के पुत्र का नाम पुण्डरीक था।
पुण्डरीक के क्षेमधन्वा नामक पुत्र हुए।
क्षेमधन्वा के देवानीक हुए।
देवानीक के अहीनगर हुए।
अहीनर के पुत्र का नाम रूप था।
रूप के रुरु नामक पुत्र हुए।
रुरु के पारियात्र नामक पुत्र हुए।
पारियात्र के पुत्र का नाम दल था।
दल के पुत्र शल हुए।
शल के पुत्र का नाम उक्थ था।
उक्थ के वज्रनाभ नामक पुत्र हुए।
वज्रनाभ से शंखनाभ हुए।
शंखनाभ के व्यथिताश्व नामक पुत्र हुए।
व्यथिताश्व से विश्वसह हुए।
विश्वसह के पुत्र का नाम हिरण्यनाभ था।
हिरण्यनाभ से पुष्य हुए।
पुष्य से ध्रुवसन्धि का जन्म हुआ।
ध्रुवसन्धि से सुदर्शन हुए।
सुदर्शन के पुत्र अग्निवर्णा थे।
अग्निवर्णा से शीघ्र नामक पुत्र हुए।
शीघ्र से मुरु हुए।
मरु से प्रसुश्रुत हुए।
प्रसुश्रुत के पुत्र का नाम सुगन्धि था।
सुगवि से अमर्ष नामक पुत्र हुए।
अमर्ष से महास्वन हुए।
महास्वन से विश्रुतावन्त हुए।
विश्रुतावन्त के पुत्र का नाम बृहदबल था।
बृहदबल के पुत्र बृहत्क्षण थे।
वृहत्क्षण से गुरुक्षेप का जन्म हुआ।
गुरक्षेप से वत्स हुए।
वत्स से वत्सव्यूह हुए।
वत्सव्यूह के पुत्र का नाम प्रतिव्योम था।
प्रतिव्योम से दिवाकर का जन्म हुआ।
दिवाकर से सहदेव नामक पुत्र जन्मे।
सहदेव से बृहदश्व हुए।
वृहदश्व से भानुरथ हुए।
भानुरथ से सुप्रतीक हुए।
सुप्रतीक से मरुदेव का जन्म हुआ।
मरुदेव ने सुनक्षत्र को पुत्र रूप में प्राप्त किया।
सुनक्षत्र से किन्नर नामक पुत्र हुए।
किन्नर से अंतरिक्ष हुए।
अंतरिक्ष से सुवर्ण हुए।
सुवर्ण से अमित्रजित् हुए।
अमित्रजित् के पुत्र का नाम वृहद्राज था।
वृहद्राज से धर्मी का जन्म हुआ।
धर्मी से कृतन्जय का जन्म हुआ।
कृतन्जय से जयसेन हुए।
जयसेन से सिंहहनु हुए।
सिंहहनु से शुद्धोदन का जन्म हुआ।
शुद्धोदन ने माया देवी से विवाह किया जिनसे इन्हे सिद्धार्थ नामक पुत्र की प्राप्ति हुई।
सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध) ने यशोधरा से विवाह किया जिनसे उन्हें राहुल नामक
पुत्र की प्राप्ति हुई।
बहुत से लोग ये कहते हैं की एक युग के बाद धरती पर प्रलय आती है लेकिन ये सही नहीं है।
एक युग नहीं बल्कि एक कल्प के बाद पृथ्वी का विनाश होता है। एक कल्प में 1000 महायुग होते हैं।
एक महायुग में ४ युग (सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलियुग) होते हैं।
दिए गए तथ्यों की प्रमाणिकता के विषय में कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
इस वंशावली में कई त्रुटियां हो सकती हैं।
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