हमारा ब्रह्मांड अनेक अकल्पनीय रहस्यों (Gems Rain) से भरा हुआ है और हम अभी तक इन रहस्यों का 1% भी जान नहीं पाए हैं।
अभी तक हम अपने सौर मंडल में मौजूद सभी ग्रहों और उपग्रहों के बारे में ही पूरी जानकारी प्राप्त नहीं कर सके हैं।
आपको ये तो पता ही होगा की हमारे सौर मंडल के चार ग्रहों पर हीरे की बारिश होती है और ये ग्रह हैं जूपिटर, शनि, नेपच्यून और यूरेनस।
हमारे ब्रह्मांड में कुछ जगह ऐसी भी है जहां रूबी और नीलम रत्नों की बारिश (Gems Rain) होती है।
आईए जानते हैं कौन की ऐसी जगह है जहां इन रत्नों की बारिश होती है, ये जगह हमारी पृथ्वी से कितनी दूर है और इस जगह पर इन रत्नों की बारिश (Gems Rain) क्यों होती है
क्यों होती है नीलम और रूबी रत्नों की (Gems Rain) बारिश
हमारी पृथ्वी से 1,044 प्रकाश वर्ष की दूरी पर एक ग्रह है Hat P-7-b
इस ग्रह पर नीलम और रूबी रत्नों की बारिश (Gems Rain) होती है और इसका कारण है इस ग्रह के वातावरण में मौजूद एल्यूमीनियम ऑक्साइड (Corundum) क्योंकि रूबी और नीलम रत्न इसी एल्यूमीनियम ऑक्साइड (Corundum) से बने होते हैं।
यह प्लैनेट हमारे ज्यूपिटर से भी लगभग 1.5 गुना बड़ा है और इसका दिन का तापमान लगभग 2,600°C और रात का तापमान 1900°C के आसपास रहता है।
यह प्लेनेट हमारे ज्यूपिटर की तरह ही एक गैस का बना हुआ प्लेनेट है और इसकी ग्रेविटी हमारी पृथ्वी से लगभग दो गुनी (17.36 m/s2)है।
यह एक ऐसे तारे का चक्कर लगा रहा है जिसका आकार हमारे सूर्य से लगभग डेढ़ गुना अधिक बड़ा है।
यहां पर हवाओं की रफ्तार ज्यूपिटर पर चलने वाली हवाओं से भी तेज होती है।
यह एक F टाईप स्टार है। F टाईप स्टार हल्के पीले रंग के होते हैं और इसका कारण इनका तापमान होता है जो 6000 केल्विन से 7000 केल्विन तक होता है।
F टाईप स्टार का तापमान G टाईप स्टार (हमारा सूर्य) से अधिक होता है। F टाईप स्टार्स का भार हमारे सूर्य से ज्यादा होता है और इनका आकार भी सूर्य से 1.4 गुना तक बड़ा होता है।
F टाईप स्टार्स की आयु हमारे सूर्य की आयु से कम होती है क्योंकि ये अपने अंदर का ईंधन बहुत जल्दी खत्म कर देते हैं।
F टाईप स्टार्स के पास ऐसे ग्रहों की संख्या अधिक हो सकती है
जहां जीवन पनपने योग्य स्थिति हो सकती है। Procyon A और Delta Scuti इस तरह के स्टार्स (F टाईप) के बेहतरीन उदाहरण हैं।
यह प्लेनेट टाइडली लॉक है जैसा हमारा चंद्रमा, टाइडल लॉक का मतलब होता है की इसका एक तरफ हमेशा इसके सूर्य की तरफ होता है।
इस प्लैनेट की खोज सन् 2008 में की गई थी।
यह प्लेनेट इसके ऊपर पड़ने वाली लगभग सभी प्रकाश (97%) को अवशोषित कर लेता है।
इसी वजह से यह प्लेनेट अब तक के ज्ञात सबसे अंधेरे (Darkest) प्लेनेट में से एक माना जाता है।
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