भारत में मुगल इतिहास क्रूरता, लूटपाट और अपमान से भरा पड़ा है।
जिस तरह मुगलों ने भारत को लूटा, मंदिरों को नष्ट किया और यहां की नारियों का अपमान किया ठीक उसी तरह का अपमान मुगलों की औरतों को भी झेलना पड़ा।
मुगल वंश का अंत आते-आते मुगल वंश इतना कमजोर हो चुका था की आखिरी मुग़ल शासकों में से एक शाह आलम द्वितीय की आंखों को फोड़कर भरी महफिल में सबके सामने ही उनकी बहू-बेटियों को नंगा करके नचवाया गया और सबके सामने सम्बंध बनाये गए।
शाह आलम द्वितीय के बाद बहादुर शाह जफ़र आखिरी मुग़ल शाशक बनें, शाह आलम को अली गौहर भी कहा जाता है।
आईए जानते हैं की किस राजा ने इस घटना को अंजाम दिया था
गुलाम कादिर की हैवानियत
गुलाम कादिर ने सन् 1788 में ऐसा काम किया जिसकी कल्पना मुग़ल शासकों क्या किसी ने भी नहीं करी थी।
गुलाम कादिर अपने दानवी अत्याचारों के लिए कुख्यात था और उसमें शर्म, क्षमा और दया नाम की चीज रत्ती भर भी नही थी।
गुलाम कादिर रुहेलखंड का शासक भी रहा था।
वह लूट पाट, हत्या, शराब और अत्याचार में ही लिप्त रहता था।
गुलाम कादिर लूट के लिए अपने 2,000 सैनिकों के साथ सीधे आखिरी मुग़ल शासकों में से एक शाह आलम द्वितीय के दरबार में पहुंच गया।
वहां उसने शाह आलम द्वितीय से खज़ाने की जानकारी मांगी तो शाह आलम द्वितीय ने मना कर दिया।
गुलाम कादिर ने गुस्से में शाह आलम द्वितीय को सिंहासन से धक्का दे कर गिरा दिया और हुक्के का धुआं शाह आलम द्वितीय के मुंह पर फूंकता हुआ बोला की खजाना बता दो अन्यथा बहुत बुरा होगा।
जब घबराए हुए शाह आलम द्वितीय ने कहा की उनके पास कुछ भी नहीं है तो उसने अपने सैनिकों को राजमहल और खजाने को लूटने का आदेश दे दिया।
कई दिनों तक उसने शाह आलम द्वितीय और उनके परिवार को बंदी बना कर रखा और कुछ भी खाने-पीने को नहीं दिया।
उसने शाह आलम द्वितीय की आंखे चाकू से फोड़ कर निकाल लीं और दरबार में मौजूद चित्रकार से इस घटना की तस्वीर बनाने को कहा।
गुलाम कादिर ने खजाने की खोज में शाह आलम द्वितीय के पूरे परिवार को लाल किले में ही 68 दिन तक बंदी बना कर खूब हैवानियत करी।
वह रोज शाह आलम द्वितीय की बहू-बेटियों को नंगा करके भरे दरबार में उनसे नाच करवाता था।
उसके बाद अपने सैनिकों से सबके सामने शाह आलम द्वितीय की बहु बेटियों से रोज सबके सामने सम्बंध बनाये जाते थे।
शाह आलम द्वितीय को उसने अंधा कर दिया था इसलिए बादशाह कुछ देख नहीं पाते थे और वो गुलाम कादिर से गिड़गिड़ाया करते थे की खुदा के लिए उनको मार दे और इस नर्क से मुक्ति दे।
लेकिन गुलाम कादिर ने 68 दिन तक लाल किले में ये नंगा नाच किया।
गुलाम कादिर के साथ उसका वफादार मित्र इस्माइल बेग भी था जिसने गुलाम कादिर का भरपूर साथ दिया।
लेकिन गुलाम कादिर ने इस्माईल बेग के साथ धोखेबाजी करके पूरा पैसा और खजाना खुद रख लिया।
इस बात से नाराज होकर इस्माईल बेग ने जाकर मराठा राजाओं से ये बात बताई।
मराठाओं को जब गुलाम कादिर की लाल किले में की गई इस हैवानियत का पता चला तो वो इस्माईल बेग की सहायता के लिए तैयार हो गए।
हिंदु राजाओं में भले ही आपस में फूट हो लेकिन वो महिलाओं के सम्मान से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करते थे।
मराठा राजा महादजी शिंदे जिन्हें महादजी सिंधिया भी कहा जाता था ने इस्माईल बेग के साथ अपनी सेना भेज दी ताकी वो गुलाम कादिर को पकड़ सकें।
महादजी सिंधिया की सेना ने गुलाम कादिर को पकड़ कर उसके साथ वैसा ही किया जैसा गुलाम कादिर ने शाह आलम द्वितीय के साथ किया था।
गुलाम कादिर की दोनों आंखे फोड़ दी गईं और 4 मार्च 1789 को उसका सिर काट कर पेड़ पर लटका दिया गया।
इस तरह महादजी सिंधिया ने शाह आलम द्वितीय महिलाओं के साथ हुए अपमान का बदला लिया।
यह घटना मुगलों के इतिहास की सबसे शर्मनाक घटना मानी जाती है।
गुलाम कादिर ने ऐसा जघन्य कांड क्यों करवाया
गुलाम कादिर एक अफगान लड़ाका और रोहिल्ला अफगान जबिता खान का बेटा था।
जबिता खान को शाह आलम द्वितीय ने 29 दिसंबर 1770 को मुगल सेना का प्रमुख बनाया था।
जब किसी बात पर नाराज होकर जबिता खान ने शाह आलम द्वितीय का कहना मानने से इंकार कर दिया था तो शाह आलम द्वितीय ने जबिता खान को बंदी बना कर मार दिया था।
जहां जबिता खान रह रहा था पत्थर गढ़ का किला, उसमे मौजूद सभी औरतों से जबरदस्ती सम्बन्ध बनाये गए।
गुलाम कादिर की बहन के साथ भी यही हुआ और गुलाम कादिर को शाह आलम द्वितीय ने अपने साथ रख लिया क्योंकि वह बहुत खूबसूरत था।
गुलाम कादिर देखने में बहुत ही खूबसूरत था और जैसे-जैसे गुलाम कादिर जवान हुआ वह और भी खूबसूरत, लंबा चौड़ा और कसी हुई छाती का नौजवान था।
कोई भी उस पर मोहित हो जाता था।
शाह आलम द्वितीय ने उसके साथ बचपन से ही कई बार अप्राकृतिक संबंध बनाएं।
जब वह बड़ा हुआ तो शाह आलम द्वितीय की हरम की औरतें गुलाम कादिर में दिलचस्पी लेने लगीं।
यह बात शाह आलम द्वितीय को नागवार गुजरी और शाह आलम द्वितीय ने गुलाम कादिर को धोखे से बेहोश करके इसके जननांग काट कर उसकी मर्दानगी खत्म कर दी।
गुलाम कादिर का अत्याचार, लूट पाट, हिंसा और नफरत से भरा हुआ व्यवहार इसी घटना का नतीजा था।
जानें माने इतिहासकार सर जादूनाथ सरकार, डॉक्टर आशीर्वाद लाल श्रीवास्तव और फिरदौस अनवर ने अपनी किताबों में इस घटना का सम्पूर्ण और विस्तार से वर्णन किया है।
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