महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में ही क्यों हुआ था

हमारे पौराणिक युद्धों में महाभारत का युद्ध एक विशेष स्थान रखता है।

महाभारत के युद्ध से ही हमारे पवित्र धार्मिक ग्रंथ गीता का जन्म हुआ।

अधर्म पर धर्म की जीत की ये महागाथा के हर क्षण में कोई ना कोई कहानी, कोई ना कोई सीख है।

महाभारत के युद्ध के लिए कुरुक्षेत्र ही क्यों चुना गया इसके पीछे भी एक रोचक और प्रेरणा दायक कहानी है।

महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में ही क्यों हुआ था

जब पांडवो ने वनवास व अज्ञातवास पूरा कर लिया तो वे धृतराष्ट्र के पास अपना राज वापस लेने के लिए गए और दुर्योधन ने उनको सुई की नोंक के बराबर भी भूमि देने से मना कर दिया।

श्री कृष्ण जी ने भी युद्ध रोकने के लिए खुद दूत बन कर राज्य सभा में गए किंतु कोई हल ना निकला।

कुरुक्षेत्र में ही महाभारत का युद्ध क्यों हुआ?
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कुरुक्षेत्र में ही क्यों लड़ा गया था महाभारत युद्ध?

युद्ध उसी वक़्त निश्चित हो गया था और भीष्म ने श्री कृष्ण जी से युद्ध के लिए एक उपयुक्त भूमि खोजने को कहा था।

श्री कृष्ण जी को पता था कि ये युद्ध मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध होगा और इस युद्ध से ही मानवता के लिए रास्ता निकलेगा।

श्री कृष्ण जी को ये भी पता था कि ये युद्ध ऐसा होगा जिसमें सगे संबंधी आमने सामने युद्व में होगे तो इसके लिए ऐसी भूमि देखी जाए जिसका इतिहास कठोर हो कहीं ऐसा ना हो कि युद्व में अपनों को सामने देख कर सबका मन युद्व से विमुख हो जाए और अगर ऐसा होता तो ये मानव समाज की शांति और भलाई के लिए बिल्कुल भी अच्छा ना होता।

श्री कृष्ण जी ने अपने गुप्तचर सभी दिशाओं में छोड़ दिया की वो जाए और ऐसी निर्मम भूमि की तलाश करें।

कुछ समय बाद उनके गुप्तचरों ने उनको एक अजीब जगह के बारे में बताया।

गुप्तचरों ने बताया कि उन्होंने एक जगह पर देखा कि “दो भाई साथ मिलकर खेती कर रहे थे तभी वहां पर बारिश होने लगी और बड़े भाई ने छोटे भाई से खेत में मेड बनाने को कहा ताकि पानी दूसरे खेत से अपने खेत में ना घुसने पाए।

ये सुनकर छोटे भाई ने कहा कि आप अपना काम स्वयं कर ले मै आपका दास नहीं हूं।

ये सुनकर बड़े भाई को बहुत गुस्सा आया और उसने अपने खड़ग से छोटे भाई की हत्या कर दी और उसके शव से ही खेत में मेड बना दिया।”

यह सुनकर कृष्ण आश्चर्यचकित रह गए उन्होंने गुप्तचरों से उस भूमि का नाम पूछा तो गुप्तचरों ने कुरुक्षेत्र नाम बताया।

श्री कृष्ण जी समझ गए ये वही भूमि है जहां भगवान परशुराम ने इक्कीस बार क्षत्रियों को मार कर वहां क्षत्रियों के खून से पांच सरोवर बना दिए थे।

उनको पता था ऐसी भूमि पर एक दूसरे के प्रति दया का भाव उत्पन्न हो ही नहीं सकता और उन्होंने इसी भूमि को महाभारत का युद्ध के लिए चुना।

उस काल में इसी भूमि पर बहुत से अनैतिक तरीके से वीरो का संहार हुआ जैसे अभिमन्यु, द्रोणाचार्य इत्यादि।

इसके अलावा एक और कहानी प्रचलित है कि देवराज इंद्र ने परशुराम जी को कहा था कि जो भी कुरुक्षेत्र में प्राण त्याग करेगा वो सीधे स्वर्ग जाएगा और श्री कृष्ण जी भी यही चाहते थे कि सारे महावीर मृत्यु के बाद स्वर्ग जाए।

 

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