किसी देश के पास परमाणु हथियार होना उस देश की सुरक्षा की गारंटी होता है।
अगर किसी देश के पास परमाणु हथियार है तो कोई अन्य देश उसपर हमला करने से पहले 100 बार सोचेगा।
क्योंकि अगर सामने वाले देश ने परमाणु हमला कर दिया तो भयानक तबाही मच सकती है।
इसलिए परमाणु संपन्न देशों की जिम्मेदारी भी बहुत होती है की यह हथियार किसी गलत हाथ में ना चले जाएं या कोई देश आवेश में आकर इसका उपयोग ना कर ले।
इसीलिए विश्व के सभी देश इस बात में चौकन्ने रहते हैं की कोई नया देश परमाणु बम ना बना ले।
पूरे विश्व में इस समय 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं।
ये देश हैं अमेरिका, रूस, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजरायल और उत्तरी कोरिया।
किस देश ने सबसे पहले परमाणु बम बनाया
अमेरिका ऐसा पहला देश था जिसने सबसे पहले परमाणु बम बनाया इसके साथ ही अमेरिका ऐसा पहला देश भी है जिसने परमाणु बम का युद्ध में इस्तेमाल भी किया।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रूजवेल्ट ने मनहट्टन प्रॉजेक्ट के नाम से अमेरिकी परमाणु कार्यक्रम शुरू करवाया।
अल्बर्ट आइंस्टीन और अन्य भौतिक वैज्ञानिकों ने सन् 1939 में ही अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रूजवेल्ट को लैटर लिख कर चेतावनी दी थी की नाजी जर्मन परमाणु बम पर काम कर रहे हैं।
अमेरिका को डर था की जर्मन उनसे पहले परमाणु हथियार ना बना लें।
यह प्रोजेक्ट अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन का ज्वाइंट वेंचर था।
16 जुलाई 1945 को अमेरिका ने अपना पहला सफल परिक्षण “ट्रिनिटी टेस्ट” किया और इसका प्रभाव 20 किलो टन का था।
यह पूरा परमाणु कार्यक्रम अमेरिकी वैज्ञानिक जुलियस रॉबर्ट ओपनहाईमर के नेतृत्व में हुआ था।
इन्हें ही अमेरिकी परमाणु कार्यक्रम का जनक कहा जाता है।
ट्रिनिटी टेस्ट परमाणु विखंडन पर आधारित था।
ट्रिनिटी का परिक्षण न्यू मैक्सिको में हुआ था और प्लूटोनियम 239 को मुख्य पदार्थ के रूप में इस्तेमाल किया गया था।
इस समय अमेरिका ने 3 परमाणु बम बना लिए थे।
अमेरिका ने प्लान बना लिया था की अगर जापान पीछे नहीं हटेगा तो उस पर परमाणु बम गिरा देंगे।
6 अगस्त 1945 को यूरेनियम गन डिजाइन बम जिसका नाम लिटिल ब्वॉय था हिरोशिमा पर गिरा दिया गया था और इससे 15 किलो टन टीएनटी की ऊर्जा निकली थी और 70,000 लोग मारे गए थे।
तीन दिन बाद 9 अगस्त को अमेरिका ने नागासाकी पर एक दूसरा परमाणु बम “फैट मैन” गिरा दिया था जिसमें 20 किलो टन टीएनटी ऊर्जा निकली थी और 35,000 लोग मारे गए थे।
15 अगस्त 1947 को अमेरिकी परमाणु कार्यक्रम “मनहट्टन” को बंद कर दिया गया था।
हालंकि इसके बंद होने के कुछ समय पहले यानी की 1 जनवरी 1947 को एटॉमिक एनर्जी कमिशन (AEC) शुरु कर दिया था।
अमेरिका के बाद रूस ने अगस्त 1949 में अपना पहला परमाणु परिक्षण, RDS 1 जिसे फर्स्ट लाइटनिंग भी कहा जाता है, किया।
इसके बाद यूनाइटेड किंगडम ने 3 अक्टूबर 1952 को अपना पहला परमाणु परिक्षण किया जिसे “ऑपरेशन हरिकेन” के नाम से जाना जाता है।
इसके बाद अन्य देश जैसे फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इसराइल और उत्तरी कोरिया ने अपने सफल परमाणु परिक्षण किए।
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