साईं बाबा को हिन्दू एक भगवान् की तरह पूजते हैं और आजकल हर जगह आपको साईं बाबा का मंदिर मिल जाएगा और लगभग सभी घरों में साईं बाबा की मूर्ति मिल जाएगी।
हिन्दू हर किसी संत एवम् प्रख्यात व्याक्ति को पूजने लगता है बिना उसके बारे में जाने।
हिन्दू मस्जिद भी जाएगा, चर्च भी जाएगा और हर किसी प्रभावकारी व्याक्ति को पूजने लगेगा।
क्यूकी हमारा हिन्दू समाज बहुत ही उदारवादी है और यहां हर किसी को अपने हिसाब से भक्ति करने का अधिकार है।
आपने सुना होगा कि कई जगह प्रख्यात अभिनेता का मंदिर बना है या कोई गांधी जी को पूजता है या आजकल बहुत से बाबाओं को भगवान् का दर्जा दे दिया गया है और लोग पूजने भी लगे हैं।
इन्हीं सब का फायदा उठाते हुए अन्य धर्म के लोगो ने बहुत ही आसानी से कुछ लोगो को भगवान् के रूप में हिन्दुओं के बीच स्थापित कर दिया जैसे साईं बाबा।
हिंदू धर्म में लोगो को भ्रमित करने एवम् ईश्वर से विश्वास उठाने को ये पाखंड सदियों से किया जा रहा है।
लोगो को विश्वास दिलाया जाता है कि अगर शिव जी या राम जी की पूजा करने से फायदा ना हो रहा हो तो फलां बाबा या साईं बाबा की पूजा कर लो फायदा मिलेगा और मूर्ख हिन्दू इन सब चक्करों में पड़ कर नए नए भगवान् बनाता जा रहा है।
कभी साईं बाबा तो कभी, आशा राम तो कभी राम रहीम तो कभी निर्मल बाबा।
ना जाने कितने ढोंगियों को हमने भगवान् का दर्जा दे कर अपने घर एवम् मंदिर में स्थान दे कर रखा हुआ है।
और बाद में जब किसी बाबा का कांड खुलता है तो बदनामी उस बाबा की नहीं बल्कि हिंदू धर्म की होती है।
हमारे धर्म मे ये कहा गया है कि जो सज्जन है, संत है या एक अच्छा इंसान है उसका सम्मान करो
लेकिन हम लोगो ने अपने फायदे एवम् अंधविश्वास के चक्कर में उन सबको भगवान् का दर्जा दे दिया है।
साईं बाबा हिंदू है या मुस्लिम
साईं बाबा को हम बिना कुछ जाने समझे पूजते है लेकिन क्या आपको पता है साईं बाबा हिंदू है या मुस्लिम?
साईं बाबा एक मुस्लिम थे साईं शब्द फारसी का है जिसका अर्थ होता है संत।
उस समय भारत के पाकिस्तानी हिस्से में मुस्लिम संत के लिए साईं शब्द का प्रयोग होता था।
शिरडी में जिस मंदिर में साईं जा कर रुके वहां के पुजारियों ने उनको साईं कहा क्युकी देखने में वो एक मुस्लिम फकीर लगे।
कोई भी हिंदू संत माथे पर कफ़न जैसा कपड़ा नहीं पहनता सिर्फ मुस्लिम फकीर ही ऐसा कपड़ा बांधते हैं।
हिन्दू धर्म में तो सर पर सफेद कपड़ा बांधना वर्जित है और साईं बाबा हमेशा सर पर सफेद कपड़ा बांधे रहते थे जो की मुस्लिम फकीर की निशानी है।
पुस्तक साई सत्चरित्र अध्याय 5, 14, 50 साईं बाबा बीडी चिलम पीते थे और अपने भक्तो को भी पीने के लिए देते थे, जिस कारण उन्हें दमा था, साईं बाबा खाने के समय फातिहा कुरान पढ़ते थे
साईं बाबा ने रहने के लिए मस्जिद का ही चयन क्यों किया जबकि शिरडी में और भी जगह थीं या वो नीम के पेड़ के नीचे कुटिया बना कर भी रह सकते थे या किसी मंदिर में जबकि भारत में मंदिर में रहना बहुत ही आसान है।
साईं ने कभी ये नहीं कहा कि “सबका मालिक एक है” वो तो हम टीवी सीरियल देख कर पूजने लगे अन्यथा साईं बाबा हमेशा कहते थे कि “अल्लाह मालिक है” वो यह भी बोल सकते थे कि सबका मालिक भगवान् है या सबका मालिक राम है या सबका मालिक कृष्ण है।
आप इस बात की जांच के लिए साईं सच्चरित्र ४,५,७ पड़ सकते हैं।
साईं बाबा लोगों से कहते थे कि पूजा, पाठ और योग करने की कोई जरूरत नहीं है और वे मस्जिद से बर्तन मंगवा कर फातिहा पड़ने को कहते थे इसके बाद ही भोजन करते थे।
कभी उन्होंने ये क्यों नहीं कहा कि भोजन का श्री गणेश करो।
बहुत से लोग कहते हैं कि साईं बाबा ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए थे तो उनकी जानकारी के लिए ये समझ लीजिए कि कोई ब्राह्मण मस्जिद में रहना क्यों पसंद करेगा और ना ही कोई ब्राह्मण सर पर कफ़न जैसा कोई कपड़ा बंधेगा।
साईं बाबा के समय में एक बार प्लेग फैला तो उन्होंने गांव के लोगो को गांव से बाहर जाने से मना कर दिया जिससे हुआ ये को प्लेग बाहर से गांव में नहीं आ पाया और लोगों ने ये प्रचारित कर दिया कि उन्होंने प्लेग को खत्म कर दिया और इसे भोले भाले लोग चमत्कार मानने लगे।
शायद आपको ये नहीं पता होगा की साईं बाबा का असली नाम चांद मियां था।
ज्यादातर लोग साईं को यवन का मुस्लिम मानते थे।
आज तक मैंने जितने भी साईं मंदिर देखे है उन सभी में साईं की मूर्तियां बहुत ही सुन्दर और मनमोहक होती है,
असल में एक पूरी योजना के साथ झूठ का प्रचार करके साईं को मंदिरों में बिठाने का षड्यंत्र 1992 में श्री रामजन्मभूमि के बाद शुरू हुआ,
जिसका उद्देश्य था राम के नाम पर उग्र हो चुके हिन्दुओ के जोश को ठंडा करके एक ऐसा विकल्प देना जिसके पीछे भाग कर हिन्दू राम को भूल जाए,
आज जितने देश में राम मंदिर है उतने ही साईं के मस्जिद रूपी मंदिर बन चुके है,
हर राम मंदिर में राम जी के साथ साईं नाम का अधर्म बैठा हुआ है,
अधिकतर साईं के मंदिर 1980 के बाद ही बने है तब इस्लामिक संगठनो द्वारा साईं के प्रचार के लिए बहुत अधिक धन लगाया गया, साईं बाबा ने खुद को पास वाले मंदिर में इस्लामिक रीती रिवाज से पूजने की बात कही थी, जिसके बाद मंदिर में ही गड्ढा खोद कर उन्हें वहां दफना दिया गया था,
कई लोग ये मानते हैं कि साईं बाबा ने उनके जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन लाए या उनके कारण उनके जीवन की अभिलाषा या इच्छा पूरी हो गई तो कई बार जीवन में ऐसा होता है कि हम मन से जो काम करते है या जिसकी अभिलाषा करते है वो हमारे जीवन में हो जाता है और हम इसे किसी बाबा का चमत्कार मान लेते है।
किसी भी इंसान को ईश्वर का दर्जा ना दे और अगर उसके कर्म अच्छे है तो उसे आप एक सज्जन या संत पुरुष मान सकते हैं उसका सम्मान करिए लेकिन किसी भी इन्सान की पूजा करके उसे भगवान का दर्जा दे कर अपने धर्म का अपमान ना करें।
जय श्री राम।
नहीं साईं बाबा ईश्वर नहीं थे बल्कि एक बहुत अच्छे संत ईश्वर को मानने वाले सत्य कि रह पर चलने वाले व्यक्ति थे
agree
क्या साई मंदिर में मुस्लिम माथा टेकते हैं? मेरे ख्याल से नही, क्योंकि अल्लाह के सिवाय वे किसी बूत का आगे माथा नही टेकते। तो क्या वे साई को नही मानते। अगर नही मानते तो हवा से एक बूत खड़ा किये और हीदुओं को कह दिया यह भगवान है,माथा टेक। ऐसे और कितने बूत बनाये गए हैं।
Bahot der kar dee is gyani purush ne janam lene mein
Bilkul sahi…
ना हिंदु संकीर्ण हैं ना हिंदु धर्म संकीर्ण है ये मुस्लिम थे जिन्होंने अपने पैगंबर मुहम्मद हत्या की थी और ये हिंदू थे जिनको मुस्लिम संत साँई बाबा को अपने प्राणो से अधिक प्रे म था वे रोए तब बाबा समाधि से उठे थे
ये मुस्लिम पहले भी राक्षस थे और आज भी राक्षस है अगर मुहम्मद आज होते तो ये आज भी उनकी हत्या करते धर्म शब्द का अर्थ नहीं मालुम है और अपने को जेहादी कहते है और हिंदुओं की उदारता को ये कायरता समझते है
जब से भारत मे 📺tv आया तब से sai भगवान बना कांग्रेस के टाईम से वरना 2010 से पहले कोई sai को नही जनता था
Oooo
Good
साईं एक मुस्लिम फ़क़ीर थे इसके अतिरिक्त कुछ नहीं। वो हिंदुओं के पूजने लयक क़तई नहीं है। ये हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को कुचलने की राजनीतिक चाल थीं जिसे हिंदू लोग नहीं समझे न समझने के करण ऐसा होता चाल आ रहा है ये अत्यंत निंदनीय है।
साई एक चुतियापा है और कुछ नही।
Sai ek muslim he or uski pooja hindu ke liye saap jesa he
Hindu se Bada murkh is dharti per Koi prani nahin hai mere bhai