क्या आपको पता है की सौरमंडल का सबसे बड़ा उपग्रह कौन सा है, अगर आप टाइटन सोच रहें हैं तो आप गलत हैं।
टाइटन हमारे सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा उपग्रह है जबकि हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा उपग्रह ब्रहस्पति ग्रह का चन्द्रमा गैनीमेड (Ganymede) है।
गैनीमेड (Ganymede) के आकार का अनुमान इस बात से लगा सकते हैं की यह गैनीमेड बुध ग्रह से भी 8% अधिक बड़ा है और पृथ्वी के चंद्रमा से 2.2 गुना बड़ा है।
हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा उपग्रह गैनीमेड
गैनीमेड (Ganymede) की खोज गैलीलियो ने 1610 में की थी।
गैलीलियो ने जुपिटर के चार चंद्रमा की खोज की थी जिन्हें हम गलीलियन मून कहते हैं, और यह चारों चंद्रमा हैं आईओ, यूरोपा, गैनीमेड और कैलिस्टो।
यह चारों जुपिटर के सबसे बड़े चंद्रमा हैं।
गैनीमेड (Ganymede) ब्रहस्पति से दूरी के हिसाब से तीसरा चंद्रमा है और यह 7 दिन और 3 घण्टे में ब्रहस्पति के एक चक्कर पूरा कर लेता है।
चूँकि इसका एक हिस्सा हमेशा ब्रहस्पति की तरफ रहता है इसलिए इसका एक दिन भी 7 दिन और 3 घण्टे का होता है।
इसका आकार बुध ग्रह से भी बड़ा है लेकिन इसका भार बुध ग्रह से 45% कम है। यह पूरा सिलिकेट की चट्टानों और बर्फ से बना हुआ है।
गैनीमेड (Ganymede) पूरी तरह बर्फ से ढका हुआ है और बर्फ की परत के अंदर पानी का विशाल महासागर है।
गैनिमीड (Ganymede) के वातावरण में ऑक्सीजन पाई जाती है लेकिन यह इतनी कम है कि इस पर जीवन संभव नहीं है। यह माना जाता है कि गैनिमीड (Ganymede) पर ये ऑक्सीजन सोलर रेडिएशन के कारण बर्फ के टूटने पर बनी है।
चूँकि इसका भार काफी कम है इसलिए यह कोई भी वायुमंडल संभाल कर नहीं रख सकता और यही कारण है की इसमें कोई वायमंडल नहीं है।
गैनीमेड का खुद का मैगनेटिक फील्ड है जिसके कारण यह सूर्य से आने वाले खतरनाक रेडिएशन से खुद को बचा लेता है।
गैनीमेड (Ganymede) का कोर आयरन और निकिल से बना है और इसी कोर के कारण ही गैनीमेड का खुद का मैगनेटिक फील्ड है।
गैनीमेड के अंदर पानी का अथाह भंडार है जो दो बर्फ की परतों के बीच में सिमटा है।
गैनीमेड का औसत तापमान -163 डिग्री रहता है।
इस पर मानव के जीवन की संभावनाओं की जानकारी के लिए नासा के दो मिशन 2023 और 2034 में भेजे जाने हैं।
गैनीमेड (Ganymede) के पास से गुजरने वाला पहला मानव निर्मित उपग्रह पायनियर 10 था जो सन् 1973 में इसके पास से गुजरा था।
इसके बाद पायनियर 11, वॉयजर 1 और वॉयजर 2 भी इसके पास से गुजरे थे और बहुत सारी पिक्चर भेजी थी।
इसके बाद कई सारे मानव निर्मित उपग्रहों ने इसकी पिक्स भेजी थीं।
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