आज हम जानेंगे रोग प्लैनेट (Rogue Planets) के बारे में की ये क्या होते हैं और कैसे बनते हैं?
ब्रह्मांड में मौजूद ग्रह, तारे, तारामंडल और गैलक्सी सब किसी ना किसी ऑब्जेक्ट के चक्कर लगा रहे हैं। ब्रह्मांड में मौजूद प्रत्येक वस्तु का किसी ना किसी से सम्पर्क जरूर है।
जैसे चंद्रमा हमारी पृथ्वी के चक्कर लगाता है, पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाती है, सूर्य हमारी गैलेक्सी दुग्ध मेखला (Milky Way) के केंद्र का चक्कर लगाता है।
मिल्की वे अन्य अकाशगंगाओं के साथ मिलकर किसी अज्ञात स्रोत की तरफ जा रही है। मतलब ब्रह्मांड में मौजूद हर चीज किसी ना किसी बल से एक दूसरे से जुड़ी हुई है।
लेकिन हमारे ब्रह्मांड में कुछ ऐसी चीजें भी हैं जो स्वतंत्र रूप से इधर-उधर घूम रहीं हैं और उनका किसी भी ऑब्जेक्ट से कोई संबंध नहीं है।
ऐसे प्लैनेट जो किसी भी तारे या सौरमंडल का हिस्सा नहीं हैं और जो स्वतंत्र रूप से कहीं भी घूम रहें हैं उनको ही रोग ग्रह (Rogue Planets) कहते हैं।
रोग प्लैनेट को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे Nomad Planet, Interstellar Planet, Orphan Planet ईत्यादि।
पृथ्वी के सबसे पास रोग प्लैनेट (Rogue Planets) कौन सा है
हमारी आकाशगंगा दुग्ध मेखला (Milky Way) में 100 मिलियन से अधिक रोग प्लैनेट हो सकते हैं, जिनमें से अभी तक 170 रोग प्लैनेट खोजे जा चुके हैं।
रोग प्लैनेट (Rogue Planets) का आकार प्लूटो से लेकर जुपिटर से बड़ा भी हो सकता है। पृथ्वी के सबसे पास का रोग प्लैनेट WISE 0855−0714 है और यह पृथ्वी से मात्र 7.43 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है।
पहले यह भी किसी सोलर सिस्टम का हिस्सा था लेकिन किसी कारणवश यह अपनी कक्षा से भटक गया और एक रोग प्लैनेट बन गया।
रोग प्लैनेट की खुद की कोई रोशनी नहीं होती और ये बिल्कुल भी चमकदार नहीं होते इसलिए इनकी पहचान करना मुश्किल होता है।
रोग प्लैनेट बहुत ठन्डे होते हैं क्युँकि इनका कोई सूर्य नहीं होता इसलिए इनको गर्मी नहीं मिल पाती है।
अधिकतर रोग प्लैनेट ब्राउन ड्वार्फ प्लैनेट (Brown Dwarf Planet ) होते हैं।
रोग प्लैनेट के लक्षण क्या हैं
रोग प्लैनेट (Rogue Planets) चूंकि किसी भी तारे से जुड़े नहीं होते हैं इसलिए यह कोई भी प्रकाश और गर्मी प्राप्त नहीं कर पाते हैं।
इनकी ऊर्जा का स्रोत इनके अंदर हो रही रेडियोएक्टिव क्षरण (Decay) ही होती है।
अधिकतर रोग प्लैनेट बहुत ही ठंडे होते हैं।
सामान्यता रोग प्लैनेट में कोई वातावरण नहीं होता है और अगर कुछ रोग प्लैनेट में वातावरण पाया जाता है तो इनकी ग्रैविटी और अंदरूनी तापमान के कारण वहां ग्रीन हाउस प्रभाव बन जाता है।
रोग प्लैनेट (Rogue Planets) के अंदर बड़े विशालकाय सागर भी हो सकते हैं।
रोग प्लैनेट (Rogue Planets) बनने का कारण
रोग प्लैनेट बनने के कई कारण होते हैं जैसे-:
जब कोई दो प्लैनेट एक दूसरे के काफी नजदीक आ जाते हैं या एक दूसरे से टकरा जाते हैं तो किसी एक प्लैनेट की दिशा भटक जाती है और वो अपने ऑर्बिट से हटकर कहीं भी चला जाता है और रोग प्लैनेट बन जाता है।
इसके अलावा जब किसी तारे का मास अचानक से खत्म हो जाता है (सुपरनोवा विस्फोट) तो इसके आस पास चक्कर लगा रहे ग्रह अपनी कक्षा से भटक जाते हैं और कहीं भी इधर उधर घूमने लगते हैं, यही रोग प्लैनेट बन जाते हैं।
क्या होगा अगर कोई रोग प्लैनेट (Rogue Planets) हमारे सौरमंडल में आ जाए
अगर कोई रोग प्लैनेट हमारे सौरमंडल में आ जाए तो यह बहुत तबाही मचा सकता है। यह तो यह रोग प्लैनेट किसी ग्रह से टकराकर उसे नष्ट कर सकता है।
अगर रोग प्लैनेट किसी ग्रह से ना टकराया तो यह हमारे सौरमंडल की एलाइनमेंट को बिगाड़ सकता है और कई सारे प्लैनेट अपने रास्ते से भटक सकते हैं या अपने रास्ते बदल सकते हैं।
यह पृथ्वी के लिए बहुत ही खराब समय होगा क्योंकि पृथ्वी हैबिटेबल जोन में है जहां ना ज्यादा ठंडी पड़ती है और ना ज्यादा गर्मी,
अगर पृथ्वी अपनी कक्षा से थोड़ा भी इधर उधर हो गई तो या तो बहुत अधिक ठंड पड़ेगी और या तो बहुत अधिक गर्मी। इन दोनों कारणों में पृथ्वी पर जीवन खत्म हो जाएगा।
हलांकी अभी ऐसा नहीं है और कोई भी रोग प्लैनेट का हमारे सौरमंडल में आने में कई लाख साल लग जायेंगे।
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