अनजाने में शुरू हुआ वड़ापाव कैसे बना मुंबई की पहचान! आईए जानते हैं इसके रोचक इतिहास को

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बड़ा पाव का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में सबसे पहले मुंबई का नाम आता है। आखिर हो भी क्यों ना, इसकी शुरुआत जो मुंबई से ही हुई थी। खाने में बहुत ही मजेदार और कम पैसे में भूख मिटाने का सबसे आसान खाद्य पदार्थ है।

बड़ा पाव को बनाने के लिए पाव को बीच में से काटकर उसमें आलू की टिकिया रखकर चटनी के साथ दिया जाता है। आईए आज जानते हैं की बड़ा पाव का इतिहास क्या है और ये कब से प्रचलन में आया।


कैसे बना बड़ा पाव


बड़ा पाव का उल्लेख आपको कहीं भी इतिहास में नहीं मिलेगा उसका सबसे बड़ा कारण यह है की बड़ा पाव सिर्फ 55 साल पहले ही अनजाने में बनाया गया था। 
 
सन् 1966 में महाराष्ट्र में शिव सेना अपना प्रभाव बढ़ा रही थी और काफी लोग शिव सेना और बाला साहेब ठाकरे से प्रभावित होकर जुड़ रहे थे।
 
बाला साहेब ठाकरे का कहना था की उनके सभी कार्यकर्ता राजनीति के साथ साथ अपनी जीविका के साधन पर भी ध्यान दें और साथ में कोई ना कोई छोटा मोटा धंधा करते रहें, ताकि पार्टी भी चले और पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता का घर भी चलता रहे। 
 
उसी वक्त मुंबई के अशोक वैध बाला साहेब ठाकरे से प्रभावित हो कर शिव सेना से जुड़े थे। उन्होने अपनी जीविका के लिए दादर स्टेशन के बाहर बटाटा वड़ा (आलू वड़ा) का स्टॉल लगाना शुरू किया। 
 
इससे इनको ठीक ठाक आमदनी होने लगी। अशोक वैध ने इसकी बिक्री बढ़ाने के लिए इसमें कुछ बदलाव कर दिया। उन्होनें कुछ पाव खरीदे और उनको बीच में से काटकर उसमें बटाटा वड़ा रख दिया और इसको लाल मिर्च, लहसुन की तीखी चटनी के साथ लोगों को देना शुरू किया। 
 
चूंकि महाराष्ट्र में में मिर्च मसाले वाला भोजन लोगों को पसंद है इसलिए बड़ा पाव लोगों को पसंद आने लगा और इसकी बिक्री बढ़ने लगी।उस वक्त तक महाराष्ट्र में उडुपी बहुत ही चाव से खाई जाती थी जो की एक दक्षिण भारतीय डिश थी। 
 
लेकिन शिव सेना ने महाराष्ट्र की स्थानीय चीजों को बढ़ावा देने के लिए अपनी रैलियों में बड़ा पाव देना शुरू कर दिया। कुछ ही सालों में बड़ा पाव पूरे मुंबई से लेकर महाराष्ट्र में प्रसिद्ध हो गया और लोग इसे बड़े चाव से खाने लगे। 
 
इसकी ख्याति को देखते हुए बहुत से लोगों ने इसका स्टॉल लगाना शुरू कर दिया। सन् 1998 में अशोक वैध के निधन के बाद उनके बेटे ने इस काम को आगे बढ़ाया। आज बड़ा पाव पूरे विश्व में पहचाना जाता है और मुंबई की एक पहचान बड़ा पाव से भी होती है। बड़ा पाव की तरह पाव भाजी भी मुंबई की देन है।
 
 
 
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