बरसात के मौसम में हर साल बिजलियां गिरने से सैकड़ों लोगों की मौत हो जाती है और कई घायल हो जाते है, पर हम कुछ सावधानी रख कर इस दुर्घटना से बच सकते हैं।
तो आइए पहले जानते हैं की आसमानी बिजली क्या होती है, बिजली कैसे कड़कती है, आसमान से बिजली कैसे गिरती है, आकाश में बिजली क्यों चमकती है और आकाशीय बिजली से बचने के लिए क्या करना चाहिए?
अकाशीय बिजली कैसे बनती है हमारे घरों में उपयोग होने वाली बिजली और आसमान से गिरने वाली बिजली में कोई फर्क नही होता, बस आकाशीय बिजली अनियंत्रित होती है जबकि घरों में आने वाली बिजली नियंत्रित।
बादलों में जल के छोटे छोटे अणु पार्टिकल होते हैं।
हवा और जल के बीच में फ्रिक्शन होता है जिसके कारण जल कण चार्ज हो जाते हैं।
यह चार्ज पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों होता है।
बादल का ऊपरी हिस्सा बेहद ठंडा होता है और वो पॉजिटिव चार्ज होता है जबकि निचले वाला हिस्सा नेगेटिव चार्ज होता है। जब दो बादल एक दुसरे से टकराते हैं तो बिजली कड़कती है और वह हमें आसमान में दिखाई देती है। ध्यान रहे बिजली तभी चमकती है जब पॉजिटिव चार्ज पॉजिटिव वाले बादल से टकराए या नेगेटिव चार्ज नेगेटिव चार्ज वाले बादल के हिस्से से टकराए। जब यह बिजली धरती पर डिस्चार्ज होती है तो इसे बिजली का गिरना बोलते हैं। जब बिजली चमकती है तो वो हमें पहले दिखाई देती है जबकि आवाज बाद में सुनाई देती है। इसका कारण बहुत आसान है क्युकी प्रकाश की चाल ध्वनि से तेज होती है इसलिए बिजली चमकती पहले प्रतीत होती है और आवाज बाद में सुनाई देती है। इस बिजली की शक्ति बहुत ज्यादा होती है, यूं समझिए की इसका वोल्ट करोड़ों में होता है जबकि अपने घर में आने वाली बिजली का वोल्टेज २४० होता है। बारिश के दिनों में धरती और आसमान के बीच एक ना दिखने वाला मार्ग बन जाता है जिसे वैज्ञानिक भाषा में “स्टेप्ड लीडर” कहते हैं। हाई वोल्टेज करेंट इसी रस्ते से धरती पर आता और वापस जाता है। जो बिजली हम देखते हैं वो वास्तव में वापस जा रही होती है, गिरने वाली बिजली हमें दिखाई नहीं देती। इस बिजली का तापमान सूर्य से पांच गुना तक अधिक हो सकता है, जब ये गिरती है तो आस पास वाली हवा को बेहद गर्म कर देती है और जब अगल बगल की हवा इस गैप को भरने के लिए दौड़ती है तो बहुत तेज आवाज होती है। इस आवाज का मतलब होता है की बिजली गिर चुकी है। इंसान के ऊपर जब बिजली गिरती है तो हृदयाघात से मनुष्य की मौत हो जाती है और जो बच जाते हैं उनके शरीर पर पेड़ की जड़ों की तरह निशान बन जाते हैं और उनके कान के परदे फट जाते हैं, कई बार दिखाई देना भी बंद हो जाता है, न्यूरोलॉजिकल बिमारियां हो जाती हैं। बिजली गिरने के डर को एस्ट्रोफोबिया कहा जाता है।कैसे बचें बिजली सेबारिश के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल बिलकुल भी ना करें और ना ही किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का इस्तेमाल करें।नंगे पैर ज़मीन पर ना खड़े हों और किसी भी पेड़ के पास तो बिलकुल भी ना खड़े हों।अगर आप कार मे हैं तो उसी में रहे और बाहर निकलने की कोशिश ना करें। अगर बाइक पर हैं तो अपने दोनो पैर ज़मीन से उठा लें या बाइक से दूर हट जाएं।किसी बिल्डिंग या घर में छिप जाएं। खुले में बिलकुल ना रहें।बिजली का कंडक्टर अथवा सुचालक चीजों से दूर रहें।अगर आपके रोंगटे या बाल अचानक से खड़े होने लगे तो समझ जाइए की आपके ऊपर बिजली गिरने वाली है। उस जगह से तुरंत हट जाएं।अपने घरों में तड़ित चालक लगवा लें यह एक एंटीना की तरह का उपकरण होता है जो आकाश से गिरने वाली बिजली को जमीन के अन्दर भेज देता है।