ऐसे आविष्कार जो गलती से हो गए और बदल दी दुनियाँ | apollo missions facts

 

first moon landing


जब इंसान चंद्रमा पर
गया था तब आधी दुनिया ने कहा था की ये एक पब्लिसिटी स्टंट है, कोई भी
चंद्रमा पर नहीं जा सकता और इस बात को सिद्ध करने के लिए बहुत से ऊल जलूल
तथ्य भी प्रस्तुत किए गए थे। 

 जब
लोगों को सारे सबूत दिखाए गए तो लोगों ने कहा की सरकार चंद्रमा के मिशन पर
इतना पैसा क्यों खर्च कर रही है? इतने पैसे से तो लाखों लोगों को खाना,
शिक्षा और घर जैसी बुनियादी जरूरतें पूरी की जा सकती हैं। 

भारत में भी ऐसे
लोगों की कमी नहीं है जो भारत के अंतरिक्ष मिशन पर आए दिन सवाल उठाया करते
हैं। लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि मनुष्य के चंद्रमा पर जाने से मानव जाति का अतुलनीय लाभ हुआ है जिसके बिना हम आज अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। 

 

आइए समझते है कैसे


पचास वर्ष पहले जब अपोलो मिशन चंद्रमा पर गया तो इंजीनियर्स एक बहुत ही अजीब समस्या से रूबरू हुए और वो समस्या थी वाइब्रेशन। 
 
जब जब मिशन को शुरू किया जाता तब तब इंजीनियर्स को बहुत ही खतरनाक
वाइब्रेशन का सामना करना पड़ता और इस समस्या को सुलझाने के लिए वैज्ञानिकों
ने शॉक ऑब्जर्वर का आविष्कार किया। 
 
अगर शॉक
ऑब्जर्वर का आविष्कार ना हुआ होता तो इतनी ऊंची ऊंची बिल्डिंग खड़ी ही ना
हो पाती, रेलवे के पुल और रेलवे लाइन, ब्रिज कभी भी इतने मजबूत ना बन पाते।
ये सब शॉक ऑब्जर्वर का ही कमाल है।
 

जब एस्ट्रोनॉट चंद्रमा पर जा रहे थे तो उनकी स्वास्थ की जांच के लिए हेल्थ मॉनिटर
बनाए गए जो आजकल हर एक अस्पताल में मिलेंगे बिना इन मॉनिटर्स के आप
हॉस्पिटल की कल्पना भी नहीं कर सकते। 

 
ये मॉनिटर मनुष्य के हृदय, सांस और
खून की पल पल की जानकारी दिया करते हैं और आजकल के Covid के दौर में इनके बिना तो मरीज का जान बचाना संभव ही नहीं है। 
 
जब अपोलो मिशन चंद्रमा पर उतरा था तो एस्ट्रोनॉट और रॉकेट को रेडिएशन से बचाने के लिए एक रेडियंट बैरियर इनसुलेशन से ढका गया था इसका उपयोग आज आग लग जाने पर फायरफाइटर्स लोगों को सुरक्षित निकालने में करते हैं। 
 
इसके साथ ही एस्ट्रोनॉट के कपड़े एक खास तरह के पॉलिमर फाइबर से बनाए गए थे जिसमे आग नही लगती इसका भी उपयोग फायरफाइटरस करते हैं।
 
आपने देखा होगा की जब भी कहीं बाढ़ आती है तो नेशनल डिसास्टर रिस्पॉन्स फोर्स एक ऑरेंज रंग की बोट का उपयोग करता है जिसे हवा भरकर बड़ा किया जा सके इन्हे इनफ्लेटेबल राफ्ट्स कहा जाता है 
 
इसको भी अपोलो मिशन के लिए ही बनाया गया था। इसके अलावा एस्ट्रोनॉट के सहयोग के लिए हियरिंग ऐड्स
बनाए गए थे ताकि एस्ट्रोनॉट एक दुसरे को आसानी से सुन सकें। 
 
आजकल यही
हियरिंग ऐड्स सुनने की क्षमता को बड़ाने के लिए हमारे बुजुर्ग या वो लोग
इस्तेमाल करते हैं जो सुन नहीं सकते।
 

अब आप समझ सकते हैं की अगर चंद्रमा
मिशन ना होता तो ना जाने कितने लोगों का जीवन खत्म हो गया होता और कितना
मुश्किल होता। 

इसलिए हमे हमेशा साइंस को धर्म से ऊपर रखना चहिए और हमारे
हिंदु धर्म में हमारे ऋषि मुनि हमेशा नए नए अविष्कार में लगे रहते थे। 

 
शायद
यही रीजन था की उस वक्त भी हमारे पास पुष्पक विमान, ब्रह्मास्त्र, टेस्ट
ट्यूब बेबी और ऐसे ही ना जाने अनगिनत साइंस के अविष्कार थे। 
 
हमारे ऋषि मुनियों को ब्रह्मांड, धरती से सूर्य की दूरी, आकाशगंगा, टाइम
ट्रैवल और भी ना जाने कितने साइंस के गूढ़ रहस्यों का ज्ञान था जिसे हम उस
वक्त ब्रह्म ज्ञान कहते थे।
 
 
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