क्या अयोध्या में वाकई राम मंदिर था

 

राम मंदिर का निर्माण कब और किसने करवाया?


पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन हुआ। इस भूमि पूजन के बाद सोशल मीडिया पर अनेक तरह की बातें की गई जिसमे सबसे ज्यादा ये पूछा गया की क्या सच में अयोध्या में राम मंदिर था। 

महाभारत के युद्ध के बाद अयोध्या उजड़-सी गई लेकिन उस दौर में भी श्रीराम जन्मभूमि का अस्तित्व सुरक्षित था और लगभग 14वीं सदी तक बरकरार रहा. 

तथ्यों के मुताबिक, मुगल आक्रमणकारी बाबर के आदेश पर सन् 1527-28 में अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बने भव्य राम मंदिर को तोड़कर एक मस्जिद का निर्माण किया गया. 

इस विषय में एक बहुत ही अच्छा सा किस्सा मिला है, जो राम मंदिर की सुनवाई के दौरान का है। 
 
इस लेख को जरूर पढ़े क्योंकि किसी भी मीडिया ने ये नहीं बताया कि राम मंदिर सुनवाई के दौरान क्या क्या बातें होती थीं और क्या क्या तथ्य पेश किए गए।
 
यहां मैं राम मंदिर की सुनवाई के दौरान हुए कुछ रोचक प्रसंग प्रस्तुत कर रहा हूं।
 

पहला प्रसंग


जज :- मस्जिद के नीचे दीवारों के अवशेष मिले हैं।
मुस्लिम पक्ष का वकील :- वो दीवारे दरगाह की हो सकती हैं।
जज :- लेकिन आपका मत ये है की मस्जिद किसी खाली जगह पर बनाई गई थी, किसी ढांचे को तोड़कर नहीं।
मुस्लिम पक्ष का वकील :- सन्नाटा…
 
जज :- एसआईटी की खुदाई में कुछ मूर्तियां मिली हैं।
मुस्लिम पक्ष का वकील :- वो बच्चे के खिलौने भी हो सकते है हैं।
जज :- उसमे “वराह” की मूर्ति भी मिली है जो की हिंदु मान्यता के अनुसार भगवान विष्णू के अवतार थे… क्या मुसलमानों में मूर्तियों के साथ खेलने का प्रचलन था..?
मुस्लिम पक्ष का वकील :- घोर सन्नाटा…!!
 

दूसरा प्रसंग


हमारे वेदों में श्री राम तो हैं ही साथ में उनके जन्म स्थल और अयोध्या का भी सटीक उल्लेख किया गया है। 
 
श्री राम जन्म भूमि के पक्ष में पद्मविभूषण जगतगुरू रामभद्राचार्य जी ( दो माह की आयु से ही नेत्रहीन थे) शास्त्रों से राम जन्म भूमि के पक्ष में प्रमाण पर प्रमाण दिए जा रहे थे।

जज की कुर्सी पर बैठा एक व्यक्ति मुसलमान था और उसने एक अजीब सा सवाल किया 
 
आप लोग हर बात में वेदों से प्रमाण मांगते है , तो क्या वेदों से ही प्रमाण दे सकते हैं की राम जी का जन्म अयोध्या में उसी जगह पर हुआ था

इस पर राम भद्रा चार्य जी ने कहादे सकता हूं महोदय, और उन्होंने ऋग्वेद की जैमिनी संहिता से उदाहरण देना शुरू किया जिसमे सरयू नदी के स्थान विशेष से दिशा और दूरी का बिलकुल सटीक ब्योरा दिया। 
 
कोर्ट के आदेश से जैमिनी संहिता मंगाई गई और रामभद्राचार्य जी द्वारा बताई गई संख्या को खोल कर पड़ा गया और सारे उल्लेख सही पाए गए। 
 
ये चीजें बिल्कुल साफ हो गई की विवादित जगह ठीक उसी स्थान पर है जहां राम जन्म भूमि होनी चाहिए और इसी तथ्य ने राम जन्म भूमि का फैसला हिंदुओं की तरफ मोड़ दिया।

मुस्लिम जज ने स्वीकार किया की ” आज मैने भारतीय संस्कृति का चमत्कार देखा, एक व्यक्ति जो की भौतिक आंखों से रहित है, वो कैसे वेदों और शास्त्रों के विशाल सागर से उदाहरण दिए जा रहा था! यह एक ईश्वरी शक्ति नहीं तो और क्या है?


जय श्री राम।
 
 

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