परमाणु बम (operation chrome dome in hindi) का नाम सुनते ही हमें हिरोशिमा और नागासाकी की याद आ जाती है। द्वितीय विश्व युद्ध के इस भयानक घटनाक्रम में लाखों लोग मारे गए थे। एक पल में ही पूरा का पूरा शहर ही तबाह हो गया था।
हाईड्रोजन बम परमाणु बम से 1000 गुना ज्यादा शक्तिशाली होता है। सोचिए अगर किसी शहर पर परमाणु बम की जगह हाइड्रोजन बम गिर जाएं वो भी एक नहीं चार। इतने हाईड्रोजन बम तो पूरे का पूरा महाद्वीप उड़ा दें।
सन् 1966 में अमेरिकी पायलट की गलती से चार हाईड्रोजन बम स्पेन में गिर गए थे। वो तो भगवान की कृपा थी की एक भी नहीं फटा अन्यथा पूरा का पूरा यूरोप ही साफ हो जाता। आईए जानते हैं क्या हुआ था!
कैसे गिरे चार हाईड्रोजन बम
यह समय शीत युद्ध का था, अमेरिका और सोवियत संघ के बीच हालात बहुत ही खराब थे। कभी भी अमेरिका और सोवियत संघ के बीच कभी भी युद्ध हो सकता था।
इसी बीच में सोवियत संघ ने अमेरिका से लगे हुए क्यूबा में कई मिसाईल लगा दी और कहा जाने लगा की सोवियत संघ कभी भी अमेरिका का विध्वंस कर सकता है।
अमेरिका भी इस स्थिति से निपटने के लिए तैयार था और उसने अपने सबसे बड़े बम वाहक विमान B-52 स्ट्रैटोफोर्टस को तैयार रखा था।
इस विमान की खासियत यह थी की यह विमान चार हाईड्रोजन बम से सुसज्जित था। यह विमान अक्सर अमेरिका से यूरोप के चक्कर लगाया करता था ताकि आपात स्थिति होने पर यह सोवियत संघ पर हाईड्रोजन बम गिरा सके।
क्या था ऑपरेशन क्रोम डोम
अमेरिका का यह विमान लगातार यूरोप और अमेरिका के चक्कर लगाया करता था। यह विमान हवा में ही ईंधन भरता था और फिर यूरोप जाता था।
17 जनवरी सन् 1966 को B-52 विमान ने अमेरिका से स्पेन के लिए उड़ान भरी और स्पेन में इसमें ईंधन भरा जाना था। जब वह धरती से लगभग 30,000 फुट की ऊंचाई पर था और फ्यूल टैंकर विमान KC-135 इसमें ईंधन भरने के लिए तैयार था।
ईंधन भरने के दौरान दोनों विमानों में सही से तालमेल नहीं हो पाया और दुर्घटनावश दोनों विमानों में आग लग गई। B-52 विमान में रखे चारों हाईड्रोजन बम स्पेन में ही गिर गए।
पूरे विश्व में आतंक छा गया की अब क्या होगा। इन चारों बमों में से एक बम में धमाका हो गया। हालांकि इन चारों बमों का इलेक्ट्रिक सर्किट ऑन नहीं था इस वजह से कोई तबाही नहीं मची।
जिस बम में मामूली धमाका हुआ था उसका रेडिएशन लीक होने की वजह स्पेन के शहर प्लोमारेस में रेडिएशन फैल गया, लेकिन इससे नुकसान नहीं हुआ।
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कई वर्षो तक अभियान चला कर इस शहर में फैले न्यूक्लियर कचड़े को साफ किया और इसको समुंद्र में सुरक्षित रूप से दबा दिया गया ताकि इसका रेडिएशन फैलने ना पाए।
बचे हुए तीनों बमों को खोजकर अमेरिका के जाया गया और उन्हें डीएक्टिवेट कर दिया गया था।
अगर उस दिन चारों बम स्पेन पर एक्टिव हो कर गिर गए होते तो तो पूरा यूरोप तबाह हो चुका होता।
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