जब भारत और पाकिस्तान साथ में आजाद हुए थे तो पाकिस्तान इतना पिछड़ा हुआ क्यों है?

 

Relationship between India and Pakistan,

भारत और पाकिस्तान साथ में आजाद हुए थे लेकिन आज भारत लगभग हर क्षेत्र में तरक्की कर रहा है और अपनी जरूरतों के लिए किसी पर भी निर्भर नही है। भारत आज कई देशों को अपना माल निर्यात करता है। 
 
भारत को पूरे विश्व में सम्मानित नजरों से देखा जाता है। वहीं पाकिस्तान की गिनती एक गरीब और पिछड़े देश के रुप में होती है। पाकिस्तान अपनी छोटी से छोटी जरूरतों के लिए भी दूसरे देशों पर निर्भर है। 
 
पाकिस्तान की छवि एक आतंकवादी देश के रूप में है। आईए जानते हैं की क्या कारण है की साथ में आजाद होने के बावजूद पाकिस्तान एक पिछड़ा और गरीब देश है।
पकिस्तान भी भारत की तरह एक मानसूनी देश है इसीलिए पकिस्तान भी खेती पर निर्भर है। लेकिन इसके बावजूद वह अपनी जनसंख्या को भोजन कराने में असमर्थ है। पकिस्तान में मुसलमान बहुसंख्यक है लगभग 96% और मुसलमान अपनी सोच को लेकर बहुत ही रूढ़ीवादी होते हैं। 
 
वो वही मानते हैं जो उनकी कुरान में लिखा है, इसके इतर वो जाने की कोशिश नहीं करते। किसी भी देश का तरक्की करना उसके एजुकेशन सिस्टम पर निर्भर करता है। 
 
पकिस्तान में शिक्षा के नाम पर कुरान पढ़ाई जाती है और बाकी अन्य सब्जेक्ट जैसे विज्ञान, गणित, मेडिकल आदि पर बच्चों का ध्यान नहीं जाता। जब तक किसी भी देश के बच्चे विज्ञान नहीं पढ़ेंगे वो देश कभी भी उन्नति नहीं कर सकता क्युकी विज्ञानिक सोच से ही देश का भला होता है। 
 
आज जितने भी देश विकसित हैं उनके पढ़ाई का पैटर्न देख लीजिए। वहां बच्चों को वैज्ञानिक सोच के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। आगे चलकर यही बच्चे नए नए अविष्कार करके देश का भला करते हैं। 
 
एक स्टडी के मुताबिक अमेरिका में साइंस पढ़ने वाले बच्चों का प्रतिशत लगभग 85% है वहीं भारत में यह लगभग 40% है। वहीं पकिस्तान में यह लगभग 15% है। अब आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं की जब कोई देश साइंस को ना पढ़कर मजहबी किताबें पड़ेगा तो वह देश तरक्की कैसे कर सकता है। 

मजहबी कानून है समस्या

उस देश को बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता जो देश मजहब को देश के ऊपर रखे। जितने भी मुस्लिम देश हैं वो ज्यादातर गरीब और पिछड़े हुए हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है की वो सैकड़ों साल पुरानी सोच को अभी तक जिंदा रखे हुए हैं। 
 
मुस्लिम देशों का सिर्फ एक ही मकसद होता है और वो होता है इस्लाम को बढ़ावा देना। इसीलिए वो खेती, पढ़ाई, चिकित्सा, विज्ञान आदि में ध्यान नहीं देते और इस्लाम के चक्कर में अपना पैसा और समय हथियार खरीदने बेचने और दूसरे देशों में घुसपैठ करने में निकाल देते हैं। 
 
मुस्लिम देशों का मकसद ही होता है विश्व में अशांति और आतंकवाद फैलाना। यही कारण है की विश्व में आतंकवाद की समस्या की जड़ इस्लाम ही है। आपने मुस्लिम वैज्ञानिकों का नाम बहुत ही कम सुना होगा। 
 
क्योंकि इस्लाम इसकी आज्ञा नहीं देता। उनके हिसाब से कुरान में जो लिखा है वही सत्य है और ये सोच किसी भी बच्चे के दिमाग में जाकर उसकी रचनात्मकता खत्म कर देती है और उसका दिमाग मजहबी जूनून में लग जाता है। 

महिलाओं पर पाबंदी

महिलाएं किसी भी देश की तरक्की में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान होता है। आज अगर आप देखेंगे तो पूरे विश्व की 40% वैज्ञानिक महिलाएं ही होती हैं। विश्व की बहुत सी नामी कंपनीज को महिलाएं ही चला रहीं हैं। 
 
लेकीन मुस्लिम देश महिलाओं पर बहुत सी पाबंदी लगा कर रखते हैं। महिलाओं को क्या पहनना है, क्या पढ़ना है, क्या खाना है, किस्से बात करनी है, कहां जाना है यह सब निर्णय महिलाएं ना करके उनके घर के पुरुष करते हैं। अब ऐसी सोच से महिलाओं की तरक्की कैसे हो सकती है। 
 
हमारे देश में कितनी सारी महिला एथलीट हुई हैं जिन्होने ओलंपिक से लेकर हर खेल में भारत का नाम रोशन किया है। वहीं आप पकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश की ओलंपिक विजेता महिलाओं के नाम बता दें। स्पेस में गई किसी मुस्लिम महिला का नाम बता दें। इसी तरह के अनगिनत एग्जांपल हैं देने को। 
 
इस्लाम में महिला को सिर्फ भोग की वस्तु माना गया है वहीं भारत में महिलाओं को देवी माना जाता है। भारत में महिलाओं पर किसी तरह की रोक टोक नही होती और शायद यही कारण है को भारत में कई महिला वैज्ञानिक हैं, भारत में बहुत सारी महिलाएं अपनी खुद की कंपनी चला रहीं है। जो देश की तरक्की में बहुत महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।

बजट का दुरुपयोग

पकिस्तान के बजट का सबसे बड़ा हिस्सा रक्षा में जाता है। जिस बजट को वो देश के विकास में उपयोग कर सकते थे वो बजट आतंकवाद को पोषण देने, भारत में घुसपैठ कराने, आतंकवादी हमला कराने में, युद्ध करने में निकल जाता है। तो पकिस्तान खायेगा क्या? इनका पूरा ध्यान तो भारत के विरुद्ध साजिश में ही निकल जाता है। 
 
तरक्की कहां से करेंगे। पूरे विश्व में आतंकवाद की जड़ पकिस्तान ही है। जब तक पकिस्तान मजहब से ऊपर नहीं उठेगा वो तरक्की नहीं कर सकता। पकिस्तान को अगर एक सफल राष्ट्र बनना है तो शरिया कानून को छोड़ कर एक लोकतंत्र बनने पर ध्यान देना चाहीए। इसी में पकिस्तान और पूरे विश्व की भलाई है।

भारत के लिए दो लाइन

भारत के लिए यह बहुत अच्छा हुआ की भारत और पकिस्तान का बंटवारा हो गया। अन्यथा जो हाल पकिस्तान और अफगानिस्तान के हैं वही हाल आज भारत के होते। यहां भी मुस्लिमों की संख्या अधिक होने के कारण अब तक शरिया कानून लागू हो गया होता। 
 
महिलाओं पर पाबंदी लगा दी गई होती। हर जगह से फतवे जारी हो रहे होते। आए दिन ईश निंदा के नाम पर बेकसूरों को मार दिया जाता। हर जगह बम धमाके हो रहे होते। हर जगह सिर्फ अराजकता होती। 
 
अन्य धर्म के लोगों को मार दिया गया होता क्योंकि कुरान के मुताबिक मुस्लिम के अलावा हर कोई काफिर है और उनको मारे जाने का अधिकार है मुस्लिमो को। देश में विज्ञान के एक्सपेरिमेंट की जगह हथियार और बम के प्रयोग हो रहे होते। 
 
जब तक भारत में राष्ट्र ऊपर है तब तक भारत जीवित है जिस दिन मजहब ऊपर हो गया या मुस्लिम का राज हो गया उस दिन भारत की बर्बादी तय है। अतः हम सब भारत वासियों को एक ऐसा देश बनने पर ध्यान देना चाहिए जहां राष्ट्र ऊपर हो धर्म नहीं।
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