तेल की खोज से पहले सऊदी अरब का हाल क्या था, सऊदी अरब में तेल की खोज कब हुई?

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सऊदी अरब एक सुन्नी मुसलमान बाहुल्य इस्लामी देश है। इसकी स्थापना सन् 1750 में सऊद द्वारा की गई थी। इस्लाम के प्रवर्तक मुहम्मद साहब का जन्म यहीं हुआ था और मक्का मदीना यहीं पर हैं। 

 

तेल की खोज होने के पहले यह एक बहुत ही गरीब देश था और अपनी आय के लिए हज से होने वाली आमदनी पर निर्भर करता था, थोड़ी बहुत खेती भी होती थी। 

 

यहां ना तो सड़के थीं और ना ही किसी तरह की कोई बुनियादी सुविधाएं। ज्यादातर लोग अनपढ़ और कच्चे भोजन पर ही निर्भर थे। लोग कबीलों की तरह जीवन व्यतीत करते थे। 

 

 

सऊदी अरब में तेल की खोज कब हुई

 

 

सन् 1938 में एक अमेरिकी तेल कंपनी ने सऊदी अरब में तेल की खोज की। सऊदी अरब में दाहरन में विश्व की सबसे बड़े तेल के कुएं की खोज होने के बाद सऊदी के दिन बदल गए। 

 

यहां की अर्थवस्था ने तेजी से करवट ली और सऊदी अरब विश्व में तेल का सबसे बड़ा उत्पादक देश बन गया। जिन लोगों के पास खाने तक तो पैसे नहीं थे उन पर पैसों की बारिश होने लगी। 

 

जो देश भारत से खजूर, मोती और सीप के कवच के बदले भोजन और कपड़े लेता था वो खुद अब तेल से मिले पैसों की बदौलत सबसे तेज ग्रोथ करने वाली इकोनॉमी बन गया। 

 

तेल की बदौलत ही सऊदी में सब कुछ बदल गया। खाने पानी की बेहतरीन सुविधाएं, अत्याधुनिक हॉस्पिटल, मॉल, होटल आदि बहुत ही कम समय में बन गए। 

 

लोगों ने पढ़ाई पर ध्यान देना शुरु किया और रूढ़िवादिता को किनारे कर दिया। सन् 1970 तक सऊदी में तेल के नए नए स्रोत मिलना जारी रहे। हालांकि उसके आगे की जानकारी सऊदी सरकार नहीं देती की उसके यहां कितना तेल भण्डार है और यह भंडार कितने दिनों तक के लिए है। 

 

एक अनुमान के मुताबिक सऊदी अरब में नए नए तेल के ठिकाने मिल रहें हैं। लेकिन यह सिर्फ अनुमान ही है क्योंकि सऊदी सरकार इसकी सही सही जानकारी नहीं देती। भारत अपने तेल की जरूरतों का 84% आयात करता है और खपत के मामले में दुनिया में तीसरे नम्बर पर है।

 

 

क्या होगा अगर अरब का तेल का भण्डार खत्म हो जाय

 

वैसे अभी हाल फिलहाल ऐसा कोई कारण नजर नही आता जिससे सऊदी अरब का तेल का भण्डार खत्म हो सके। सऊदी सरकार को तेल के नए नए भण्डार मिल रहे हैं। सऊदी अरब ने खुद को एक अत्याधुनिक देश के रुप में विकसित कर लिया है। 

 

वहां एक आलीशान जीवन जीने के सारे कारण मौजूद है इसलिए पूरा विश्व सऊदी अरब में इन्वेस्ट कर रहा है और वहां की अर्थव्यवस्था तेजी से ग्रो करती रहेगी। हालांकि टेक्नोलॉजी में एक नई क्रांति आने के कारण सऊदी अरब की इकोनॉमी को झटका लग सकता है और वो टेक्नोलॉजी है इलेक्ट्रिक वाहन। 

 

तेल की आए दिन बढ़ती कीमतों से परेशान कंपनीज ने तेल के ऑल्टरनेटिव की खोज में कई साल लगाए और उसका परिणाम रहा की इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में आ गए। इलेक्ट्रिक वाहन आने से लोगों की तेल के ऊपर निर्भरता कम होगी।

 

धीरे धीरे पूरा विश्व तेल के ऊपर अपनी निर्भरता खत्म करने और अपनी इकोनॉमी को बूस्ट करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन पर बहुत जोर दे रहा है। अगर इलेक्ट्रिक वाहन यूं ही बढ़ते गए तो यह सऊदी अरब की इकोनॉमी के लिए अच्छा नहीं होगा और उनको मिलने वाला अथाह पैसे का सोर्स बंद हो जाएगा। 

 

इस स्थिति में सऊदी अरब को अपनी इकोनॉमी को बचाने और खुद को दौड़ में बनाए रखने के लिए आय के नए सोर्स ढूंढने पड़ेंगे। अन्यथा वो दिन दूर नहीं जब तेल के भण्डार होने के बावजूद अरब देश फिर से 1938 से पहले की स्थिति में पहुंच जायेंगे।

 

 

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