सरकारी दफ्तर में काम करने वाले क्लर्क को हम बाबू बुलाते हैं। धीरे धीरे ये शब्द भारतीय जनमानस में इतना प्रसिद्ध हो गया की आजकल हम लोग अपने बच्चे को या अपने जीवनसाथी को प्यार से बाबू बुलाते हैं।
इसको बहुत ही प्यार और आत्मीयता का शब्द मान लिया गया है। लेकिन अगर आपको इस “बाबू” शब्द का सही इतिहास पता चल जाय तो आप शायद ही दुबारा इस शब्द का इस्तेमाल करें।
जी हां बाबू शब्द का उपयोग अंग्रेज भारतीयों को अपमानित करने और उनका उपहास उड़ाने के लिए करते थे।
चौंक गए ना! तो चलिए आज आपको बताते हैं आपके बाबू शब्द की सही जानकरी।
बबून बंदर से बना है ये शब्द
जब अंग्रेज भारत पर अपना शासन चलाते थे तो वो अपने सारे नौकर भारतीय ही रखते थे। जो भारतीय नौकर इन अंग्रेजो की नौकरी में लगे होते थे उनको अंग्रेज अपने इस्तेमाल करे हुए कपड़े और सामान दे देते थे।
हम भारतीयों की हमेशा से आदत रही है की हम बिना कुछ जानें समझे पश्चिम का अनुसरण करने में खुद को श्रेष्ठ समझते थे। हम हमेशा समझते थे की जो काम विदेशी कर रहें हैं वही अच्छा है।
चाहे वो उनकी तरह खाना खाना हो, उनकी तरह कपड़े पहनना हो या उनकी भाषा इंग्लिश को बोलने में गर्व महसूस करना हो।
आज भी जब कोई सूट बूट पहन कर इंग्लिश बोलता है तो वह खुद को श्रेष्ठ समझता है और हम लोग उससे बहुत ही आसानी से प्रभावित हो जाते हैं।
उस वक्त हम उन अंग्रेजो की नकल करने लगे और उन्हीं की तरह कपड़े पहनने शुरू कर दिए और उन्हीं की तरह इंग्लिश बोलने का प्रयास करते।
भारतीयों के इस व्यवहार से अंग्रेज खुद का मनोरंजन करते थे। अंग्रेज अपनी पार्टी में भारतीयों को अंग्रेजो द्वारा दी हुई बेमेल ढीली ढाली पोशाक और टूटी फूटी हुई इंग्लिश सुनकर बहुत खुश होते और मजाक उड़ाते।
अंग्रेज औरतें भारतीय को बबून ( एक प्रकार का बन्दर ) कहतीं और उपहास करती थीं। अंग्रेजो के यहां काम करने वाले भारतीय नौकर यह सुनकर बहुत खुश होते क्योंकि उनको इस शब्द का सही मतलब नहीं पता था।
हम भारतीयों को लगता की हमारे मालिक हम पर बहुत खुश हैं और हम उनके रहन सहन और बोलचाल को और कॉपी करने की कोशिश करते।
भारतीयों को लगता की बबून एक प्यार से बुलाया गया शब्द है तो हम इस शब्द का उपयोग हर जगह करने लगे, और यह शब्द अपभ्रंश होकर बबून से “बाबू” बन गया।
अंग्रेजो के समय और भारत के आजाद होने के बाद भी चूंकि हमारे सारे सरकारी काम क्लार्को के माध्यम से ही होते थे क्योंकि उनसे ऊपर पद पर बैठे व्यक्ती नीचे के लोगों से मिलना पसंद नहीं करते थे और हमें सारा काम इन्ही के भरोसे करना पड़ता था और हम इन क्लर्को की खुशामद करने के लिए इनको प्यार से बाबू बोलना शुरू कर दिया।
जो धीरे धीरे एक आदर और सम्मान सूचक शब्द में परिवर्तित हो गया। जो आज तक चला आ रहा है। हम लोग इस शब्द से इतना प्यार करने लगे की आज भी कई घरों में लोग अपने पिताजी को बाबूजी कहकर बुलाते हैं।
वैसे बाबू शब्द का उपयोग अंग्रेज़ और अधिकारी उनके लिए भी करते थे जिनके शरीर से बदबू आती थी। क्युकी उस वक्त ज्यादातर भारतीय मेहनत किसानी का काम करते थे और उनके पास से पसीने की बदबू आती थी।
तो अगली बार कब बुलाने जा रहें हैं अपने जीवन साथी को “शोना बाबू” 😂😂😂
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