बुखार में शरीर का तापमान क्यों बढ़ता है

 

शरीर गर्म क्यों हो जाता है, क्यों शरीर का तापमान बढ़ जाता है

जब भी हम अस्वस्थ होते हैं हमारा शरीर हमें कुछ सिग्नल्स भेजता है की आपके शरीर में कुछ गड़बड़ है। शरीर द्वारा दिए गए इन संकेतों में सबसे ज्यादा कॉमन संकेत है शरीर का गर्म हो जाना या बुखार आ जाना। आईए आज हम जानते हैं की बुखार आने पर हमारा शरीर गर्म क्यों हो जाता है। 

क्यों आता है बुखार


बुखार आना जिसे हम मेडिकल भाषा में हाइपरथेर्मिया (Hyperthermia) या पायरेक्सिया (Pyrexia) भी कहते हैं। इसमें हमारे शरीर का तापमान सामान्य तापमान से ज्यादा हो जाता है। 
 
एक सामान्य इन्सान का तापमान 97 F से 99 F के बीच में रहता है और जब यह 100.4 F से अधिक हो जाता है तो उसे हम फीवर आना कहते हैं।
 
हमारे ब्रेन का एक हिस्सा जिसे हम हाइपोथैलेमस ( Hypothalamus ) कहते हैं हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है। 
 
जब हमारे शरीर में कोई बैक्टीरिया, वायरस या कोई बाहरी Pathogens घुस कर हमारे शरीर में इन्फेक्शन अथवा कोई बीमारी पैदा करते हैं तो हमारा इम्यून सिस्टम यानि की प्रतिरक्षा तंत्र एक्टिव हो जाता है और Pyrogen नामक एक बायोकेमिकल रिलीज करते हैं। 
 
जब हाइपोथेलमस को संकेत जाता है की Pyrogen रिलीज हुए हैं तो वो शरीर का तापमान बढ़ा देता है। हाइपोथेलमस तापमान इसलिए बढ़ाता है ताकि हमारे शरीर में बाहर से प्रवेश करने वाले बैक्टीरिया, वायरस अथवा जो भी एंटीजन अथवा Pathogen हैं उनको तापमान बढ़ा कर खत्म किया जा सके।
 
यह हमारे व्हाइट ब्लड सेल्स (Macrophages) द्वारा बनाया जाता है जब हमारी बॉडी किसी विशेष बैक्टीरिया अथवा वायरस के संपर्क में आती है। सबसे कॉमन Pyrogen है IL-1 जिसे हम इंटरलुकिन-1 भी कहते हैं। IL-1  हमारे हाइपर T-सेल्स को भी उत्तेजित करती है ताकि वो शरीर की प्रतिरक्षा के लिए तैयार हो सकें।
 
हालांकि यह एक बहस का मुद्दा है की फीवर होने पर हमें फीवर कम करने की दवा देनी चाहिए या नहीं। क्योंकि बहुत से डॉक्टर मानते हैं की यह शरीर का प्राकृतिक प्रतिरक्षा तंत्र है जो बाहरी हमलवार को मारने के लिए हमारा शरीर खुद बनाता है। 
 
वहीं दूसरी ओर बहुत से डॉक्टर्स मानते हैं की अगर बुखार एक निश्चित सीमा से ऊपर चला जाए तो मरीज की जान को खतरा हो सकता है। 
 
क्योंकि शरीर का तापमान 105 F के ऊपर जाने के बाद हमारे शरीर के प्रोटीन और फैट्स इस बढ़े हुए तापमान के कारण शरीर के काम करने की क्रिया को गड़बड़ करने लगते हैं जिसके कारण सेल्यूलर स्ट्रेस, इनफार्कशंस, नेक्रोसिस, सीजर और डेलिरियम जैसी घातक स्तिथि का सामना करना पड़ सकता है। 
 
लेकिन अभी डॉक्टर्स बुखार कम करने को लेकर अधिक सचेत रहते हैं और मानते हैं की पहले बुखार कम करो और फिर बुखार होने का कारण पता करके उस कारण को खत्म करो, बुखार अपने आप खत्म हो जाएगा।
 
बच्चों में बुखार ज्यादा और तेजी से आता है क्योंकि बच्चों का इम्यून सिस्टम अभी उतना परिपक्व नहीं होता जो Pyrogens के प्रभाव को सही से समझ सके। यह बड़े होने पर धीरे धीरे हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम को समझ जाता है।
 
 
 
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