महाभारत में भगदत्त कौन था और भगदत्त को अर्जुन ने कैसे मारा

 

भगदत्त की मृत्यु कैसे हुई?


महाभारत युद्ध के समय अनेक अविस्मरणीय घटनाएं हुई थीं। हर योद्धा के साथ कोई ना कोई घटना क्रम जरूर जुड़ा हुआ था। 

महाभारत युद्ध के समय कई वीरों का उल्लेख मिलता है। जबकि कईयों को वो उचित स्थान नहीं मिला जिसके वो हकदार थे। 

आज हम बात करेंगे एक ऐसे ही योद्धा की जिसके बारे में महाभारत में बहुत ही कम वर्णित है। 

ऐसा ही एक योद्धा था भगदत्त जो की प्रज्ञोतिषपुर(असम) के राजा नरकासुर का पुत्र था।

भगदत्त के बारे में महाभारत में सिर्फ अर्जुन के साथ ही उल्लेख है। भगदत्त ही एक ऐसा योद्धा था जिसने अर्जुन के साथ लगातार आठ दिन तक युद्ध किया था।  
 
महाभारत के समय में भगदत्त ने कौरवों की तरफ से युद्ध लड़ा। 
 
हालंकि उस समय भगदत्त बहुत ही अधिक आयु के थे परंतु उन्होंने भीम और अभिमन्यु जैसे वीरों को आसानी से परास्त कर दिया था।
 

अर्जुन का भगदत्त और उसके हाथी से युद्ध

 

महाभारत युद्ध के बारहवें दिन भगदत्त और अर्जुन के बीच में एक महासंग्राम हुआ था और युद्ध के एक अवसर पर तो भगदत्त ने तो अपने हाथी से अर्जुन को लगभग कुचल ही दिया था तभी श्री कृष्ण जी ने अर्जुन को बचा लिया था।
 
उसके बाद जब फिर से युद्ध शुरू हुआ तो अर्जुन ने भगदत्त के अनेक अस्त्र को विफल कर दिया जिससे की भगदत्त ने गुस्से में वैष्णव अस्त्र चला दिया जिसका काट अर्जुन के पास भी नहीं था। 
 
इसके पहले की वो अस्त्र अर्जुन को लगता श्री कृष्ण जी बीच में आ गए और उस वैष्णव अस्त्र को विफल कर दिया।
 

इसके बाद श्री कृष्ण जी ने अर्जु से कहा कि अब भगदत् का अंत निकट है तो अर्जुन ने सबसे पहले भगदत्त के हाथी सुप्रतिक को वाण मारकर जमीन पर गिरा दिया। 

इसके बाद श्री कृष्ण जी ने अर्जुन से कहा की भगदत्त की आयु इतनी अधिक है की उनकी आंखे सदा झुर्रियों से ढकी रहती है। 

 
चूंकि वो बहुत ही पराक्रमी है इसलिए वो अपने मस्तक पर हमेशा पट्टी बांधे रहते हैं ताकि उनकी पलके बंद ना होने पाएं। 
 
अर्जुन इशारा समझ चुके थे, उन्होंने पहले भगदत के मस्तक पर ऐसा वाण मारा की उनकी पट्टी कट कर गिरा गई जिससे की उनकी पलकें बंद हो गईं और उनको दिखना बंद हो गया। 
 
इसी अवसर का फायदा उठाकर कर अर्जुन ने भगदत्त का वध कर दिया।

भगदत्त इतने शक्तिशाली थे की अकेले अर्जुन उनको हरा नही सकते थे। 

चूंकि अर्जुन सत्य के पक्ष से लड़ रहे थे और उनके साथ स्वयं भगवान श्री कृष्ण थे इसलिए वो भगदत्त को मारने में सफल हुए।


बग़दाद जिसे हम आज इराक की राजधानी के रूप में जानते है इसका नाम राजा भगदत्त पर पडा है।  
 
भगदत्त का अर्थ होता है “देवता से प्राप्त” और  मेसोपोटामिया में स्थिति बगदाद भगदत्त के नाम के अपभ्राँश से बना है। 
 
फारसी या अरबी भाषा में भग शब्द परिवर्तित हो कर बेग हो गया जिसे बाद में शक्तिशाली लोगों की उपाधि बना दी गई। 
 
इस तरह आप समझ सकते है की हिंदु धर्म अनादि काल से पूरे विश्व में व्याप्त था।
 

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