मोहम्मद अली जिन्ना जिसका नाम सुनकर ही राजनीतिक रोटियां सेंकने को लोग आ जाते हैं।
मोहम्मद अली जिन्ना एक ऐसा नाम है जो स्वयं मजहबी उन्माद का पर्याय है।
डायरेक्ट एक्शन डे की घोषणा करके लाखों हिंदुओं को मरवाने वाला जिन्ना विश्व के सबसे बड़े हिंदुओं के नरसंहार का दोषी रहा है।
लेकिन उसका चरित्र और उसका मजहबी उन्माद उसके दो अलग अलग मुखौटे थे।
वो भले ही मुस्लिम कट्टरता की बात करता हो लेकिन अंदर से वो बहुत ही उदार मुस्लिम था।
जिसके लिए इस्लाम सिर्फ उसके मकसद को हासिल करने की एक सीढ़ी थी।
वह हमेशा कहता था की “मजहब सिर्फ़ गरीबों के लिए होता है, जैसे जैसे आप अमीर होते जाते हैं आप इस्लाम को समझने लगते हैं और सिर्फ अपने फायदे की बातें ही बोलते हैं“
जिन्ना के बाबा हिन्दू थे
जी हां, सही सुना आपने! जिन्ना के बाबा का नाम था प्रेम जी भाई मेघ जी ठक्कर और वो गुजरात के काठियावाड़ के पनेली गांव के रहने वाले थे।
वो मछली पकड़ने का काम करते थे और उससे उन्होनें काफी पैसा कमाया।
चुंकि वो हिन्दू थे और मछली पकड़ने का काम करने के कारण उनको काफी कुछ सुनना पड़ता था।
प्रेम जी भाई समझदार थे और उनको इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता था लेकिन प्रेम जी भाई के बेटे पूंजा लाल ठक्कर को यह पसंद नहीं था की कोई उसे मछली पकड़ने के व्यापार के कारण कुछ कहे।
इसलिए पूंजा लाल ठक्कर गुस्से में काठियावाड़ से कराची चले गए और अपना धर्म परिवर्तन करवा के मुस्लिम हो गए।
पूंजा लाल ठक्कर के बेटे का नाम था “मोहम्मद अली जिन्ना” जिसे हम पाकिस्तान के “फॉदर ऑफ द नेशन” के नाम से भी जानते हैं।
मोहम्मद अली जिन्ना का चरित्र
मोहम्मद अली जिन्ना का चरित्र बहुत ही विवादास्पद रहा है।
मोहम्मद अली जिन्ना के कृत्य ऐसे थे उनको जानने वाले लोग उनको मुस्लिम ही नहीं मानते थे क्यूंकि
मोहम्मद अली जिन्ना ने कभी दाढ़ी नहीं रखी
मोहम्मद अली जिन्ना ने कभी जालीदार टोपी नहीं लगाई
मोहम्मद अली जिन्ना कुर्ता पायजामा के बजाय सूट पहनना अधिक पसंद करते थे
मोहम्मद अली जिन्ना ने कभी हज नहीं किया
मोहम्मद अली जिन्ना कभी नमाज नहीं पढ़ते थे
मोहम्मद अली जिन्ना ने एक गैर मुस्लिम लड़की से शादी की
मोहम्मद अली जिन्ना सुवर का मांस खाते थे
मोहम्मद अली जिन्ना शराब पीते थे
मोहम्मद अली जिन्ना सिगार पीते थे
मोहम्मद अली जिन्ना की बेटी ने एक गैर मुस्लिम से शादी की
इन सबके बावजूद वो पाकिस्तान के फादर ऑफ़ द नेशन कहे जाते हैं।
क्योंकि मजहब सिर्फ गरीब और मिडिल क्लास के लिए होता है अमीरों के लिए नहीं।
मोहम्मद अली जिन्ना कहा करते थे की मजहब की अफीम सिर्फ गरीबों और निचले तबके लोगों के लिए है ताकी वो उन्माद फैला सकें और हम अमीर लोग जीवन का आनंद ले सकें।
यह बात सत्य भी है क्योंकि मुस्लिम समाज में जितने भी अमीर लोग हैं वो बहुत ही खुले दिल से पाश्चात्य सभ्यता का अनुसरण करते हैं।
जबकि अपने अनुयायियों को वो मजहबी कट्टरता का पाठ पढ़ाते हैं।
अमीर समाज की मुस्लिम महिलाएं छोटे कपड़े भी पहेनेगी, मदिरा का सेवन भी करेंगी और पार्टी भी एंजॉय करेंगी।
जबकि गरीब और मिडिल क्लास की मुस्लिम महिलाओं को बुर्का, हिजाब आदि में रखा जाता है।
मोहम्मद अली जिन्ना ने कभी भी मुस्लिम समाज की कुरीतियों का अनुसरण नहीं किया।
वह सदैव ये सब बातें अपने अनुयायियों पर थोपते रहे ताकि मजहबी उन्माद बना रहे
मोहम्मद अली जिन्ना हमेशा एक बेपरवाह उदारवादी मुस्लिम रहे।
देश के बटवारे में गांधी ने की थी भूल
देश का बटवारा काफी सोच समझ कर धर्म के आधार पर हुआ था ताकि धार्मिक उन्माद ना फैले।
इसलिए ये बोला गया था की सब हिन्दू भारत और सब मुस्लिम पाकिस्तान चले जाएं।
लेकिन गांधी जी ने नौटंकी फैला दी और कहा की मुस्लिम यहां रुक सकते हैं उनको जाने की कोई जरूरत नहीं।
यह सुनने पर मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा था की गांधी को राजनीति की समझ नहीं है और यह गलती हिंदुस्तान पर बहुत भारी पड़ेगी।
आज वही गलती भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बनी हुई है।
देश में मुस्लिमों की आबादी 30% तक हो गई है जबकि पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी इस वक्त 1% ही रह गई है।
मोहम्मद अली जिन्ना इतना उदारवादी मुस्लिम था की गोपाल कृष्ण गोखले जी ने मोहम्मद अली जिन्ना को “हिन्दू मुस्लिम एकता का दूत” कहा था।
जिन्ना एक उदारवादी पकिस्तान बनाना चाहते थे इसलिए जिन्ना ने मुस्लिम देश की अवधारणा पर काम किया।
जिन्ना एक शिया मुस्लिम थे और जब वो 41 साल के थे तो उन्होंने सिर्फ 18 साल की छोटी लड़की से विवाह किया जिसका नाम था रूती।
आजकल का मुस्लिम समाज जो सैकड़ों साल पुरानी बातों को अभी भी अनुसरण कर रहा है
जबकि उसे जिन्ना के जीवन से काफी कुछ सीखने और समझने की जरूरत है।
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