भारतीय
इतिहास वैसे तो अनेक युद्धों से भरा पड़ा है। अनेक शौर्य गाथाएं और हार की
टीस हर युद्ध में है, लेकिन हम जिस युद्ध की बात करने यहां जा रहे हैं वो
युद्ध एक अलग ही स्तर के था। हम बात कर रहें है 711 ईस्वी में सिंध के राजा दाहिर सेन और मोहम्मद बिन कासिम
के बीच हुए युद्ध की।
राजा दाहिर अपनी मातृभूमि में मुस्लिम आक्रांतो को
रोकने के लिए प्रतिबद्ध थे और वही मुस्लिम आक्रमणकारी मोहम्मद बिन कासिम
भारत की पवित्र भूमि को लूटने और बर्बाद करने को सिंधु नदी के तट पर अपनी बर्बर सेना के साथ खड़ा था।
राजा दाहिर सेन कौन थे
राजा दाहिर सेन आठवीं ईस्वी में सिंध के अंतिम हिंदू राजा थे। वह ब्राह्मण वंश के अन्तिम शासक भी थे। राजा दाहिर कश्मीरी ब्राह्मण थे। राजा दाहिर सेन का राज्य पश्चिम में मकरान (पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के दक्षिण में स्थित था), दक्षिण में अरब सागर और गुजरात तक, पूर्व में मालवा और उत्तर में मुल्तान एवं दक्षिणी पंजाब तक फैला हुआ था। राजा दाहिर बहुत ही साफ दिल और इंसाफ करने वाले राजा थे।
दाहिर सेन भारतीय युद्ध परंपरा को मानते हुए ना ही भागती हुई सेना
का पीछा करते थे और ना ही रात में युद्ध करते थे। उन्होंने भारतीय मातृभूमि
को मुस्लिम आक्रमणकारियों से अभी तक बचाया हुआ था और उनकी युद्धनीति का
फायदा उठाकर मोहम्मद बिन कासिम ने सारे युद्व नियमों को ताक पर रखकर रात्रि
में युद्धघोष कर दिया।
बहुत ही डरावना और विभत्स दृश्य था। दाहिर सेन
युद्ध में हार गए और मुगलों का भारत में प्रवेश का रास्ता खुल गया। मुगलों
का मुख्य उद्देश्य सिंधु प्रांत को लूटने के साथ साथ हैवानियत का नंगा नाच
भी करने का था। वैसे भी मुगलों के लिए स्त्रियां सिर्फ एक भोग की ही वस्तु होती थी और हर युद्ध के बाद मुगल यही करते थे।
इस
युद्ध को जीतने के बाद अरब सैनिक सिंधु प्रांत की युवतियों पर किसी भूखे
भेड़ियों की तरह टूट पड़े। एक ही रात में स्त्रियों, बच्चियों के साथ
मुस्लिमो ने सैकड़ो बार बलात्कार किया, उनके स्तन काट डाले, उनके गुप्तांग
में तलवार घुसेड़ दी गई।
हजारों युवतियों और बच्चियों के शव नग्न और छत
विक्षत अवस्था में पाए गए। जिसकी कल्पना मात्र से ही रौंगटे खड़े हो जाते
हैं। हजारों मंदिरो को तोड़ कर आग लगा दी गई, पूरा सिंधु प्रांत शमशान बन
गया। युवाओं को या तो काट डाला गया या तो बंदी बना लिया गया।
दाहिर सेन की पुत्रियों को अरब खलीफाओ की हवस पूर्ति के लिए भेज दिया गया।हालांकि राजा दाहिर सेन की पुत्रियों ने बुद्धिमता का परिचय देते हुए मुहम्मद बिन कासिम को मरवा दिया ( इसके बारे में आप इतिहास में पड़ सकते हैं, चचनामा में भी इसका उल्लेख है) ये एक ऐसा विभत्स युद्व था जिसने भारतीय जनमानस को झकझोर कर रख दिया था। इसके पहले भी बहुत से युद्ध हुए हैं लेकिन भारतीय राजा महिलाओं का सम्मान करते थे और युद्ध के बाद उनको हाथ तक नहीं लगाते थे बल्कि उनको पूरी सुरक्षा दी जाती थी लेकिन मुस्लिम आक्रमणकारी बहुत ही असभ्य और बर्बर थे, पूरी मानवता उस दिन कांप उठी थी।
अरब
सैनिक उस वक्त एक गांव में घुसे और दाहिर के एक सैनिक के घर में एक आठ
वर्षीय बालक की मां को यह समझने में देर ना लगी की अंत अब निकट है। उसने
मुस्लिम आक्रमणकारियों से अपनी पुत्रियों को बचाने के लिए अपनी दोनो
पुत्रियों के सर तलवार से अलग कर दिए और स्वयं की छाती में वो तलवार डाल कर
वो क्षत्रानि वीर गति को प्राप्त हुई।
वो आठ साल का बालक जिसने ये सब अपनी
आंखो से देखा वो उन्ही निशब्द और कठोर आंखो के साथ वहां से भागा और दौड़ते
दौड़ते उसने लगभग पुरा सिंधु पार कर गया।
वीर योद्धा तक्षक का महायुद्ध
की सेवा में था। एक खबर आई की एक बार फिर मुस्लिम आक्रांताओं ने अरब
खलीफाओं की सहायता से भारत पर आक्रमण करने आ रहें हैं। जल्दी ही वो मुस्लिम
आक्रमणकारी भारतीय सीमा में प्रवेश करने वाले थे।
सैनिकों के साथ युद्धनीति में लगे हुए थे। तभी तक्षक कहते हैं की मुगल आक्रमणकारी किसी भी तरह के नियम नहीं मानते इस पर नागभट ने कहा की हे वीर तुम बताओ क्या कहना चाहते हो। तक्षक ने कहा की महाराज
अरब सैनिक महाबर्बर और असभ्य हैं वो सिर्फ़ व्यभिचार और लूट को ही अपना
मजहब समझते हैं उनसे युद्ध करने के लिए हमें उन्हीं की भांति होना पड़ेगा।
महाराज आपको दाहिर सेन याद हैं उन्होंने भी युद्व नियमों का पालन किया था
क्या परिणाम हुआ उसका? उनकी बेटियों तक का बलात्कार हुआ, स्त्रियों के शव
के साथ तक अमानवीय कृत्य किया गया, युवतियों के नग्न जुलूस निकाले गए,
युवाओं के मस्तक काट कर सिंधु नदी को भर दिया गया।
से निकल कर कुछ दिनों बाद सिंधु तट पर पहुंच गई। दोनों तरफ सेनाओं के
तम्बू लगे हुए थे। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि अगली सुबह भयंकर युद्ध और
रक्तपात होगा।
मौत और हवस का नंगा नाच करेंगे। लेकिन तक्षक की योजना कुछ और थी। उसी रात
में तक्षक ने मुगलों पर आक्रमण कर दिया सारी मुगल सेना साफ कर दी। हर तरफ
सिर्फ मुगल सैनिकों की लाशे ही दिखाई पड़ रही थीं।
था की भारतीय सैनिक रात्री में युद्ध नहीं करते और इसीलिए वो चैन की नींद
सो गए थे। लेकिन उनको क्या पता था की तक्षक 25 वर्षों से प्रतिशोध की
ज्वाला अपने अंदर जलाए बैठा है। तक्षक ने बर्बर अरबों को उन्ही की भाषा में
जवाब दिया।
समूचे अरब सैनिकों का सफाया हो गया। जब
युद्ध खत्म हुआ तो लोगों ने तक्षक को ढूंढना शुरू किया तो देखा की हजारी
अरब सैनिकों के बीच तक्षक का शरीर पड़ा हुआ था और उसके हाथ में तलवार थी।