संजीवनी बूटी सिर्फ लक्ष्मण के लिए ही क्यों लाई गई थी

 

Ramayan, ramayan ki kahani


यह एक ऐसा प्रश्न है जिसको हिंदू धर्म विरोधी हमेशा ही उछालते रहते हैं। जिसने रामायण ढंग से आत्मसात किया है उसे इसका उत्तर बहुत ही अच्छे से पता है। 

जिनको इसके उत्तर में संदेह है उनकी शंकाओं का निवारण एक बहुत ही सरल उदहारण से करते हैं। कल्पना करिए की भारत और ऑस्ट्रेलिया का वर्ल्ड कप फाइनल का मैच चल रहा है 

और भारत को 300 रन का स्कोर का पीछा करना है और भारत के 180 पर पांच विकेट गिर चुके हैं और क्रीज पर विराट कोहली और शार्दुल ठाकुर खेल रहे हैं। 

इसी वक्त विराट और शार्दुल ठाकुर के बीच रन को लेकर गलतफहमी होती है तो आप किसे चाहेंगे की आउट हो। उत्तर एक दम साफ़ है की आप चाहेंगे की विराट कोहली ना आउट हो। 

क्योंकि आपको विराट कोहली की काबिलियत पता है की वो अगर रुका रहा तो भारत को मैच जीता सकता है। 

यहां हम यह नहीं कह रहे की शार्दुल ठाकुर में काबिलियत की कमी है लेकिन तुलनात्मक रूप से विराट कोहली शार्दुल से बहुत ही अधिक प्रतिभाशाली हैं और इतने नाजुक मौकों पर कई बार भारत को जीत दिलाई है।

रामायण में उस वक्त युद्ध के उस नाजुक मौके पर लक्ष्मण जी का होना बहुत ही जरूरी था अन्यथा मेघनाथ ने छल से लगभग सारी सेना खतम ही कर दिया था। 
 
लेकिन इसका मतलब ये नहीं है की बाकी की सेना का उपचार नहीं किया गया। जितने भी वानर घायल या मूर्छित हो रहे थे सबका उपचार किया जा रहा था। लेकिन लक्ष्मण चूंकि प्रमुख योद्धा थे इसलिए वाल्मिकी जी ने लक्ष्मण का उल्लेख किया। 

एक और सबसे महत्त्वपूर्ण बात ये है की लाखों वानर मिल कर भी मेघनाद या रावण को नहीं मार सकते थे। उनको मारने की ताकत और दिव्यशास्त्र का ज्ञान सिर्फ लक्ष्मण और राम जी के पास ही था। इसीलिए लक्ष्मण जी को बचाना बहुत जरूरी था।
 
इसको आप इस तरह से समझ सकते हैं की माउंट एवरेस्ट पर पहले कौन चढ़ा वो सबको पता है और इतिहास में हर जगह लिखा है लेकिन दूसरा कौन है ये किसी को नही पता। 
 
अंतरिक्ष में सबसे पहला यात्री कौन गया ये सबको पता है लेकिन दूसरा किसी को नहीं। इसी तरह के बहुत से उदाहरण हैं।
 
इसीलिए हमारे ग्रंथों में महत्वपूर्ण व्यक्तियों का जायदा उल्लेख किया गया है जिनसे लोगों को आसानी से शिक्षा मिल सके।
 
 

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