चप्पल हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुकी है।
चप्पल हमारे पैरों की सुरक्षा करती है और आजकल तो बहुत सी स्टाइलिश, डिजाइनर और पैरों को सुकून देने वाली मॉडर्न चप्पलें मार्केट में उपलब्ध हैं।
चप्पल को हवाई चप्पल भी कहा जाता है। लेकिन क्या आपको पता है की चप्पलों का इतना अनोखा नाम हवाई चप्पल कैसे पड़ा,
आईए समझते हैं इसके अनोखे नाम के पीछे की कहानी
कैसे पड़ा हवाई चप्पल नाम
चप्पलों का इतिहास तो हजारों साल पुराना है। आपने रामायण और महाभारत में खड़ाऊ के उपयोग की बात पढ़ी ही होगी।
समय के साथ आगे चलकर खड़ाऊ में परिवर्तन होता गया और आज के समय में पहने जानें वाली चप्पल के रूप में मार्केट में उपलब्ध है।
हवाई चप्पल एक आरामदायक और हल्की चप्पल है जो अपने डिजाइन और सहूलियत के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गई।
हवाई चप्पल का नाम अमेरिका के हवाई द्वीप से लिया गया है। हवाई द्वीप में एक तरह का रबर का पेड़ पाया जाता है जिसे टी कहते हैं।
इस टी पेड़ से निकलने वाला रबर बहुत ही लचीला, हल्का और मजबूत होता है।
इससे बनाई जाने वाली चप्पल बहुत हल्की, मजबूत और लचीली होती हैं।
सन् 1880 को जापान के मजदूरों को काम करवाने के लिए अमेरिका हवाई द्वीप पर ले गया था जापान में पहले से ही आजकल इस्तेमाल होने वाली डिजाइन की चप्पल पहनी जाती थी।
जब जापान के मजदूर हवाई द्वीप में रहने लगे तो उन्होंने इस टी नामक पेड़ से निकलने वाली रबड़ से चप्पल बनाई जो बहुत ही आरामदायक और हल्की होती थीं।
जापान में इन चप्पल को जोरी कहा जाता था।
बस तभी से इस डिजाइन की चप्पल और इसका नाम हवाई चप्पल प्रसिद्ध हो गया।
इन हवाई चप्पल को प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी सैनिकों ने खूब इस्तेमाल किया और ये चप्पलें दुनियां भर में फैल गईं।
इसके साथ ही एक कारण भी है जिसकी वजह से हवाई चप्पल पूरी दुनियां में फैली और छा गईं।
ब्राजील की एक फुटवियर कंपनी है जिसका नाम है “हवाइनाज” इस कम्पनी ने सन् 1962 में रबर की नीली और सफेद रंग की हवाई चप्पल बनाई थी जो हम लोग आजकल इस्तेमाल करते हैं।
भारत में और दुनियां के अन्य देशों में हवाईनाज ने चप्पल पहुंचाने का काम तेजी से किया।
भारत में घर घर चप्पल होने का श्रेय बाटा कम्पनी को जाता है, जिसकी वजह से यह हवाई चप्पल आज भारत के हर घर में है।
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