बांस में फूल के आने को अशुभ और आकाल का संकेत क्यों माना जाता है

बांस में फूल के आने को लेकर हमारे समाज में तरह तरह की भ्रांतियां हैं।

उनमें से सबसे बड़ी भ्रांति ये है की बांस में फूल का आना बहुत ही अशुभ होता है और बांस में फूल आना अकाल का सूचक है।

वास्तव में बांस एक बहुत ही उपयोगी घास है जो लगभग पूरे भारत ने उगती है।

बांस में फूल 60 साल से 120 साल में एक बार आता है और फूल आते है बांस के पेड़ का जीवन काल खत्म हो जाता है।

एक बांस के पेड़ के फूल से 10 से 20 किलो तक चावल जैसे बीज प्राप्त किए जा सकते हैं।

आज भी गांव में या आदिवासी इलाकों में लोग बांस के चावल को खाते हैं।

बांस में फूल को अकाल और महामारी का सूचक क्यों माना जाता है
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बांस का फूलना खराब क्यों होता है?

कई बार अकाल के समय गांव के लोग या आदिवासी लोग बांस के चावल खा कर ही अपना जीवन बचाते हैं, बांस के फूल आने को अकाल का सूचक दो मुख्य वजहों से मानते है।

पहला ये की बांस के चावल को ज्यादातर चूहे खा जाते हैं और बांस के चावल को खाने के बाद चूहों की प्रजनन क्षमता बहुत बड़ जाती है जिससे की चूहों की जनसंख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हो जाती है और वो फसलों को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं।

जिनकी वजह से अनाज कम पड़ जाता है या खत्म हो जाता है।

जिसे हम दूसरे शब्दो में अकाल आना बोलते हैं।

दूसरा कारण ये माना जाता है की जब बारिश कम होती है तो मिट्टी और वातावरण में पानी की कमी हो जाती है और इस कारण बांस के पत्ते सूख जाते हैं और उनमें फूल आने लगते हैं साथ ही बारिश की कमी से फसले भी सूखने लगती है।

इसी कारण बांस के फूल को अकाल से जोड़ दिया गया है।

 

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