क्या मोरारजी देसाई ने अपनी बेटी से शादी की थी

मोरारजी देसाई 81 साल की उम्र में भारत के चौथे प्रधानमंत्री बनें थे।

मोरारजी देसाई पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे जो कांग्रेस पार्टी से नहीं थे।

मोरारजी देसाई का जन्म 29 फरवरी सन् 1896 में हुआ था।

मोरारजी देसाई लीप ईयर में पैदा हुए थे इसलिए उनका जन्मदिन चार साल में एक बार मनाया जाता था।

मोरारजी देसाई सिर्फ 1977 से 1979 तक भी भारत के प्रधानमंत्री रहे।

भारत के कौन से प्रधानमंत्री ने अपनी बेटी से शादी की थी?
क्या मोरारजी देसाई ने अपनी बेटी से शादी की थी

लेकिन उनके बारे में एक अफवाह हर जगह फैली है की उन्होंने अपनी बेटी से शादी की थी।

आइए जानते हैं इस बात में कितनी सच्चाई है

क्या मोरारजी देसाई ने अपनी बेटी से शादी की थी

यह बात बिल्कुल गलत और तथ्यहीन है।

मोरारजी देसाई ने सिर्फ एक शादी की थी जोकी मात्र 15 वर्ष की आयु में गुजराबेन से सन् 1911 में हुई थी।

इनके कुल 5 बच्चे हुए जिनमें 2 की मृत्यु बचपन में ही हो गई थी और सिर्फ 3 बच्चे बचे थे जिनका नाम था विरुमती, इंदुमती और पुत्र कांतिलाल।

मोरारजी देसाई ने सिर्फ एक शादी की थी और वो उनकी बेटी नहीं थीं।

कोई 15 साल की उम्र में अपनी बेटी से शादी कैसे कर सकता है।

यह सब मात्र अफवाह है।

मोरारजी देसाई के जीवन की सबसे बड़ी गलती

पाकिस्तान ने जब भारत के हाथों बांग्लादेश (पूर्वी पाकिस्तान) गंवाया था तब पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने मुल्तान में सन् 1972 में वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की एक बैठक बुलाई और पाकिस्तान के लिए परमाणु बम बनाने को कहा और पाकिस्तान परमाणु हथियार बनाने में जुट गया।

पाकिस्तान के वैज्ञानिक इतने दक्ष नहीं थे की वो परमाणु कार्यक्रम शूरू कर सकें इसके लिए उन्होंने अन्य देशों की सहायता से चोरी छिपे परमाणु हथियार पर काम करना शुरू किया।

इसकी जानकारी हमारी खुफिया एजेंसी रॉ को हो गई थी और रॉ ने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को तबाह करने का प्लान बना लिया था।

उस वक्त तक भारत अपना पहला परमाणु परिक्षण 1974 में (स्माइलिंग बुद्धा) कर चुका था।

भारत के 10 से अधिक रॉ के ऑफिसर पाकिस्तान के प्लान में खुफिया तरीके से शामिल थे और वो पाकिस्तान के परमाणु हथियार बनाने के मंसूबों को खत्म करने वाले थे।

लेकिन हमारे देश के प्रधानमन्त्री मोरार जी देसाई ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो को फोन करके बोल दिया की हमें आपकी परमाणु कार्यक्रम की सारी जानकारियां हैं और हमारे देश की एजेंसी रॉ वहीं पर है।

इतना सुनते ही पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने खुफिया अलर्ट कर दिया और भारतीय जासूसों को ढूंढने में लग गए और कुछ ही दिनों में सारे रॉ आफिसर्स को मार दिया गया।

मोरारजी देसाई की बेवकूफी के चलते हमारे कई रॉ ऑफिसर मारे गए और पाकिस्तान अपने परमाणु कार्यक्रम को सफलतापूर्वक आगे ले गया।

इस बात को लेकर सेना और पूरे देश भर में बहुत ही तीखी प्रतिक्रिया हुई थी लेकिन मोरारजी देसाई ने कहा की यह एक सामान्य वार्तालाप था।

उन्होंने भारत की पाकिस्तान और चीन से दोस्ती के लिए बहुत प्रयास किया और इन्हीं प्रयासों के चक्कर में पाकिस्तान अपना परमाणु बम बना पाया।

इन्हीं सब वजह से पाकिस्तान ने अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान ए पाकिस्तान सन् 1990 में मोरारजी देसाई को दिया।

मोरारजी देसाई ने भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) को लगभग बंद कर दिया था।

रॉ के सारे ऑपरेशन रोक दिए थे और इसकी फंडिंग बंद कर दी थी।

जिसकी वजह से देश का खुफिया तंत्र बहुत कमजोर हो गया था।

अब जिस देश के प्रधानमन्त्री को इतनी समझ ना हो की देश की सुरक्षा से संबंधित कौन सी बातें किससे करनी है और किससे नहीं तो देश की सुरक्षा का क्या हाल होगा ये आप समझ ही सकते हैं।

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सबसे पहला परमाणु बम किस देश ने बनाया था

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