इतिहास के बारे में सबसे खराब बात ये है की जो शासक होता है वो अपने हिसाब से तोड़ मरोड़ कर इतिहास को पेश (Lal Kila Kisne Banwaya Tha) करता है।
भारत के इतिहास को मुगलों और अंग्रेजो ने इतना तोड़ा मरोड़ा की असली इतिहास ही कहीं खो गया।
भारतीय इतिहास के बारे में बहुत सी गलत बातें हम लोगों को पढ़ाई गईं जैसे आर्य बाहर से आए, मुगलों ने देश में खूबसूरत भवन बनवाए, ताजमहल मुगलों की देन है, भारत पिछड़ा हुआ था इत्यादि।
इतने सारे झूठ हमारे इतिहास में जोड़ दिए गए की उनका मूल स्वरूप ही खो गया।
यहां तक की धार्मिक ग्रन्थों के साथ तक (Lal Kila Kisne Banwaya Tha) छेड़छाड़ की गई।
मनु स्मृति को तो मुगलों ने ऐसा तोड़ मरोड़ कर पेश किया की उसमे लिखी सही बातों को हटाकर सारी उल्टी सीधी बातें जोड़ दी गईं।
लेकिन आज भी जब पुरातत्व विभाग कहीं भी खुदाई करता है तो भारतीय इतिहास का सच बाहर आ ही जाता है।
आपने सुना होगा की हर खुदाई में हजारों साल पुरानी मूर्तियां और मंदिर मिलते हैं।
भारत का गौरवशाली इतिहास कितना भी दबाया जाए लेकिन भारत का कण कण हमारे समृद्ध इतिहास की गवाही देता है।
महाराज अनंग पाल तोमर ने करवाया था लाल क़िले का निर्माण – Lal Kila Kisne Banwaya Tha
लाल किले के बारे में बताया जाता है की इसका निर्माण शाहजहां ने करवाया जबकि असलियत तो कुछ और ही है।
लाल किले का निर्माण पृथ्वी राज चौहान के नाना श्री अनंग पाल तोमर द्वितीय ने सन् 1060 में करवाया था।
अनंग पाल तोमर जब दिल्ली को बसा रहे थे तब उन्होनें लाल किले का निर्माण करवाया।
चुंकि यह लाल रंग से बना था इसलिए उस वक्त इसे लाल कोट और लाल हवेली कहते थे।
इसका प्रमाण इतिहास में भी मिलता है जिसमें लिखा है की 1296 के अंत में जब अल्लौद्दीन खिलजी अपनी सेना लेकर दिल्ली आया तो वहां उसने कुश्क ए लाल यानी लाल महल में आराम किया।
इसके अलावा लाल किले में हिन्दू धर्म के अनुसार ही चित्रण है जैसे अष्टभुजी प्राचीर, तोरण द्वार, हाथी पोल, कलाकृतियां आदि।
बाद में लाल किले का नाम बदल कर सहांजहानबाद (Lal Kila Kisne Banwaya Tha) कर दिया गया था।
शाहजहां ने तो सिर्फ 1627 से 1658 तक ही शासन किया, जबकि लाल किले का उल्लेख उसके पैदा होने के सैकड़ों साल पहले का है।
राजा अनंग पाल द्वितीय के निर्माण 1060 के बाद दुबारा पृथ्वी राज चौहान ने लाल किले का जीर्णोद्धार करवाया था।
तैमूर लंग के इतिहास में भी लाल किले का वर्णन है। लाल किले के एक खास भाग में सुवर के मुंह वाले चार नल अभी भी लगे हैं।
अब इस्लाम में तो सुवर हराम है तो वहां सुवर के मुंह वाले नल क्यों है, यह सोचने वाली बात है।
इसके अलावा बाहर द्वार पर हाथी की मूर्ती अंकित है। हाथी राजपूत राजाओं की शान हुआ करते थे।
इसलिए इस तरह के प्रतीक बनाए जाते थे। लाल किले में केसर कुंड नामक कुंड है जिसमें फर्श पर कमल का फूल बना है।
दीवाने खास और दीवाने आम की शैली बिलकुल आमेर के किले (जयपुर) से मिलती है।
लाल किले के पास में ही देवालय बने हुए हैं जिनमें एक लाल जैन मंदिर और एक गौरी शंकर मंदिर है।
यह देवालय शाहजहां के पैदा होने के सैकड़ों साल पहले के बने हुए हैं।
लाल किले के मुख्य द्वार के ऊपर बनी हुई जगह (अलमारी) यह सबूत देती है की वहां पहले गणेश जी की मूर्ती रखी जाती थी।
राजा अनंग पाल तोमर अभिमन्यु के वंशज हैं। इतिहास में आप अकबरनामा और अग्नि पुराण में पढ़ेंगे की राजा अनंग पाल तोमर ने ही एक भव्य दिल्ली का निर्माण (Lal Kila Kisne Banwaya Tha) करवाया था।
पृथ्वीराज रासो में भी लाल किला का वर्णन है, एक भी इस्लामी शिलालेख में लाल किला का वर्णन नहीं है।
इसी तरह के हजारों सबूत आपको लाल किला के अंदर (Lal Kila Kisne Banwaya Tha) मिल जायेंगे।
चुंकि भारत के पहले चार शिक्षा मंत्री मुस्लिम रहें हैं इसलिए ही उन्होंने मुगलों का इतना बखान किया है।
लेकिन ऐसा कुछ भी नही था, मुगलों ने सिर्फ भारतीय मंदिर और भवन तोड़कर उनको अपना नाम दे दिया।
आप ताजमहल चले जाएं या कुतुब मीनार हर जगह आपको हिन्दू संस्कृति के प्रतीक मिल जायेंगे।
अगर ताजमहल या कुतुबमीनार की खोदाई की जाए तो आपको वहां भी मंदिर मिल जायेगा।
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आपके अनुसार तो पूरा इतिहास ही गलत लिखा गया है।
पर ऐसा है नही, उन इतिहासकारों में हमारे देश के भी बहुत से इतिहासकार हैं वे तो हमसे झूट नही बोलेंगे, और आज के युग में देश दुनिया में पुरातत्व विभाग भी है जो विभिन्न डेटिंग टेक्नोलॉजी विधि द्वारा किसी चीज की आयु ज्ञात कर सकते हैं। पुरातत्व विभाग सबूतों के परीक्षण के आधार पर ही निष्कर्ष पर आती है ।
इन सब आधारों और तथ्यों के बावजूद भी इतिहास को गलत कहना उचित नही होगा।
ये मेरे अपने विचार हैं, इनसे आप सहमत भी हो सकते हैं और नही भी, परंतु किसी विषय में औरों को जानकारी देने के पहले तथ्यों और परीक्षणों को अवश्य जांच कर लें।
धन्यवाद 🙏😊
यह सत्य है कि किला लालकोट यानी लालकिले का निर्माण अनंगपाल तोमर ने कराया था , तथा पृथ्वीराज चौहान को वंदी बनाने के बाद रानी संयोगिता ने हजारों स्त्रियों के साथ इसी लालकिला / किला लालकोट में जौहर किया था !!
भारत के अंतिम हिन्दू सम्राट महाराज पृथ्वीराज चौहान को घोरी द्वारा धोखे से बंदी बनाने के बाद दिल्ली के लालकिला / किला लालकोट में महारानी संयोगिता ने हजारों स्त्री व बच्चों के साथ जौहर किया !!