Qutub Minar History in Hindi – आजकल देश में कई सारे धार्मिक स्थलों को लेकर कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
हर जगह हिंदू और मुस्लिम पक्ष अपना अपना अधिकार जता रहें हैं और भिन्न भिन्न किताबों का उल्लेख दे रहें हैं।
लेकिन इतिहास के बारे में कहा जाता जाता है की इतिहास किताबों से नहीं जाना जाता बल्कि इतिहास दीवारों में और जमीन के अंदर लिखा होता है।
इतिहास की किताबें किसी भी लेखक या उस समय के राजा से प्रभावित हो सकती हैं लेकिन किसी भी स्थल को बनाने की शैली और जमीन की खुदाई से निकले हुए अवशेष किसी भी इतिहास की परत खोल देते हैं।
राम जन्म भूमि में भी कोर्ट का फैसला जमीन की खुदाई करके किया गया था।
आईए अब थोड़ा समझते हैं कुतुबमीनार (Kutubminar in hindi) यानी की विष्णु स्तंभ के बारे में बाकी आप खुद अनुमान लगा सकते हैं की वह कुतुबुद्दीन ऐबक ने बनवाया था या पहले से बना हुआ था?
भारतीय संस्कृति में बनी इमारतों में हमेशा मूर्तियां जरूर बनाई जाती और साथ में हिंदू धर्म के चिन्ह जैसे कमल, घंटी, शंख जानवर, पक्षी ईत्यादि भी बनाए जाते थे।
जबकि मुस्लिमों में मूर्ति और संगीत पर पाबंदी थी और वो दीवारों पर कुरान की आयतें लिखते थे।
अगर आप कुतुबमीनार को देखेंगे तो आपको पता चलेगा की मीनार का गेट उत्तर की तरफ है।
जबकि मुस्लिम स्थल उत्तर की तरफ नहीं होते उनकी दिशा हमेशा मक्का (पश्चिम) की तरफ होती है।
इसके अलावा कुतुबमीनार में घंटियों की आकृति भी बनी है जो की मुस्लिम नहीं बना सकते।
कुतुबमीनार वास्तव में एक नक्षत्र शाला थी क्योंकि हमारे देश में ग्रह नक्षत्रों का विशेष अध्यन होता था और उनकी पूजा की जाती थी।
कुतुबमीनार में 27 झरोखे हैं और 27 नक्षत्रों को समर्पित मंदिर बनाए गए थे।
बहुत से मुस्लिम इतिहासकार कहते हैं की मीनार पर आयतें लिखी हैं जो की साफ साफ दिखाई देती हैं।
लेकिन आप इन आयतों पर गौर करेंगे तो आपको पता चल जाएगा की ये आयतें बाद में लिखकर बाहर से लगाई गईं हैं।
ध्यान देने वाली बात ये भी है की कुतुबबुदीन ऐबक ने जो भी निर्माण करवाया उसमें अपना नाम जरूर लिखवाया लेकिन कुतुबमीनार में उसका नाम कहीं भी नहीं लिखा है।
कुतुबमीनार के आस पास का निर्माण मंदिर है
कुतुबमीनार के आस पास का निर्माण अगर आप देखें तो वहां एक आयरन स्तंभ है और इस स्तंभ में ब्राह्मी लिपि में राजा चंद्र का नाम लिखा हुआ है।
जिसे इतिहासकार चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के रूप में समझते हैं।
पिलर में साफ साफ ब्राह्मी लिपि में लेख लिखा हुआ है जिसके कारण इतिहासकार भी इसे हिन्दू संस्कृति का मानते हैं।
कुतुब पैलेस की दीवारों और पिलर्स में हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियां बनी हुई हैं जो की कोई मुस्लिम तो बना ही नहीं सकता और कार्बन डेटिंग से पता चला है की इसकी उम्र कुतुबबुदिन ऐबक के समय से सैकड़ो साल पुरानी है।
कुतुबमीनार के आस पास का ढांचा देखने में खुद ही पता लग जाता है की वो किसी मंदिर को तोड़कर बनाया गया है।
वहां के परिसर में आपको पिलर में आसानी से देवी देवताओं की मूर्तियों के संकेत मिल जायेंगे।
किसी भी ऐतिहासिक ढांचे की सच्चाई जानने के लिए वहां की खुदाई या सर्वे कराने पर सारी असलियत खुल के सामने आ जाती है और अगर कोई कसर बाकी रह जाए तो कार्बन डेटिंग की सहायता से आप उस ढांचे की सटीक जानकारी पता लगा सकते हैं।
शायद यही कारण है की जब किसी ढांचे की खुदाई या सर्वे का निर्णय लिया जाता है तो लोग विरोध करना शुरू कर देते हैं क्योंकि उनको भी पता है की असलियत क्या है और खुदाई के बाद वो असलियत सबके सामने आ जायेगी।
कोर्ट को सारे विवादित ढांचे और स्थलों की खुदाई करवा देनी चाहिए दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा।
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