हिंदी भाषा कितनी पुरानी है और हिन्दी भाषा का जन्म कैसे हुआ है

 

हिन्दी भाषा की खोज कब हुई


हिंदी भाषा कितनी पुरानी है – क्या कभी आपने सोचा है की भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली हिंदी भाषा कितने साल पुरानी है और हिंदी भाषा का इतिहास क्या है?

चलिए आज जानते हैं की हिंदी भाषा कितनी पुरानी है
 

हिंदी भाषा का इतिहास

हिन्दी शब्द वास्तव में एक फारसी शब्द है। फारसी भाषा में “स” का उच्चारण “ह” किया जाता है। 
 
सिंधु नदी के पार रहने वाले लोगों को सिंधु कहा जाता था चूंकि फारसी भाषा में “स” को “ह” बोलते हैं तो यहां रहने वाले लोगों को हिन्दू कहा जाने लगा और यहां बोली जाने वाली भाषा को सिंधी की जगह हिंदी बोला जाने लगा। 
 
भारत में सबसे पहले संस्कृत भाषा बोली जाती थी समय के साथ साथ यह संस्कृत से बदलकर पाली भाषा हो गई और आगे चलकर इसमें और परिवर्तन हुए और इसे प्राकृत भाषा बोला गया। 
 
यह भाषा भारत के अलग अलग क्षेत्रों में अलग नाम से बोली जाने लगी। 
 
1,000 ईस्वी के आस पास भारत में आज बोली जाने वाली हिंदी का विकास हुआ। हिन्दी का इतिहास सिर्फ 1,000 साल पुराना है।
 
हिंदी भाषा सबसे पहले उत्तर भारत में ही बोली जाती थी और सन् 1100 के बाद यह भाषा धीरे धीरे भारत के अधिकांश क्षेत्रों में लोकप्रिय हो गई। 
 
सन् 1460 के बाद पूरे भारत वर्ष में यह भाषा लोकप्रिय हो गई। हिन्दी भाषा के लोकप्रिय होने का कारण उस समय के कवि थे जो दोहा, कविता, गाथा, पद्ध, गद्ध आदि के माध्यम से हिन्दी भाषा का प्रसार करते रहे। 
 
यह सब सुनने में अच्छे लगते थे इसी कारण लोग हिन्दी भाषा को अपनाने लगे। सन् 1500 के बाद जब मुगल ने भारत में अपना पैर पसारा तो वो फारसी भाषा पर अधिक जोर देते थे। 
 
उस वक्त फारसी भाषा को बोलने वाले को ही अच्छी नौकरी दी जाती थी। इस वजह से हिंदी में कई सारे फारसी शब्द शामिल हो गए।
 
बाद में सूरदास, तुलसीदास, मीराबाई, बिहारी जी इत्यादि ने अध्यात्म को हिन्दी से जोड़ा जिसके कारण हिन्दी का प्रभाव तेजी से बढ़ा और भारत भर में यह भाषा फैल गई। 
 
उस वक्त की कविताएं और दोहे ऐसे होते थे जो लोगों के दिमाग पर चढ़ कर बोलते थे। 
 
आप हिन्दी भाषा का उदगम ऐसे क्रम में मान सकते हैं
 
संस्कृत यह 5,000 साल से बोली जाने वाली भाषा है और इसे विश्व की सबसे पुरानी भाषा माना जाता है। ऋग्वेद संस्कृत में लिखा गया था। आज भी सारे श्लोक और मंत्र संस्कृत में ही हैं।

पालि और प्राकृत संस्कृत के बाद पाली और प्राकृत भाषा चलन में आई जो की संस्कृत से थोडी सरल थी। 
 
इन दोनों भाषाओं का समय 500 ईसा पूर्व से 1 ईसवी तक रहा है। महात्मा बुद्ध ने अपने उपदेश पाली भाषा में ही दिए थे। अब तक पाली और प्राकृत जन भाषा बन चुकी थी। 

अपभ्रंश अपभ्रंश भाषा 500 ईस्वी से 1,000 ईस्वी तक बोली जाती थी। 

हिन्दी 1,000 ईस्वी से अभी तक हिन्दी भाषा बोली जाती है। यह भाषा अनेक बोलियों को अपने में समाहित किए हुए है। आज की बोली जाने वाली हिन्दी में उर्दू और फारसी मिक्स है।
 
 

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