बुढ़ापा रोकने की दवा का नाम क्या है

आज हम एक ऐसी दवाई के बारे में जानेंगे जिसे बुढ़ापा रोकने की दवाई के रूप में जाना जा रहा है।

इस दवाई का अभी तक उपयोग कैंसर की रोकथाम में और ऑर्गन ट्रांसप्लांट में इम्यूनो-सप्रेसेंट के रूप में किया जा रहा है।

लेकिन चूहों के ऊपर किए गए प्रयोगों से पता चला है की यह दवाई बढ़ती उम्र को रोकने और कोशिकाओं को बढ़ने तथा उनको मल्टीप्लाई करने से रोकती है।

इस प्रभाव की वजह से यह बुढ़ापे को रोक देती है।

इस दवाई को रेपामाइसिन (Rapamycin) या सिरोलिमस (Sirolimus) के नाम से जाना जाता है।

आईए जानते हैं इस दवाई के बारे में विस्तार से

रेपामाइसिन क्या है – Rapamycin in Hindi

रेपामाइसिन एक मैक्रोलाइड (Macrolide) है जो Streptomyces Hygroscopicus नामक बैक्टेरिया से प्राप्त किया जाता है।
यह सबसे पहले चिली के एक आइलैंड ईस्टर आइलैंड की मिट्टी में पाया गया था।
रेपामाइसिन नाम रैपा नूई शब्द से लिया गया है जो इस द्वीप का मूल नाम है।
शुरुआत में रेपामाइसिन का उपयोग एक एंटीबायोटिक और एंटी फंगल (Antifungal) की तरह किया गया था
बाद में पाया गया की यह उतनी अच्छी तरह काम नहीं कर पा रही है।
इस पर कई सारे रिसर्च हुए और ये पता चला की रेपामाइसिन एक बहुत ही स्ट्रॉन्ग इम्यूनों सप्रेसेंट (Immunosuppressants) है।
इसका उपयोग अंग प्रत्यारोपण और कैंसर वाले मरीजों पर किया जाने लगा और यह बहुत ही प्रभावी काम करती है।
 

चूहों पर किए गए प्रयोग

रेपामाइसिन का चूहों पर प्रयोग किया गया।
वैज्ञानिकों ने चूहों को रेपामाइसिन (Rapamycin) की कम मात्रा में 3 महीने तक डोज दी और फिर इसे देना बन्द कर दिया।
चूहों की औसत आयु 30 महीने होती है। जिन चूहों को रेपामाइसिन की 3 महीने की डोज दी गई वह औसतन 2 महीने अधिक जीवित रहे।
एक चूहा तो एक्सपेरिमेंट शुरु होने के 2 साल बाद यानि की 3 साल और 8 महीने की उम्र में मरा।
इसका मतलब यह हुआ कि अगर किए इंसान को यह दी जाती तो वह इंसान 140 साल तक जिंदा रहता।
रेपामाइसिन को अभी तक इंसानों पर उम्र संबंधी रिसर्च (Anti-aging) के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया है।
लेकिन चूहों पर किए गए परिणाम वैज्ञानिकों को बहुत सी आशाएं दे गए हैं।
 

रेपामाइसिन कैसे काम करती है

हमारा शरीर किसी भी नए सैल्स को बनाने के लिए सिग्नल भेजता है और फिर सैल्स बनते हैं, बढ़ते हैं और धीरे-धीरे सैल्स अपनी एक निश्चित उम्र के बाद खत्म हो जाते हैं और फिर नए सैल्स बनना शुरू हो जाते हैं।
mTOR एक सिग्नलिंग मॉलिक्यूल होता है जो सैल्स की वृद्धि और लाइफ साईकिल को नियंत्रित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
रेपामाइसिन mTOR को ब्लॉक कर देती है जिसकी वजह से सैल्स की लाईफ साइकिल बिगड़ जाती है और सैल्स की वृद्धि होना, बढ़ना और कई सारे सैल्स बनना रुक जाता है।
यही एक मूलभूत कॉन्सेप्ट है उम्र बढ़ने से रोकने का
रेपामाइसिन T सैल्स और B सैल्स के एक्टिवेशन को भी ब्लॉक कर देती है।
इसके इसी गुण के कारण रेपामाइसिन को कैंसर की कोशिकाओं की वृध्दि रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और ऑर्गन ट्रांसप्लांट के मरीजों में यह इम्युनो सप्रेसिव की तरह काम करती है।
इसके साथ ही रेपामाइसिन कई अन्य तरह की उम्र से संबंधित बीमारियों को रोकने के लिए भी बहुत उपयोगी है।
रेपामाइसिन mTOR के सिग्नल पाथवे यानि की रास्ते को डिस्टर्ब कर देती है इस वजह से सैल्स का Autophagy प्रॉसेस शुरु हो जाता है।
इस प्रोसेस में शरीर टूटी फूटी और बीमार कोशिकाओं को साफ करने लगता है।
यही बेकार की कोशिकाएं फ्री रेडिकल्स बन कर बुढ़ापा और अन्य बीमारियों को लाती हैं।
जब ये कोशिकाएं ही नहीं रहेंगी तो बुढ़ापा आने का समय बढ़ता जायेगा और देर से बुढ़ापा आएगा।
अभी तक उम्र बढ़ने से रोकने के लिए कुछ मेडिकली तौर पर प्रमाणित तरीके ही हैं जैसे व्रत रखना (Fasting), शुगर का सेवन कम करना, पौष्टिक भोजन खाना, शारीरिक रूप से सक्रिय रहना और फ्री रेडिकल्स को शरीर से हटाते रहना।
लेकिन रेपामाइसिन यही काम mTOR सिग्नलिंग पाथवे को ब्लॉक करके बहुत ही आसानी से कर देती है।
 

रेपामाइसिन इस्तेमाल के दुष्प्रभाव

रेपामाइसिन का लंबे समय तक उपयोग करने पर टाईप 2 डायबिटीज, खून की कमी, कब्ज, कोलेस्ट्रोल का बढ़ना और इम्यून सिस्टम से सम्बन्धित बीमारियां हो सकती हैं।
हालांकि अभी भी मनुष्यों पर इसके प्रमाणिक रूप से अध्यन किए जाने बाकी हैं।
 

निष्कर्ष

रेपामाइसिन बुढ़ापे को रोकने के लिए एक बहुत ही प्रभावी दवाई के रूप में विकसित हो सकती है।
यह इतनी प्रभावी है की इसके इस्तेमाल से इंसान अपनी औसत आयु 150 वर्ष तक आसानी से कर सकता है।
लेकिन अभी इसके मनुष्यों पर क्लिनिकल ट्रायल होने बाकी हैं।
अभी यह भी देखना है की इसके इस्तेमाल से कौन-कौन सी अन्य बीमारियां ठीक हो सकती हैं या कौन सी बीमारियां हो सकती हैं।
क्योंकि हर दवाई का अपना कुछ ना कुछ प्रभाव और दुष्प्रभाव होता है।
लेकिन रेपामाइसिन ने आने वाले समय के लिए आशाएं पैदा कर दी हैं।

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